हार्ट, ब्लडप्रेशर, शुगर, थायराइड में काम आने वाली दवाओं के साथ एंटीबायोटिक्स सहित 750 से ज्यादा किस्म की दवाइयां करीब 11% महंगी होने वाली हैं। चाइना से रॉ मटेरियल की सप्लाई में आई कमी और ईंधन के दाम बढ़ने से परिवहन लागत में हुए इजाफे को देखते हुए नेशनल फार्मा प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) ने शेड्यूल दवाइयों की कीमत बढ़ाने की घोषणा की है। हालांकि इसका असर एकदम दिखाई नहीं देगा। 1 अप्रैल या उसके बाद बनने वाली दवाइयां नई कीमत पर ही आएंगी। दवाइयों के नए लॉट मार्केट में आने में दो-तीन महीने का समय लगेगा।
दवा व्यवसायी धर्मेंद्र कोठारी के अनुसार, जिन दवाइयों की कीमत बढ़ाई गई हैं, वे जरूरी दवाइयों की श्रेणी में हैं। इन्हें ही शेड्यूल दवाइयां कहते हैं। इनकी कीमत सरकार तय करती है। एनपीपीए इनकी कीमत नियंत्रित करता है। ऐसी 750 से ज्यादा दवाइयां हैं। नॉन शेड्यूल दवा के रेट सरकार तय नहीं करती है। उनकी कीमतें बाजार पर निर्भर करती हैं।
दो-तीन महीने में दिखेगा असर
इंदौर केमिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष विनय बाकलीवाल बताते हैं फिलहाल पुराने लॉट की दवाइयां मार्केट में हैं, जो पुरानी कीमतों पर ही लोगों को मिलेंगी। अभी एकाएक नए दाम लागू नहीं हो रहे हैं। दवा निर्माता कंपनियों से जो जानकारी मिली है उसके अनुसार नई कीमतों की दवाइयां जून मध्य या जुलाई के प्रथम सप्ताह तक बाजार में आएगी।
650-700 रुपए महीने तक बढ़ेगा खर्च
जानकारों के अनुसार जिन परिवारों में ब्लडप्रेशर, हार्ट से संबंधित मरीज हैं। ऐसे में दो लोगों की दवाइयों पर प्रतिमाह छह हजार का औसत खर्च आता है। उन्हें अब 650 से 700 रुपए ज्यादा खर्च करना होंगे। दवा कारोबारियों का कहना है कि दो साल बाद रेट बढ़े हैं।
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