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इंदौर ने बनाया रिसाइकिलिंग का नया मॉडल:बोतलों से बना रहे कपड़े सहित सात उत्पाद

इन को रिसाइकल कर प्लास्टिक के दाने तैयार किए जाते हैं। इन्हीं से अलग-अलग प्रोडक्ट बना रहे। - Dainik Bhaskar

इन को रिसाइकल कर प्लास्टिक के दाने तैयार किए जाते हैं। इन्हीं से अलग-अलग प्रोडक्ट बना रहे।

कोल्डड्रिंक, पानी, सिरप, तेल सहित अन्य प्रकार की प्लास्टिक बॉटल्स (पेट बॉटल्स) जिसे कबाड़ी भी नहीं लेता था और लोग यहां-वहां फेंक दिया करते थे, उससे इंदौर ने रिसाइकिलिंग का नया मॉडल खड़ा कर दिया है। इन बॉटल्स को इंदौर के सांवेर रोड के उद्योगपति न सिर्फ रिसाइकिल कर रहे हैं, बल्कि इससे नया उद्योग शुरू हो गया है। इन बॉटल्स को रिसाइकल कर प्लास्टिक के दाने तैयार किए जाते हैं। इन दानों से दोबारा बॉटल्स के साथ कपड़ा, फिलामेंट, शीट, स्टेपल फाइबर बनाए जा रहे हैं। इस तरह की रिप्रोसेसिंग पहले यूरोप में ही होती थी।

नगर निगम के वेस्ट टू वेल्थ मॉडल को इंदौर के उद्योगपति नेक्स्ट लेवल पर ले जा रहे हैं। यहां के उद्योग जगत ने सिंगल यूज प्लास्टिक की बॉटल्स को भी रिसाइकिल कर उद्योग के नए द्वार खोल दिए हैं। कोल्ड्रिंक, पानी, सिरप, तेल सहित अन्य प्रकार की प्लास्टिक बॉटल्स, जिन्हें टेक्निकल रूप से पेट बॉटल्स कहा जाता है उनकी रिसाइकिलिंग भी इंदौर के उद्योगपतियों ने शुरू कर दी है। कचरे की तरह फेंका जाने वाला यह स्क्रैप प्लास्टिक अब 30 से 40 रुपए किलो की दर तक बिक रहा है। इंदौर के ट्रेंचिंग ग्राउंड पर सूखे कचरे को 12 प्रकार से छंटनी का प्लांट नेफ्रा कंपनी द्वारा लगाया गया है। इससे इंदौर नगर निगम को 1.5 करोड़ की सालाना आमदनी होती है। इंदौर के व्यापारी इस प्लांट से पेट बॉटल्स खरीद रहे हैं। इससे प्लास्टिक प्रोसेस की अगली चेन शुरू हो गई है।

बॉटल्स से दाने तक 7 स्टेज का सफर ऐसे तय होता है

सांवेर रोड पर रिसाइकिलिंग से जुड़ी फैक्टरी के डायरेक्टर अमित टिबड़ेवाल और हर्ष राणावत ने बताया फैक्टरी में एक दिन में 30 टन वेस्ट प्लास्टिक को रिसाइकिल कर रहे हैं। सबसे पहले बॉटल्स को मशीन में डाला जाता है। इसके बाद रोलर छलनी के जरिए प्लास्टिक बॉटल के ढक्कन और रेपर अलग किए जाते हैं। कनवेयर बेल्ट पर 10 कर्मचारी छंटनी करते हैं। एसिड से बॉटल को साफ करते हैं। फिर क्रशर में डाला जाता है। एसिड और आरओ वॉटर के ट्रीटमेंट से प्लास्टिक के दाने बनाते हैं, जिनसे अलग-अलग उत्पाद बन रहे हैं।

यूरोप में 30 % पेट बॉटल्स की रिसाइकिलिंग अनिवार्य, भारत में नियम ही नहीं

उद्योगपतियों ने बताया यूरोप में सभी कंपनियों को पेट बॉटल्स बनाने में वर्जिन प्लास्टिक दाने के साथ 30% रिसाइकिल दाने का भी इस्तेमाल करना होता है। भारत में अभी तक ऐसा कोई नियम नहीं है। यह नियम भारत में भी बनाए जाने की जरूरत है।

कुर्सियां और कृषि उपयोगी पाइप भी बन रहे

इन उद्योगपतियों ने सिंगल यूज प्लास्टिक पॉलिथीन जैसे पन्नी और स्क्रैप से भी 5 स्टेज में प्लास्टिक दाना बनाना शुरू कर दिया है। इससे कृषि उपयोगी पाइप, काली बरसाती, कुर्सी, डलिया, बास्केट सहित अन्य चीजें बनाई जा रही हैं।

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