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सेहत:बढ़ती उम्र के साथ खानपान का ध्यान रखना ज़रूरी है, इसलिए अगर साठ के हो गए हैं तो इस तरह खानपान बेहतर कर सकते हैं

  • आपका खानपान आपकी उम्र के अनुकूल होना चाहिए। अगर आप साठ बरस के हैं तो आपके लिए क्या खाना अच्छा है और क्या नहीं, इस लेख में जानिए।

बढ़ती उम्र के साथ शरीर की ज़रूरतें भी बदलती हैं। ख़ासकर 60 वर्ष की उम्र के बाद। मन मीठे और तले जैसे तरह-तरह के व्यंजनों की तरफ आकर्षित होता है। परंतु उम्र के इस पड़ाव में आपका भोजन ऐसा होना चाहिए जो शरीर को ऊर्जा दे, पाचन को सहज बनाए और दिनभर ऊर्जावान और हल्का महसूस कराए। आपका स्वास्थ्य अच्छा रहे, इसके लिए यह ज़रूरी है कि आप अपने खानपान का ध्यान विशेष रूप से रखें। पौष्टिक खानपान शारीरिक रूप से स्वस्थ रखने के साथ-साथ आपको मानसिक रूप से प्रसन्न और ऊर्जावान बनाए भी रखेगा।

तले-भुने खाने से दूरी ज़रूरी

60 की उम्र के बाद शरीर की पाचनशक्ति धीरे-धीरे कम होने लगती है। इस अवस्था में तले-भुने और भारी खाद्य पदार्थ, जैसे- समोसा, कचौरी, चकली, भुजिया आदि पचाना मुश्किल हो जाता है। यह भोजन सिर्फ़ पेट पर भारी नहीं पड़ता, बल्कि गैस, एसिडिटी और थकान का कारण भी बनता है। जब शरीर में लगातार भारीपन रहता है तो नींद, मनोदशा और ऊर्जा का स्तर भी प्रभावित होता है। अक्सर देखा गया है कि बुज़ुर्गों को हर बार चाय के साथ कुछ कुरकुरा या तला हुआ खाने की इच्छा होती है, लेकिन यह आदत धीरे-धीरे नुक़सानदेह बन सकती है।

बेहतर विकल्प... तेलयुक्त खाने की जगह भुने हुए मखाने, मूंग दाल चीला, ढोकला या जीरा-हींग से तड़की हुई हल्की सब्ज़ियां खा सकते हैं। ये ना सिर्फ़ स्वादिष्ट होते हैं, बल्कि शरीर को हल्का और संतुलित भी रखते हैं।

मिठास और मैदे से करें परहेज़

उम्र के इस पड़ाव में मीठा और मैदे से बनी चीज़ें धीमा ज़हर साबित हो सकती हैं। बिस्किट, केक, मैदे के टोस्ट, मिल्क केक, हलवा या पेड़ा जैसी मिठाइयां देखने में तो लज़ीज़ लगती हैं, लेकिन इनमें पोषण नहीं होता। ये रक्त शर्करा को तेज़ी से बढ़ाती हैं, कब्ज़ को जन्म देती हैं और लंबे समय में मधुमेह, जोड़ों का दर्द और थकान की वजह बन सकती हैं। भोजन के बाद मीठा खाना अच्छा लगता है, लेकिन अब ये आदत नुक़सानदेह हो सकती है। इस आदत को पूरी तरह ख़त्म किए बिना भी हम बेहतर विकल्प दे सकते हैं।

बेहतर विकल्प... मीठे के लिए गुड़-तिल से बने लड्डू, रागी लड्डू, 1-2 खजूर या भोजन के बाद आधा चम्मच गुलकंद ले सकते हैं। मैदे की जगह, मौसम के अनुसार मिलेट्स (जैसे- बाजरा, जौ आदि) की रोटी, सब्ज़ियों के साथ बेसन का टोस्ट और घी वाला पोहा भी बेहतर विकल्प हैं।

ठंडी और खट्टी चीज़ों से बचें

रोज़ भोजन में चटपटा अचार, ठंडी चीज़ें व पैक्ड ड्रिंक्स शामिल होना आम हो गया है। लेकिन यह आपके शरीर में जलन, उच्च रक्तचाप और वात जैसी समस्याएं बढ़ा सकती हैं। बाज़ार के तीखे और तेल से भरे हुए अचार में अत्यधिक सोडियम होता है, जिससे शरीर में पानी रुकता है और रक्तचाप असंतुलित हो सकता है। इसी तरह, फ्रिज से निकले काफ़ी देर पहले से कटा सलाद, ठंडी लस्सी, कोल्ड ड्रिंक्स या पैक्ड जूस पाचन को बिगाड़ते हैं और शरीर में सूखापन, गैस और थकान पैदा करते हैं।

बेहतर विकल्प... इनके स्थान पर घर में बना नींबू या आंवले का कम तेल-मसाले वाला सादा अचार, पुदीना-धनिए की चटनी, जीरे वाली छाछ या गर्म सूप बहुत लाभकारी साबित हो सकते हैं। गर्म सूप पिएं और भाप में पकी सब्ज़ियां खाएं। पेय में नींबू-पुदीना पानी या जीरा-धनिया का उबला पानी शरीर को ठंडक भी देगा और पाचन को भी मज़बूत बनाएगा।

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