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इंदौर साइंटिस्ट की मौत की गुत्थी अब भी नहीं सुलझी:भाई बोले- बृजगौरव ने हाल ही में कैंसर की चमत्कारिक दवा बनाने का दावा किया था

इंदौर कैंसर और शरीर में ब्लड क्लॉटिंग पर रिसर्च करने आए हैदराबाद के साइंटिस्ट बृजगौरव शर्मा (36) की मौत की गुत्थी उलझ गई है। उनके बड़े भाई वीके शर्मा और मनोज का आरोप है कि बृज ने कुछ दिन पहले फोन पर चर्चा में कैंसर के लिए चमत्कारिक दवा बनाने का दावा किया था। इसके लिए इंदौर की गुर्जर फाइटोकेंप लैब में काफी रिसर्च की थी। रिसर्च के लिए तीसरी बार इंदौर आया था।

ऐसे में उनकी मौत होना संदिग्ध है। भाई मनोज का कहना है कि बृजगौरव 32 से ज्यादा बड़ी रिसर्च कर चुके थे। कई रिसर्च पेपर अमेरिकी मैग्जीन में छपे हैं। मनोज काे संदेह है कि उनके रिसर्च को हथियाने के लिए कोई बड़ी साजिश तो नहीं हुई। जब वे होटल अशोका से तबीयत खराब होने पर अस्पताल जाने के लिए निकले तो खुद पैदल चलते जाते दिख रहे हैं। अस्पताल पहुंचने से पहले मौत कैसे हो सकती है।

आर्मी के लिए माइनस 10 डिग्री में दही जमाने का डिवाइस बनाया
बड़े भाई वीके शर्मा ने बताया कि डीआरडीओ में रहते हुए बृज ने माइनस 10 डिग्री तापमान में दही जमाने का डिवाइस बनाया था। बर्फीले इलाकों में आर्मी जवानों को खाना न पचने की शिकायत दूर करने के लिए इसे बनाया था।

दूसरे दिन भी नहीं मिली शॉर्ट पीएम रिपोर्ट
इधर, एमवाय अस्पताल से अब तक पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट नहीं मिल पाई है, जिससे जांच आगे नहीं बढ़ पा रही है। फॉरेंसिक मेडिसिन डिपार्टमेंट (नागरिक अधिकार सूचना पत्रक) के अनुसार, गंभीर मामले में तत्काल पुलिस को शॉर्ट पीएम रिपोर्ट देना जरूरी हाेता है। विजयनगर टीआई रवींद्र गुर्जर का कहना है कि हमारे जांच अधिकारी दो बार अस्पताल गए, लेकिन सीनियर डॉक्टर नहीं होने से शॉर्ट पीएम रिपोर्ट नहीं मिल पाई।

लैब डायरेक्टर बोले- बड़ी रिसर्च नहीं कर रहे थे
इधर, सांवेर रोड की लैब के डायरेक्टर रवींद्र और वीरेंद्र मंडलोई का कहना है कि बृजगौरव यहां कोई बड़ी रिसर्च नहीं कर रहे थे। वे एनबीआई बायोसाइंस कंपनी के लिए बसेला के पौधे और रेड राइस इस्ट (लाल चावल पर जमने वाली फफूंद) को लेकर रिसर्च कर रहे थे, लेकिन नतीजे अनुकूल नहीं मिल पा रहे थे।

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