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एमजीएम मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर तीसरे दिन भी हड़ताल पर रहे मरीजों की मुसीबत बढ़ गई है

 

एमजीएम मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर तीसरे दिन भी (बुधवार को) हड़ताल पर रहे। इससे कोरोना और फंगस के मरीजों की मुसीबत बढ़ गई है। फंगस वार्ड में भर्ती मरीज कई दिनों से ऑपरेशन का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन हड़ताल ने उनका इंतजार और बढ़ा दिया। ओपीडी में भी लंबी कतारें लग रही हैं। कोई इंजेक्शन का इंतजार कर रहा तो कोई जांच करवाने के लिए डॉक्टर की पर्ची का इंतजार कर रहा था। एमवायएच में 300 से ज्यादा ब्लैक फंगस के मरीज भर्ती हैं। यह सामान्य सर्दी-जुकाम या सामान्य प्लान ऑपरेशन नहीं है, जिसे टाला जा सके। यह ऐसी बीमारी है, जिसमें मरीज की जान पर बन जाती है।

आगर-मालवा निवासी बापू सिंह दस दिन से एमवायएच के फंगस वार्ड में भर्ती हैं। उनका ऑपरेशन होना है। इंजेक्शन लगना है, लेकिन ना तो ऑपरेशन हो पा रहा, ना ही सप्लाय कम होने से इंजेक्शन लग पा रहे। उन्हें तीन दिन से कोई देखने नहीं आया। सीनियर डॉक्टर एक बार आकर चले गए। इमरजेंसी ऑपरेशन की संख्या भी कम हो गई है। प्रभारी मंत्री ने की बात शाम को जूनियर डॉक्टर्स का प्रतिनिधि मंडल मंत्री तुलसी सिलावट से मिला। उन्होंने अपनी मांगें बताई। मंत्री ने बताया कि उन्होंने डॉक्टरों से काम पर लौटने की अपील की है। जहां तक उनकी मांगों का प्रश्न है मुख्यमंत्री से बात की है।

रेजिडेंट डॉक्टर, नर्स और आईएमए समर्थन में

जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल को रेजिडेंट डॉक्टरों, नर्स एसोसिएशन और आईएमए ने भी समर्थन दिया है। भोपाल में आंदोलन कर रहे डॉक्टरों के साथ प्रशासन के बुरे बर्ताव को लेकर इंदौर व जबलपुर आईएमए ने भी नाराजगी जाहिर की है।

पदाधिकारियों ने कहा कि डेढ़ साल से पीजी डॉक्टर्स दिन-रात कोविड वार्डों में काम कर रहे हैं। ऐसे में उनके साथ किया जा रहा व्यवहार अनुचित है। यदि यह कार्रवाई जारी रही तो प्रदेश का आईएमए भी उनके साथ हड़ताल कर देगा।

अध्यक्ष डॉ. सतीश जोशी ने बताया कि कोविड पैंडेमिक के समय में जेडीए की सेवाओं को भुलाया जा रहा है। हम जेडीए की मांगों का समर्थन करते हैं। सरकार ने खुद उन्हें आश्वासन दिया था, वरना पूरी तरह हड़ताल की जाएगी।

सात असिस्टेंट सर्जन स्वास्थ्य विभाग से मिले हैं

सात असिस्टेंट सर्जन स्वास्थ्य विभाग से मिले हैं। डिमांस्ट्रेटर की ड्यूटी शिशु रोग विभाग में लगाई गई है। पांचों विभाग प्रमुखों के साथ एक म्यूकर बोर्ड बना दिया गया है, जो यह तय करेगा कि किस मरीज का ऑपरेशन पहले किया जाए। इसे बीमारी की गंभीरता के हिसाब से तय किया जाएगा। शासकीय कैंसर अस्पताल में पहले कोविड पॉजिटिव मरीज का ऑपरेशन किया गया, जिसे ब्लैक फंगस था। वहां और भी ऑपरेशन होंगे। - डॉ. संजय दीक्षित, डीन, एमजीएम मेडिकल कॉलेज


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