इस सप्ताह शनिवार को श्रीराम के परम भक्त हनुमान जी की जयंती है। त्रेता युग में चैत्र मास की पूर्णिमा पर शिव जी के अंशावतार हनुमान जी का जन्म माता अंजनी और पिता केसरी के यहां हुआ था। इसके बाद अगले दिन यानी 17 अप्रैल से वैशाख महीना शुरू हो जाएगा। चैत्र पूर्णिमा से वैशाख माह के स्नान होते हैं। इस दिन भक्त हर रोज नदी में स्नान करते हैं।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार 16 अप्रैल को चैत्र पूर्णिमा, हनुमान जयंती और शनिवार का योग होने से इस दिन का महत्व बढ़ गया है। पूर्णिमा पर विष्णु जी और उनके अवतारों की पूजा करने की परंपरा है, खासतौर पर इस तिथि पर भगवान सत्यनारायण की कथा पढ़ी-सुनी जाती है। हनुमान जयंती होने से इस दिन सुंदरकांड का और हनुमान चालीसा का पाठ करें, पूजा करें। शनिवार होने से इस दिन शनि देव के लिए तेल का दान करें। शं शनैश्चराय नम: मंत्र का जप करें।
ऐसे मना सकते हैं हनुमान जयंती
- हनुमान जी के जन्मोत्सव पर सुबह जल्दी उठें और नहाने के बाद सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें।
- घर के मंदिर में गणेश पूजा के बाद हनुमान जी की पूजा करें। हो सके तो इस दिन 108 बार हनुमान चालीसा का पाठ करें। सुंदरकांड का पाठ करें।
- उड़द के आटे से दीपक बनाएं और सूत के धागे से बत्ती बनाएं और तेल डालकर हनुमान जी के सामने ये दीपक जलाएं।
- अगर कोई व्यक्ति बीमारियों से परेशान है तो उसे हनुमान जी के सामने दीपक जलाकर नासै रोग हरे सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत बीरा। इस चौपाई का जप कम से कम 108 बार करें। ध्यान रखें डॉक्टर द्वारा बताए गए नियमों का पालन जरूर करें।
हनुमान जी के अलग-अलग नाम और उनके कारण
- मारुति - मरुत का अर्थ होता है पवन। मरुत होने होने से हनुमान जी को मारुति कहा जाता है।
- हनुमान - जब अंजनी पुत्र छोटे थे, उस समय उन्होंने सूर्य को निगल लिया था। तब इन्द्र ने वज्र से अंजनी पुत्र पर प्रहार किया था, जिससे उनकी हनु अर्थात ठोड़ी पर चोट लगी थी। इस वजह से इन्हें हनुमान कहा जाता है।
- बजरंग - ब्रह्मा जी के वरदान से इन्हें वज्र के समान शरीर प्राप्त हुआ है। हनुमान जी पर वज्र का भी असर नहीं होता है। इस वजह से इन्हें बजरंग कहा जाता है।
श्रीराम को समर्पित है हनुमान जी का जीवन
हनुमान जी ने अपना जीवन श्रीराम को समर्पित किया है। वे हर पल श्रीराम की भक्ति में लीन रहते हैं। हनुमान जी ने श्रीराम की मित्रता सुग्रीव से कराई, लंका में सीता का पता लगाया, लंका दहन किया, संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण के प्राण बचाए। हनुमान जी के इन कामों की वजह से श्रीराम खुद को हनुमान जी का ऋणी मानते हैं। हनुमान जी अष्टचिंरजीवियों में से एक हैं यानी वे हमेशा जीवित रहेंगे।
0 टिप्पणियाँ