- अगर आप ताज़ा, सुरक्षित और पौष्टिक सब्ज़ियां खाना चाहते हैं, तो सबसे अच्छा तरीक़ा है कि इन्हें घर पर ही उगाया जाए। रोज़मर्रा के खाने में इस्तेमाल होने वाली सब्ज़ियां, जैसे- टमाटर, मिर्च, धनिया, पालक आदि बगिया में आसानी से उगाई जा सकती हैं। इससे न सिर्फ़ आपको रसायन मुक्त और ताज़ा सब्ज़ियां मिलेंगी, बल्कि बाग़वानी करने का अनुभव भी सुखद और सुकून देने वाला होगा।
पालक
यह ऊंचाई में ज़्यादा नहीं बढ़ती, इसलिए इसके लिए बड़ा और चौड़ा गमला चुनें। 50% मिट्टी, 40% गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट और 10% रेत मिलाकर गमले में भरें। इनके साथ थोड़ी-सी नीम की खली भी मिला सकते हैं। इसको दो दिन के लिए रख दें। गमले में मिट्टी भरें, पालक के बीजों को 1/2 और 1 इंच की गहराई में लगाकर हल्की मिट्टी से ढक दें। पानी का केवल स्प्रे करें। ध्यान रहे कि पानी अधिक न हो, केवल मिट्टी गीली रहे। पालक को रोज़ाना 4-6 घंटे धूप मिलनी चाहिए। महीने में एक बार डीएपी का उपयोग करें।
हरी मिर्च
50% मिट्टी, 30% खाद और 20% रेत के मिश्रण में मिर्च के बीज बोएं। मिर्च के अधिक उत्पादन के लिए जैविक खाद, जैसे- कम्पोस्ट खाद, बोन मिल, गोबर की खाद का उपयोग करें। पौधे में 50-60 दिनों में फूल-फल आने लगते हैं। इसे वहां रखें जहां 4-5 घंटे धूप आती हो। पौधे की प्रूनिंग करना आवश्यक है। पौधे की अच्छी बढ़वार के लिए नाइट्रोज़न युक्त उर्वरक का उपयोग करें। साथ ही जिं़क और वोरोन का स्प्रे करना पौधों में नई शाखाओं के विकास और फलों की संख्या बढ़ाने में सहायक होता है।
भिंडी
मिट्टी तैयार करने के लिए 50% मिट्टी में 20% कोकोपीट, 30% गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट मिलाएं। अब 12 से 16 इंच गहरे गमले में तैयार मिट्टी को आधा भर लें। मिट्टी में उंगली से छोटे-छोटे गड्ढे करके बीज डाल दें। पौधा बनने के 25 दिन बाद उसमें फल आने लगेंगे। भिंडी को धूप वाली जगह पर ही लगाएं। साथ ही पौधे में बीच-बीच में गोबर की खाद अवश्य डालें।
लौकी
40% मिट्टी, 30% रेत और 30% वर्मीकम्पोस्ट या सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाएं। ग्रो बैग में मिट्टी भरकर लौकी के बीजों को 1 इंच गहराई में बोएं। इसके बाद उसमें पानी दें। लौकी की बेल 18 से 35 डिग्री तापमान में अच्छी तरह से बढ़ती है। बीज को पौधा बनने में 14 दिन लगेंगे।
टमाटर
ऐसा गमला या ग्रो बैग लें, जिसमें पौधे की जड़ को पर्याप्त जगह मिल सके। मिट्टी तैयार करने के लिए 50% मिट्टी, 40% गोबर की सड़ी खाद या केंचुए की खाद और 10% रेत का मिश्रण तैयार कर गमले में भरें। पौधे की नई छोटी पत्तियों को काट दें, जिससे अधिक टमाटर आएंगे। पौधे में जब टमाटर आना शुरू हो जाएं तब कम मात्रा में पानी दें। बीच-बीच में ऑर्गेनिक खाद देते रहें और टमाटर के पौधे में महीने में दो बार गोबर खाद और सरसों की खली का तरल घोल डाल सकते हैं। मिली बग और लीफ माइनर कीटों से बचाव के लिए नीम के तेल का छिड़काव करें।
बरबटी
मिट्टी तैयार करने के लिए मिट्टी 50%, गोबर खाद 30%, केंचुए की खाद 10% और रेत 10% मिलाएं। इस मिट्टी को 18 इंच के गमले में भरें। इसमें 6 से 8 बीज एक इंच गहराई में जगह-जगह डालकर पानी दें। दूसरा तरीक़ा- पहले ग्रो ट्रे में कोकोपीट भरकर दो-दो बीज डाल दें। बीज बोने के 8 दिन बाद पौधा निकल आएगा। इन पौधों को निकालकर मिट्टी से भरे गमले में तीन जगह लगा दें। पौधे को दो दिन छाया में रखें, तीसरे दिन धूप में। इसमें 45 दिनों बाद फली आना शुरू हो जाएंगी।
धनिया-पुदीना
बाज़ार से पुदीना लेकर उसकी कटिंग बनाएं। इसको खाद मिट्टी के मिश्रण में एक से डेढ़ इंच गहरे में लगा दें। 5 दिन छाया में रखें, फिर धूप वाली जगह पर रख दें। पुदीने के पौधों के लिए फलों के छिलकों की खाद का उपयोग करें। इसी तरह धनिए को बीज से बो सकते हैं या फिर जड़ वाले धनिए से। पुदीने और धनिए में पानी का स्प्रे करें, अधिक पानी न डालें।
बैंगन
बैंगन उगाने के लिए मिट्टी भुरभुरी, उपजाऊ और जल-निकासी वाली होनी चाहिए। इसमें 40% बाग़वानी मिट्टी, 30% गोबर खाद, 20% रेत और 10% नीम खली मिलाएं। मिट्टी को कुछ दिन धूप में सूखने दें ताकि यह रोगमुक्त हो सके। समय-समय पर जैविक खाद डालते रहें और नमी बनाए रखें।
0 टिप्पणियाँ