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आईटीएटी का फैसला:हाउस वाइफ द्वारा बचाई रकम को इनकम मानना सही नहीं, इसीलिए इस पर इनकम टैक्स वसूलना गलत

 

सरकार ने इनकम टैक्स को लेकर गृहिणियों को राहत देते हुए कहा है कि नोटबंदी के बाद गृहिणियों द्वारा जमा कराई गई 2.5 लाख रुपए तक की राशि आयकर जांच (IT की जांच) के दायरे में नहीं आएगी। इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल (ITAT) ने कहा है कि इस तरह की जमाओं को आय नहीं माना जा सकता है।

क्या है मामला?
ग्वालियर की एक गृहिणी उमा अग्रवाल ने 2016-17 के लिए अपने इनकम रिटर्न में कुल 1,30,810 रुपए की आय घोषित की थी, जबकि नोटबंदी के बाद उन्होंने अपने बैंक खाते में 2.11 लाख रुपए नकद जमा किए थे। इस रकम को इनकम टैक्स विभाग और उस पर इनकम टैक्स की डिमांड कर दी। इसके बाद उस महिला ने इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल का रुख किया था।

अग्रवाल ने बताया कि उनके पति, बेटे, रिश्तेदारों द्वारा परिवार के लिए दी गई राशि से उन्होंने ये राशि बचत के रूप में जमा की थी। सीआईटी (अपील) ने इस स्पष्टीकरण को स्वीकार नहीं किया और 2.11 रुपए की नकद जमा राशि को अस्पष्टीकृत धन मानते हुए कर निर्धारण अधिकारी के आदेश की पुष्टि की। इसके बाद अग्रवाल इस मामले को ITAT में लेकर गए थे।

क्या फैसला सुनाया?
आगरा स्थित आईटीएटी में न्यायिक सदस्य ललित कुमार और लेखा सदस्य डा. मीठा लाल मीणा ने कहा कि नोटबंदी के समय उक्त महिला ने जो 2,11,500 की रकम जमा कराई, वह ढाई लाख रुपए की सीमा के अंदर है। इसलिए इसे एक्सेस इनकम नहीं माना जा सकता है। मतलब यह कमाई नहीं है। इसीलिए इस पर कराधान भी नहीं होगा।

ट्रिब्यूनल ने अपने आदेश में कहा कि असेसी ने यह रकम अपने पति, बच्चों और रिश्तेदारों से मिली छोटी-छोटी रकम को जोड़ कर बचाई है। उन्होंने इसका पूरा विवरण भी दिया है। इसे मानने में कोई गुरेज भी नहीं है। इसलिए इस पर कोई टैक्स अथॉरिटी टैक्स नहीं वसूल सकता।

2.5 लाख रुपए तक जमा करने पर मिलेगी छूट
नोटबंदी के दौरान 2.50 लाख रुपए तक जमा करने वाली महिलाओं को छूट देते हुए ITAT ने कहा कि हम स्पष्ट करते हैं कि इस फैसले को नोटबंदी 2016 के दौरान गृहिणियों द्वारा 2.5 लाख रुपए की सीमा तक नकद जमा के चलते होने वाली कार्रवाई के संबंध में उदाहरण माना जा सकता है।

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