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सेहत:सावन में प्रकृति से मिलेंगे सेहत के कई लाभ, हर पेड़-पौधे से मिलेंगे ढेर सारे फ़ायदे

  • हरे-भरे सावन में प्रकृति अपने आंचल में सेहत के अनमोल तोहफ़े लेकर आती है, जिनका सेवन शरीर को भीतर से दृढ़ बनाता है।

सावन का महीना न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होता है, बल्कि यह ऋतु परिवर्तन का भी समय होता है। आयुर्वेद के अनुसार, वर्षा ऋतु में वात और पित्त दोष असंतुलित हो जाते हैं, जिससे शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर हो सकती है। ऐसे समय में कुछ विशेष औषधीय पौधे त्रिदोष को संतुलित रखने और रोगों से बचाने में अत्यंत प्रभावी माने जाते हैं। इनका सेवन सावन में महत्वपूर्ण है...

नीम इसकी पत्तियों में जीवाणुरोधी और फफूंदरोधी गुण होते हैं, जो त्वचा रोगों और संक्रमण से रक्षा करते हैं। उपयोग- नीम की पत्तियों को उबाल लें। उसके पानी को सादे पानी में मिलाकर नहाएं। इस समय नीम की दातुन मुंह की सफ़ाई और मसूड़ों के लिए लाभकारी है।

हल्दी हल्दी की पत्तियां इस समय फंगलरोधी, जीवाणुनाशक वे वात-पित्त संतुलनकारी गुणों के कारण विशेष रूप से उपयोगी होती हैं। उपयोग हल्दी की पत्तियों को पीसकर नारियल तेल में मिलाकर लगाने से त्वचा से खुजली, फंगल संक्रमण जैसी समस्याएं दूर होती हैं। सावन में ख़ासकर व्रत या तीज-त्योहार के पकवानों में इसका प्रयोग किया जा सकता है।

कढ़ी पत्ता इसकी पत्तियां त्रिदोषहर (वात, पित्त, कफ संतुलनकारी), अग्निदीपक (पाचन शक्ति बढ़ाने वाली) और नेत्र व यकृत (लीवर) के लिए लाभकारी होती हैं। उपयोग- सावन में अपच, पेट फूलना और गैस की समस्या आम होती है। कढ़ी पत्ते को छाछ, दाल या सब्ज़ी में तड़के के रूप में उपयोग कर सकते हैं।

गिलोय इसे आयुर्वेद में ‘अमृता’ कहा गया है क्योंकि यह बुख़ार, कमज़ोरी और डेंगू जैसी बीमारियों में प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाता है। गिलोय का काढ़ा सर्दी, खांसी और अन्य मौसमी बीमारियों से बचाने में भी मदद करता है। उपयोग- दो कप पानी में गिलोय की पत्तियां, थोड़ी-सी हल्दी, कुछ पत्तियां पुदीने की, थोड़ी-सी दालचीनी, काली मिर्च, अदरक, लौंग और शहद डालकर पकाएं। जब यह पककर आधा हो जाए तब ठंडा करके इसका सेवन करें।

तुलसी इसकी पत्तियां श्वसन तंत्र को मज़बूत करती हैं और वायरल बुख़ार व ज़ुकाम के उपचार में बेहद उपयोगी हैं। उपयोग- तुलसी की चाय या काढ़ा सर्दी-जुक़ाम में लाभदायक है। सामान्य रूप से भी रोज़ इसका इस्तेमाल चाय में करना फ़ायदेमंद होगा।

अदरक सावन में जब वातावरण में अत्यधिक नमी के कारण पाचन संबंधी परेशानियां, सर्दी-जु़काम और त्वचा संक्रमण बढ़ जाते हैं, तब अदरक और उसकी पत्तियां फ़ायदेमंद साबित होती हैं। उपयोग- इसकी पत्तियों को खाने में उपयोग कर सकते हैं। अदरक की चाय बना सकते हैं और इसको पानी में उबालकर भाप भी ले सकते हैं।

ब्राह्मी सावन का महीना जहां वातावरण को ठंडा और शांत करता है, वहीं मानसिक थकावट, आलस्य और चिंता जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं। ऐसे में ब्राह्मी का उपयोग शरीर और मन दोनों के लिए अमृत समान होता है। उपयोग- 6-8 ताज़ी पत्तियों को एक कप पानी में उबालें। इसमें तुलसी, पुदीना या शहद मिलाकर पिएं।

अश्वगंधा सावन में शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता और मानसिक ऊर्जा कमज़ोर हो जाती है। इस दौरान अश्वगंधा थकान, तनाव और कमज़ोरी से लड़ने में मदद करता है। उपयोग- अश्वगंधा की पत्तियों का काढ़ा बनाकर पीने से तनाव व थकान दूर होती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है। काढ़ा बनाने के लिए इसकी 4-5 पत्तियों को पानी में उबालें। इसमें थोड़ा-सा शहद मिलाकर दिन में एक बार सेवन करें।

उपयोग से पहले ध्यान दें

  • कुछ लोगों को ब्राह्मी, नीम या अदरक से एलर्जी हो सकती है। अत: शुरू में थोड़ी मात्रा लें और शरीर की प्रतिक्रिया देखें।
  • अधिक मात्रा में सेवन न करें।
  • गर्भवती या स्तनपान कराने वाली माताएं या गंभीर बीमारियों से ग्रसित लोग डॉक्टर की सलाह से ही किसी औषधि का सेवन करें।

पेड़ों की छांव भी देगी लाभ

  • सावन का महीना पौधे लगाने के लिए उपयुक्त समय होता है। आप वे पौधे घर के आसपास लगा सकते हैं जिनकी जड़ें घर की नींव को नुक़सान न पहुंचाएं।
  • अशोक लंबा व सीधा बढ़ने वाला यह पेड़ सुंदरता और छांव दोनों प्रदान करता है। इसकी जड़ें सतही होती हैं, इसलिए इसे घर के पास भी लगाया जा सकता है।
  • नीम इसका पेड़ वातावरण को शुद्ध करता है। इसे घर से थोड़ा दूर लगाना बेहतर होता है क्योंकि इसकी जड़ें थोड़ी गहराई में जाती हैं, पर नुक़सान नहीं पहुंचातीं।
  • गुलमोहर यह आकर्षक फूलों और छांव के लिए जाना जाता है। अगर इसका फैलाव सीमित रहे तो यह छोटे बाग़ीचों में भी लगाया जा सकता है।
  • कचनार छोटा लेकिन छांव देने वाला पेड़, जो औषधीय गुणों से युक्त है। इसका आकार ज़्यादा ऊंचा नहीं होता, इसलिए घर के पास लगाना उपयुक्त है।
  • सहजन/मुनगा इसकी जड़ें अधिक गहराई तक नहीं जातीं और यह बहुत तेज़ी से बढ़ता है, इसलिए छोटे स्थानों में भी लगाया जा सकता है।

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