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कोरोना-ओमिक्रॉन से लड़ेगी एंटी-वायरल ड्रग:मोलनुपिराविर संक्रमण में 70 से 80% तक प्रभावी, जानिए इस दवा के बारे में सबकुछ

ओमिक्रॉन के बढ़ते खतरे को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना एंटी-वायरल ड्रग मोलनुपिराविर के इमरजेंसी यूज की मंजूरी दी थी। मंजूरी मिलने के बाद इस दवा स्टॉक मध्यप्रदेश के इंदौर में पहली बार पहुंचा है। एक्सपर्ट्स का दावा है कि नई दवा कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन पर भी कारगर है।

इसे कोरोना के शुरुआती लक्षणों के दौरान दिया जा सकता है। दवा 70% से 80% तक इलाज में प्रभावी है। दो दिन पहले ही मोलनुपिराविर को केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) से मंजूरी मिली थी। जानिए इस दवा के बारे में सबकुछ...

क्या है मोलनुपिराविर

मोलनुपिराविर की 200 mg की डिब्बी में 40 कैप्सूल मौजूद हैं।
मोलनुपिराविर की 200 mg की डिब्बी में 40 कैप्सूल मौजूद हैं।

मोलनुपिराविर मूल रूप से इन्फ्लूएंजा के इलाज के लिए विकसित की गई थी। यह एक एंटीवायरल दवा है। हालांकि, कोरोना के वयस्क मरीजों के इलाज के लिए भारत में उपयोग के लिए दवा को भारत में मंजूरी दी गई है। मोलनुपिराविर दवा वायरस के जेनेटिक कोड में गड़बड़ी कर उसकी फोटोकॉपी होने से रोकती है।

कब दी जा सकती है
इंदौर के भंडारी हॉस्पिटल के डॉक्टर रवि डोसी ने बताया कि इंदौर के अरविंदो अस्पताल में 9 मरीज भर्ती किए गए थे। जिन मरीजों में शुरुआती लक्षण थे, उन्हें मोलनुपिराविर देने से हालत में सुधार देखा गया। डॉक्टरों का मानना है कि शुरुआत में यदि यह दिया जाए, संक्रमण अधिक फैलने से रोका जा सकता है। हालांकि, ज्यादा संक्रमण वालों को रेमडेसिविर भी दिया जा रहा है।

कितनी कारगर और किसे मिलेगी?
कंपनी के मुताबिक देश के 29 शहरों में करीब 1,218 मरीजों पर तीसरे चरण का क्लिनिकल ट्रायल किया गया है। दावा है कि 5 दिन के सेवन के बाद काफी हद तक यह दवा वायरल लोड कम करने में मदद मिलती है।

एक्सपर्ट के मुताबिक, यह दवा सिर्फ कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर ही दी जाएगी। इसके लिए डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन पर ही दवा खरीद पाएंगे। एक्सपर्ट ने कहा है कि अपनी मर्जी से दवा का सेवन नहीं करें। 18 साल से कम उम्र के मरीजों पर इसका उपयोग नहीं होगा।

इंदौर के दवा बाजार में 500 से ज्यादा स्टॉक

बाजार में इस दवा का पर्याप्त स्टॉक मौजूद है।
बाजार में इस दवा का पर्याप्त स्टॉक मौजूद है।

थोक दवा विक्रेता धर्मेंद्र राठी का कहना है कि वर्तमान में एक डिब्बी में 40 कैप्सूल हैं। इसकी कीमत करीब 2500 रुपए है। वर्तमान में तीन कंपनियां इसका प्रोडक्शन कर रही हैं। इनमें हेड्रो, नेटको और जॉर्ज हैं। वर्तमान में इंदौर में पांच बड़े डिस्ट्रीब्यूटर हैं। सरकार की मंजूरी के बाद पहला स्टॉक इंदौर पहुंचा है। बाजार में इसकी 500 से ज्यादा स्टॉक मौजूद हैं। अभी इन दवाओं की डिमांड केवल कुछ अस्पतालों द्वारा ही की जा रही है।

अरविंदो मेडिकल कॉलेज के डायरेक्टर डॉक्टर विनोद भंडारी का कहना है कि पिछले साल जिस तरह से कई मरीज रेमडेसिविर, फैबी फ्लू और ऑक्सीजन के लिए परेशान होते रहे, जिसका फायदा मुनाफाखोरों ने उठाया, लेकिन अब यह दवा कोरोना के वायरल लोड में कमी लाने में कारगर रही है। दवा को डॉक्टरों की सलाह से लेना ही सही है।

रेमडेसिविर का स्टॉक भी भरपूर, डिमांड नहीं
वैक्सीन हब के संचालक मनोज जायसवाल बताते हैं कि पिछले साल जिस तरह से रेमडेसिविर को लेकर मारामारी थी। इस बार सभी वैक्सीन व्यापारियों के पास भरपूर स्टॉक है, लेकिन अब तक अधिक डिमांड नहीं आई है। कंपनियों के पास भी रेमडेसिविर का स्टॉक है।

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