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रहवासी महासंघ द्वारा निपानिया क्षेत्र में नए पुलिस स्टेशन स्थापित करने की मांग

इंदौर: शहर के सबसे तीव्र गति से विकसित हो रहे निपानिया, पिपलियाकुमार क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली विभिन्न कॉलोनियों की जन समस्याओं का स्थानीय शासन, प्रशासन के सहयोग निवारण करने तथा क्षेत्र की कानून व्यवस्था को स्थानीय पुलिस के सहयोग से सुदृढ़ करने हेतु वार्ड 36 - 37 रहवासी महासंघ की एक महा बैठक  तुलसी नगर स्थित सरस्वती मंदिर प्रांगण में आयोजित की गई, जिसमें वार्ड 36 एवं 37 के विभिन्न कॉलोनियों विशेषरूप से तुलसी नगर, महालक्ष्मी नगर, साईं कृपा कॉलोनी, एम् आर 4, चिकित्सक नगर, पुष्प विहार एक्सटेंशन, सन सिटी, अपोलो डी बी सिटी, बी सी एम् पैराडाइज़, पावन धाम, अमृत पैलेस एवं अन्य कॉलोनियों के रहवासियों तथा रहवासी संघों के पदाधिकारियों ने भाग लिया।  बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार, स्थानीय पुलिस प्रशासन से वार्ड 36 एवं 37 के पिपलियाकुमार एवं निपानिया क्षेत्र के रहवासियों के सुविधा हेतु, एक नए पुलिस थाने के स्थापना की मांग की। रहवासियों के अनुसार, चूँकि वर्तमान में पूरा निपानिया एवं पिपलिया कुमार क्षेत्र लसूड़िया थाने के अंतर्गत आता है, इस क्षेत्र के सुरक्षा की सम्पूर्ण  जिम्मेदारी  लसूड़िया थाने के अंतर्गत आती है।  थाने का कार्य क्षेत्र काफी बड़ा होने तथा लसूड़िया थाने में संसाधनों एवं स्टाफ की कमी के कारण , यहाँ के पुलिस जवानों के कन्धों पर अतिरिक्त भार होता है, जिसके कारण क्षेत्र का समुचित रूप से पोलिसिंग नहीं हो पता। इन समस्याओं को दृष्टिगत रखते हुए यह निर्णय लिया गया कि इंदौर पुलिस कमिश्नर के साथ साथ प्रदेश के गृह मंत्री से निपानिया क्षेत्र में एक अलग से पुलिस स्टेशन स्थापित करने की मांग की जाएगी।

रहवासी महासंघ द्वारा क्षेत्र में कुकुरमुत्तों की तरह तथाकथित राजनीतिक एवं आपराधिक सांठगांठ के अंतर्गत हो रहे हॉस्टलों एवं होटलों के निर्माण तथा इससे क्षेत्र के रहवासियों को हो रही परेशानियों पर चिंता व्यक्त करते हुए, रहवासी क्षेत्रों में इसके निर्माण पर रोक लगाने की शासन से मांग करने की बात की गई।
बैठक में रहवासियों द्वारा एडवांस एकेडमी स्कूल एवं स्किम न. 134 स्थित कब्रगाहों को क्षेत्र के नागरिकों की जन भावनाओं और इससे हो रही असुविधाओं को दृष्टिगत रखते हुए कहीं दूर अन्यत्र स्थानांतरित करने की मांग की गयी।  रहवासियों ने कहा कि इस सन्दर्भ में यदि स्थानीय एवं जिला प्रशासन द्वारा शीघ्र कार्रवाई नहीं की गयी तो वे जन आंदोलन करने पर बाध्य होंगे।

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