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उदयपुर की गला रेतने वाली घटना पर 'कैलाश' बोल:मदरसे में पढ़ा हुआ व्यक्ति डॉक्टर, इंजीनियर नहीं बन पाता

मदरसे में पढ़ा हुआ, व्यक्ति डॉक्टर, इंजीनियर नहीं बन पाता। हम चाहते हैं कि मदरसे में पढ़ा व्यक्ति डॉक्टर, इंजीनियर भी बने। कुरान के अलावा दूसरी शिक्षा भी मदसरों में दी जाए। मदरसों में दी जाने वाली शिक्षा को लेकर सरकार और समाज दोनों को विचार करना होगा। हम चाहते हैं कि मदरसे में कुरान की पढ़ाई कराए, इसमें कोई आपत्ति नहीं, लेकिन दूसरे हाथ में कम्प्यूटर भी दें। कम्प्यूटर के माध्यम से आधुनिक शिक्षा भी दें। इसका प्रयोग असम, उप्र में चालू हो गया है और अन्य राज्य भी करेंगे। इसमें समाज सरकार के साथ है। कहीं, अतिवादी लोग विरोध करेंगे तो संभव नहीं होगा, इसलिए समाज की भी जवाबदारी है कि वह इसका साथ दें। यह बात उदयपुर की घटना को लेकर भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कही।

भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय रविवार को चुनावी मैदान में उतरे और कांग्रेस के मेयर प्रत्याशी संजय शुक्ला को नसीहत दी। शुक्ला द्वारा शहर में खुद की ओर से पांच ब्रिज बनाने की घोषणा को लेकर उन्होंने कहा कि बचकाना बयान है। राजनीति में ऐसा होता नहीं है। शुक्ला अपने ट्राले ही बंद कर दें तो शहर का ट्रैफिक सुधर जाएगा। विजयवर्गीय ने कहा कि 10 साल बाद, 25 साल बाद और 50 साल बाद शहर कैसे होगा, इसकी कल्पना हमें है और भ‌विष्य का प्लान है। तब मेट्रो ट्रेन उज्जैन, पीथमपुर, घाटा बिल्लौद पहुंच गई होगी।

देश में अस्थिरता फैलाने वालों को राजनीतिक संरक्षण नहीं मिलना चाहिए
उन्होंने कहा कि उदयपुर की घटना दर्दनाक है। कांग्रेस उसे एक सामान्य कत्ल मान रही है। वह सामान्य कत्ल नहीं, बल्कि समाज में आतंक फैलाने का स्वरूप है। समाज में हत्या होती रहती है, लेकिन कोई प्लानिंग से हत्या करे, वीडियो बनाए, दिखाए, इसका मतलब वह समाज में आतंक फैलना चाहता है। उनके तार कहां से जुड़े आपको पता होगा। ये ताकतें देश को दुनिया में बदनाम करना चाहती हैं। उसे राजनीतिक संरक्षण नहीं मिलना चाहिए। कहीं, यह घटना उप्र में होती तो क्या होता।

केबल कार का प्रयोग हम बहुत जल्द करने वाले हैं।
उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के बयान पर जोर दिया और कहा कि केबल कार का प्रयोग हम बहुत जल्द करने वाले हैं। मैं न्यूयार्क गया था तो केबल कार में बैठकर आया। लोगों ने केबल कार को लेकर काफी कुछ कहा था। जब भी यह प्लान आता था तो लोग कहते थे कि यह रिस्की होगा। बाद में इसका मैनेजमेंट कर रहे लोगों से मेरी बात भी हुई। केबल कार एक बहुत अच्छा प्रयोग है और मेट्रो की तुलना में 10 प्रतिशत पैसा लगता है। हम केबल कार का प्रयोग करेंगे। 25 साल बाद आपको पूर्व से पश्चिम में जाना है तो आसानी से जा सकते हैं व सड़क के ट्रैफिक का सामना नहीं करना पड़ेगा। हम ऐसा इंदौर बनाना चाहते हैं कि लोग ये कहे कि हम हमारा शहर इंदौर जैसा बनाना चाहते हैं।

शहर में गांव की खुशबू भी रहेगी
विजयवर्गीय ने अपने महापौर कार्यकाल वर्ष 2000 बयान का जिक्र किया कि मैंने तब कहा था कि हम इंदौर को इंदौर जैसा बनाएंगे, जहां मेट्रोपोलिटन सिटी भी होगी और गावडे (मालवा) की खुशबू भी रहेगी। इसके लिए उन्होंने संजा संस्कृति पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा हमारी योजना सीमेंट का जंगल खड़ा करना, नहीं बल्कि जनता से भावनात्मक जुड़ाव का भी है। इंदौर देश में नंबर वन है, लेकिन दुनिया में नंबर वन कैसे बने, इस दिशा में ले जाएंगे। इसके लिए 10 से 25 साल तो लगते ही हैं।

कलेक्टर से ज्यादा मैंने रेमेडेसिविर दिए
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि नौकरशाही पर नियंत्रण करना जरूरी होता है। जब नियंत्रण करने वाला कोई नहीं होता तो थोड़ी सीमा पार हो जाती है। मैं यह नहीं कहता कि नौकरशाही ने गड़बडी नहीं की है, लेकिन जब हमारी परिषद आएगी तो फिर नियंत्रण में कर लेगी। इंदौर के हर मुद्दे को खुद के द्वारा उठाने पर कहा कि ऐसा नहीं है, सारे विधायक व सांसद मेरे साथ हैं। मैं बंगाल में था और इंदौर में ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी तो मैंने वहां रहकर इंदौर के लिए ऑक्सीजन की व्यवस्था की।

मैंने पूरे देश से रेमेडेसिविर मंगाकर इंदौर में दिए और सबसे ज्यादा दिए। जितने कलेक्टर ने नहीं दिए उससे ज्यादा मैंने लाकर दिए। मेरा इंदौर से प्यार है और उसे वैसे ही प्यार करता हूं जैसे मां से। इंदौर में गलत हाथों में न चला जाए इसकी चिंता रहती है। मैं देश के लिए राष्ट्रीय महामंत्री हूं लेकिन इंदौर के लिए भाजपा का कार्यकर्ता हूं। इसके साथ ही उन्होंने अपने महापौर कार्यकाल की उपलब्धियां बताई।


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