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वैक्सीनेशन पर 48 घंटे में बदला सिस्टम:इंदौर-भोपाल सहित 16 नगर निगमों और जिला मुख्यालय क्षेत्रों पर ऑफलाइन नहीं होगा रजिस्ट्रेशन

मध्यप्रदेश  में कोरोना  संक्रमण की रफ्तार कम होने के बाद भी वैक्सीनेशन कछुआ चाल से ही हो रहा है। इसकी वजह यह है कि केंद्र और राज्य सरकार द्वारा बार-बार नियम बदलने का खामियाजा लोगों को उठाना पड़ रहा है। खासकर 18 से 44 साल आयु वर्ग के लोग ज्यादा परेशान हैं।

एक दिन पहले 24 मई को आदेश जारी किया गया था कि अब इस वर्ग के लोग ऑफलाइन यानी सेंटर पर जाकर रजिस्ट्रेशन कराकर वैक्सीन लगवा सकेंगे। 26 मई देर शाम राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने नया आदेश जारी कर दिया। इसमें कहा गया कि अब भोपाल, इंदौर, ग्वालियर व जबलपुर सहित शेष 12 नगर निगम के क्षेत्रों में 100% ऑनलाइन बुकिंग की जाए। जिला मुख्यालयों पर भी यही स्थिति रहेगी। हालांकि इन सभी जगह शाम चार बजे बाद वायल के बचे हुए डोज को बर्बादी से बचाने के लिए ऑफलाइन बुकिंग कर डोज दिए जा सकेंगे, लेकिन यह मात्रा कुल क्षमता से 20% से अधिक नहीं हो सकती।

शेष जिलों में जिला मुख्यालय को छोड़कर गांव-कस्बों क्षेत्रों में वैक्सीनेशन 100% ऑफ लाइन बुकिंग के माध्यम से हाेगा। यहां सेंटर पर टोकन सिस्टम रहेगा। जो व्यक्ति पहले पहुंचेगा, उसे पहले टीका लगाया जाएगा।

दरअसल, वैक्सीनेशन को लेकर केंद्र और राज्य सरकार शुरू से ही असमंजस में रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 अप्रैल को मुख्यमंत्रियों की वर्चुअल बैठक में घोषणा कर दी थी कि 1 मई से 18+ के लोगों को वैक्सीन लगाने का अभियान शुरू होगा। जबकि इससे पहले किसी भी राज्य से सलाह नहीं ली गई थी। इतना ही नहीं, इस वर्ग के लोगों के लिए वैक्सीन देने केंद्र ने हाथ खड़े कर दिए थे। अचानक यह भार राज्य सरकार पर आ गया।

प्रदेश में 18 से 44 वर्ग के लिए 5 करोड़ 29 लाख डोज का इंतजाम करने की नई चुनौती राज्य सरकार के सामने खड़ी हो गई। यह वजह है कि मध्यप्रदेश में 1 मई को अभियान शुरू नहीं हो पाया, क्योंकि वैक्सीन निर्माता कंपनियों ने देश भर के राज्यों से अचानक आई मांग को पूरा करने में असमर्थता व्यक्त कर दी। हालांकि मप्र को पहली खेप में 6 लाख डोज मिल गए थे, इसके बाद 5 मई से अभियान शुरू हो पाया।

इस अभियान के पहले 10 दिनों में प्रदेश डोज की कमी से जूझता रहा, क्योंकि मांग के अनुरूप सप्लाई नहीं हुई। इसे ध्यान में रखकर सरकार ने हर जिले में सिर्फ 1-1 सेशन आयोजित किए। जबकि इस वर्ग के लोग रजिस्ट्रेशन के लिए परेशान हो गए। इसके बाद लोगों ने शहरों के बजाय ग्रामीण क्षेत्रों में खाली स्लॉट बुक करना शुरू कर दिए। ऐसे में ग्रामीणों के कोटे की वैक्सीन शहरी लोागों ने लगवा ली।

कारोना की समीक्षा बैठक में जब यह समस्या मुख्यमंत्री के सामने आई तो उन्होंने निर्देश दिए कि अब ऑनलाइन के साथ ही सेंटर पर ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन होगा। इसको लेकर 17 से शुरू हुए दूसरे सत्र के बीच में ही नया आदेश जारी किया गया। हालांकि कई सेंटरों में ऑफ लाइन रजिस्ट्रेशन नहीं किए गए। जिससे लोग परेशान हुए। इसकी एक वजह वैक्सीन की कमी है। जबकि डोज की उपलब्धता के हिसाब से 22 से 24 मई तक तीन दिन में 3 लाख डोज लगाने का टारगेट रखा गया था, लेकिन साढ़े 4 लाख से अधिक लोग वैक्सीन लगवाने सेंटर्स पर पहुंचे।

सरकार के सामने ग्रामीण इलाकों में वैक्सीनेशन नहीं हो पाने की नई समस्या सामने आ गई। इसके बाद सरकार ने 26 मई को देर शाम फिर नया आदेश जारी कर दिया है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा एंव स्वास्थ्य अधिकारियों को एक आदेश जारी किया। इसमें कहा गया कि प्रदेश के चारों महानगरों भोपाल, इंदौर, ग्वालियर व जबलपुर के अलावा 12 नगर निगम बुरहानपुर, छिंदवाड़ा, सतना, रीवा, देवास, कटनी, खंडवा, मुरैना, रतलाम, सागर, सिंगरौली व उज्जैन के क्षेत्र में 18 से 44 आयु वर्ग के लोगों को 100% ऑनलाइन बुकिंग से ही वैक्सीन लगाई जाएगी।

26 मई देर शाम जारी नया आदेश
26 मई देर शाम जारी नया आदेश

निर्देश में कहा गया है कि अन्य जिला मुख्यालयों में आयोजित सेशन भी पहले की ही तरह 100% ऑनलाइन बुकिंग के होंगे। हालांकि जिला मुख्यालय में एक से अधिक स्थानों पर सेशन संचालित किए जा रहे हैं तो ऐसी स्थिति में कुछ सेशन सुविधानुसार ऑफलाइन किए जा सकते हैं, लेकिन इसके लिए जिले के टीकाकरण अधिकारी की अनुंशसा पर कलेक्टर द्वारा अंतिम निर्णय लिया जाएगा। निर्देश में यह भी कहा गया है कि यदि बुकिंग कराकर शाम 4 बजे तक सेंटर पर यदि लोग नहीं पहुंचते हैं तो ऐसी स्थिति में बची हुई वैक्सीन का उपयोग ऑफलाइन बुकिंग कराने वालों को शाम 4 बजे के बाद लगाई जाए। लेकिन यह 20% से अधिक नहीं होना चाहिए।

45+ के वैक्सीन 18+ को लगाने पर विचार

बुधवार को वैक्सीनेशन की समीक्षा बैठक में विचार किया गया कि 45+ के लिए रिजर्व वैक्सीन का उपयोग 18 से 44 साल आयु के लोगों के लिए किया जाए। इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग की तरफ से मुख्यमंत्री को एक प्रजेंटेशन दिया गया। लेकिन इस पर फिलहाल कोई निर्णय नहीं हो सका। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पर बाद में चर्चा की जाएगी।

वैक्सीनेशन: समस्याएं व प्रयास

- प्रदेश में अब तक 1 करोड़ 82 हजार 585 डोज लग पाए हैं। इसमें से 20 दिनों में 18 से 44 साल आयु के मात्र 9 लाख 56 हजार लोगों को टीका लग पाया है। यह वर्ग जिस रफ्तार से टीका लगवा रहा है, उसकी मांग सरकार पूरी नहीं कर पा रही है। - अब तक केवल कोविशील्ड व कोवैक्सीन के टीके ही सरकार खरीद रही है। अब दोनों कंपनियां मांग के अनुरूप सप्लाई नहीं कर पा रही हैं। - सरकार ने ग्लोबल टेंडर करने का फैसला लेने में भी देर कर दी। दिल्ली, पंजाब, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश सहित 12 राज्यों के बाद मप्र ग्लोबल टेंडर की तरफ गया। - केंद्र से अनुमति मिलने के बाद जब अन्य राज्य ग्लोबल टेंडर जारी कर रहे थे, तब मुख्यमंत्री ने कहा था कि मप्र सरकार ग्लोबल टेंडर नहीं करेगी। लेकिन उन्हें तीन दिन पहले फ्रेंड़स ऑफ एमपी के सदस्य उद्योगपतियों की बैठक में ग्लोबल टेंडर के जरिए वैक्सीन की मांग को पूरा करने की बात कहनी पड़ी।

- उद्योगपतियों की वर्चुअल बैठक में कहा था कि स्पूतनिक का टीका मप्र नहीं खरीदेगा, क्योंकि यहां का तापमान उसके अनुुकूल नहीं है, लेकिन अब सरकार स्पूतनिक के टीके की सप्लाई के प्रयास कर रही है। इसको लेकर मुख्यमंत्री ने बुधवार को डा. रेड्‌डी लैब के मुख्यालय में बात की है।

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