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पति व भाइयों की मौत से बिगड़ा मानसिक संतुलन:इंदौर की सड़कों पर यहां-वहां घूमने लगी; विक्षिप्त महिला के रेस्क्यू की कहानी

इंदौर शहर के शास्त्री ब्रिज और भण्डारी ब्रिज के आसपास के इलाकों में बीते कई सालों से घूमने वाली एक विक्षिप्त महिला अब ठीक होकर घर लौट गई है। सेंधवा की रहने वाली इस महिला की कहानी बेहद दर्दभरी है। जिसके बारे में उसने खुद ठीक होने के बाद बताया। महिला के पति और दो भाइयों की कुछ साल पहले एक्सीडेंट में मौत हो गई थी।

महिला के दो बेटे हैं, व बिगड़ न जाएं इसलिए महिला ने उन्हें एक मठ को सौंप दिया। इन सदमों से कुछ ही समय में उसका मानसिक संतुलन बिगड़ गया। उसे खुद याद नहीं कि वह कैसे इंदौर आ गई। वह अक्सर शास्त्री ब्रिज के ऊपर या नीचे घूमती दिखती थी।

लग गई थी सिगरेट और शराब की लत

कुछ शरारती तत्वों ने उसे सिगरेट, तम्बाकू और शराब दे दी, जिससे उसे उन चीजों की लत लग गई और वो स्वभाव से हिंसक भी हो गई। वह अपने पास चाकू, ब्लेड या पत्थर रखने लगी और उससे लोगों पर हमले करने लगी। कई बार वह फुटपाथ पर ही सोती नजर आई। प्रवासी सम्मेलन के कुछ महीने पहले शहर में भिखारियों के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया था, तब उसे बड़ी मशक्कत से पकड़ा गया। उसका इलाज कराया गया। अब वह ठीक होकर अपने माता-पिता के पास सेंधवा में है। जानिए महिला की कहानी…

पहले वह लोगों पर उग्र होकर हमले कर देती थी।
पहले वह लोगों पर उग्र होकर हमले कर देती थी।

महिला की उम्र करीब 50 वर्ष है। दिन में तो वह शास्त्री ब्रिज पर दिखाई देती थी, लेकिन रात ब्रिज के नीचे गुजारती थी। वह कई बार वहां से आते-जाते लोगों पर हमले भी कर देती थी, लोग उसे और ज्यादा चिढ़ाते, जिससे वह गुस्सैल होती गई। इसी बीच कुछ आवारा किस्म के लड़कों ने उसे सिगरेट, नशीला पावडर और शराब देना शुरू कर दिया। नगर निगम और संस्था 'प्रवेश' द्वारा भिक्षुक मुक्त शहर अभियान में उसका भी रेस्क्यू प्लान किया गया। इसके लिए टीम ने उसे तीन बार उठाकर ले जाने की कोशिश की, लेकिन वह ज्यादा हिंसक होकर हमले करने लगती। कई बार तो उसने खुद पर ही हमला कर घायल कर लिया।

11 लोगों की टीम ने मशक्कत के बाद पकड़ा

रेस्क्यू ऑपरेशन में उसे पकड़ना भी आसान नहीं था।
रेस्क्यू ऑपरेशन में उसे पकड़ना भी आसान नहीं था।

आखिरकार प्रवासी भारतीय सम्मेलन के पहले उसे चौथी बार पकड़ने का प्रयास किया गया। इसके लिए 11 लोगों की टीम मौके पर पहुंची, जिनमें तीन महिला पुलिसकर्मी भी शामिल थीं। ब्रिज पर जब उसे पकड़कर ले जाने का प्रयास किया तो वह काबू से बाहर होकर हिंसक हो गई, जिसमें वॉलंटियर ज्योति गुर्जर घायल हो गईं। भारी मशक्कत के बाद उसे कार की पिछली सीट पर बैठाया गया तो रास्ते भर वह खिड़की खोलकर बाहर कूदने के प्रयास करती रही।

मेंटल हॉस्पिटल की खिड़की से कूदी तो कूल्हे की हड्‌डी टूट गई

रेस्क्यू के दौरान जब उसे कार में बैठाया गया तो उसने टीम पर ऐसा आक्रामक रवैया अपनाया।
रेस्क्यू के दौरान जब उसे कार में बैठाया गया तो उसने टीम पर ऐसा आक्रामक रवैया अपनाया।

रेस्क्यू के बाद महिला को बाणगंगा स्थित मेंटल हॉस्पिटल ले जाया गया। यहां भी वह स्टाफ के काबू में न आई। उसे एनेस्थिसिया के इंजेक्शन लगाने की कोशिश की गई तो वह वार्ड की खिड़की से कूद गई। जिससे उसके कूल्हे की हड्‌डी टूट गई। उसे इंजेक्शन देकर एमवाय अस्पताल ले जाया गया जहां उसका इलाज चला। ठीक होने के बाद उसे फिर मेंटल हॉस्पिटल लाया गया। वहां करीब दो माह तक चले इलाज के बाद वह धीरे-धीरे सामान्य हुई और उसे पैनिक अटैक आना भी बंद हो गए।

दवाईयों व काउंसिंग से मानसिक स्थित में आया सुधार

स्थिति में सुधार होते ही उसकी काउंसलिंग शुरू की गई। 'प्रवेश' संस्था की अध्यक्ष रूपाली जैन ने बताया कि उसे मेंटल ह़ॉस्पिटल से परदेशीपुरा स्थित भिक्षुक गृह में लाया गया ताकि यहां उसका पुनर्वास किया जा सके। महिला को बहुत कुछ तो याद नहीं है लेकिन उसने खासतौर पर यह बताया कि वह मूलत: सेंधवा की रहने वाली है तथा काली माता की उपासक है। उसने अपना नाम सरिता बताया। उसने बताया कि उसके पति की एक्सीडेंट में मौत हो गई थी। फिर कुछ दिनों बाद दोनों भाइयों की भी एक्सीडेंट में मौत हो गई जबकि एक भाई ने एक मर्डर कर दिया था, उसके बाद से वह लापता है। इन हादसों के बाद उसने अपने दोनों बेटों को मठ को सौंप दिया। यह मठ कौन सा है उसे ठीक से याद नहीं था। इस पर पहले तो महिला के माता-पिता का पता लगाया गया।

अब 'कजरा रे कजरा रे' पर शानदार डांस

ठीक होने के बाद खुशी के पल। अपने पसंदीदा गीत पर नाचती सरिता।
ठीक होने के बाद खुशी के पल। अपने पसंदीदा गीत पर नाचती सरिता।

इलाज व काउंसलिंग से सरिता की हालत में और ज्यादा सुधार हो गया। वह खुद भोजन करने लगी और ठीक से बात करने लगी। धीरे-धीरे वह हंसी मजाक व गीत-संगीत में शामिल होकर गाना गाने व नाचने भी लगी। उसकी पसंद का गीत ‘कजरा रे-कजरा रे…’ पर वह खूब थिरकी। करीब 15 दिन पहले उसे सेंधवा में रहने वाले माता-पिता को सौंप दिया गया। उसके पिता ट्रांसपोर्ट व्यवसायी हैं। इसके साथ ही उसके दोनों बे़टों के बारे में कई मठों से जानकारी निकाली गई तो पता चला कि एक बेटा जयपुर के नारायणदास मठ में है जबकि दूसरा बेटा अयोध्या के मठ में है। जयपुर मठ के प्रबंधन ने बताया कि बेटा कई सालों से मठ में सेवादार है। इस पर सरिता ने अब बेटे से मिलने की इच्छा जाहिर की है।

जाते-जाते डायरी में शेरों शायरी व संदेश

जाने से पहले सरिता ने यहां डायरी पर अच्छी शेरों शायरी व अच्छे संदेश भी लिखे और खुश होकर गई। जल्द ही उसका परिवार व एनजीओ सदस्य उसके बेटों से मिलाने मठ ले जाएंगे। लेकर जाएंगे।

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