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माहेश्वरी साड़ियों से हेमलता ने देश में बनाई अपनी पहचान

इंदौर संभाग के खरगोन जिले के महेश्वर की रहने वाली हेमलता खराड़े आज महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। कभी गांव-गांव में मजदूरी कर महीने भर में मुश्किल से 800 रुपये कमाने वाली हेमलता ने अपनी मेहनतहुनर और आत्मविश्वास से खुद की दुनिया ही बदल दी। आज वे न सिर्फ सफल उद्यमी हैंबल्कि 15 महिलाओं को रोज़गार देकर उन्हें भी आत्मनिर्भरता की राह पर ले जा रही हैं।

*सीखा लूम पर काम करना*

      हेमलता का जीवन बदला आजीविका मिशन और हथकरघा विकास निगम की मदद से वर्ष 2008 में उन्होंने निगम की ओर से 6 माह की ट्रेनिंग लीजिसमें उन्होंने लूम पर काम करना सीखा। इसके बाद वे हथकरघा भवनों में काम करने लगीं और अपने कौशल से पहचान बनाते हुए वर्ष 2012 में खुद का हथकरघा समूह शुरू किया। शासन ने उनके आत्मविश्वास और काम को देखते हुए वर्ष 2016 में भवन भी उपलब्ध कराया।

      हेमलता ने महेश्वर की पारंपरिक माहेश्वरी साड़ियों को अपनी कला से नई पहचान दी है। आज वे देश के विभिन्न शहरों – मुंबईदिल्लीचंडीगढ़गुवाहाटीइंदौर और भोपाल आदि में आयोजित हैंडलूम एग्जीबिशनों में हिस्सा लेती हैं। उनकी मासिक आय करीब 25,000 रुपये है और सालाना लगभग 2.5 लाख रुपये तक की कमाई हो जाती है।

*साड़ी पर उकेरी नर्मदा की लहरें*

      हेमलता बताती हैं कि उनके स्व-सहायता समूह में तैयार साड़ियों में महेश्वर किले की झलकझरोखा बूंटीजाली बूटीकैरी बूटीअसरफी बूटी जैसे पारंपरिक डिज़ाइन बुनाई जाते हैं। खास बात यह है कि वे नर्मदा नदी की लहरों को भी साड़ियों की बॉर्डर में सजाकर उसकी प्राकृतिक छटा को परिधानों में पिरोती हैं। उनकी साड़ियाँ तीज-त्योहारों से लेकर शादी-ब्याह तक हर अवसर पर खूब पसंद की जाती हैं। संघर्ष से सफलता की इस यात्रा में हेमलता ने साबित कर दिया कि अवसरमेहनत और सही मार्गदर्शन मिल जाए तो कोई भी महिला अपनी पहचान खुद बना सकती है।

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