Header Ads Widget

Responsive Advertisement

देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी के 14 टीचिंग विभागों को मिलने वाला सेंटर फॉर एक्सीलेंस का दर्जा फिलहाल अटका


देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी के 14 टीचिंग विभागों को मिलने वाला सेंटर फॉर एक्सीलेंस का दर्जा फिलहाल अटक गया है। शासन के इस प्रोजेक्ट की फाइल ही ठंडे बस्ते में चली गई है। एक तरह से प्रोजेक्ट बंद हो गया है। अब यूनिवर्सिटी नए सिरे से इसकी प्रक्रिया शुरू करने पर विचार कर रही है।


इसके लिए वह शासन को पत्र लिखकर प्रोजेक्ट पर दोबारा विचार करने को कहेगी। दरअसल, यूनिवर्सिटी प्रशासन ने 14 टीचिंग विभागों के नाम भेजे थे। 72 करोड़ रुपए की ग्रांट मांगी गई थी। डीएवीवी को ग्रांट के रूप में 35 करोड़ रुपए तक मिलने की संभावना भी थी, लेकिन मार्च में सरकार बदलते ही यह प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया।


पहले घाटे में रही थी यूनिवर्सिटी


2019 में यूनिवर्सिटी ने आठ टीचिंग विभागों के लिए 40 करोड़ रुपए की ग्रांट मांगी थी, लेकिन ए प्लस ग्रेड मिलने के बाद भी तत्कालीन सरकार ने डीएवीवी के लिए महज पांच करोड़ रुपए की ग्रांट मंजूर की थी। आठ के बजाय सिर्फ दो विभागों को सेंटर फॉर एक्सीलेंस का दर्जा दिया गया था। इसी से नाराज यूनिवर्सिटी ने शासन के समक्ष अपनी नाराजगी जताई थी। उसके बाद तब के उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ने नए विभाग जोड़कर दोबारा प्रस्ताव मांगे थे।


यूनिवर्सिटी के मीडिया प्रभारी डॉ. चंदन गुप्ता कहते हैं यूनिवर्सिटी जल्द पूरे प्रोजेक्ट का स्टेटस पता कर शासन से चर्चा करेगी। उम्मीद है कि अगले कुछ माह में सेंटर फॉर एक्सीलेंस के प्रोजेक्ट पर प्रक्रिया तेज होगी।


उम्दा रिसर्च के लिए जरूरी : डीएवीवी में उम्दा रिसर्च के लिए सेंटर फॉर एक्सीलेंस का दर्जा जरूरी है। यह दर्जा मिलने के बाद 40 से 50 करोड़ की ग्रांट का रास्ता साफ हो जाएगा।


इधर, नैक की ए प्लस ग्रेड का एक साल : बजट नहीं, अटक गई ग्रांट


यूनिवर्सिटी को नैक से मिली ए प्लस ग्रेड का एक साल पूरा हो गया है। सेंट्रल गवर्नमेंट की सारी एजेंसियों की फंडिंग रोक दिए जाने से सारे प्रोजेक्ट अटक गए हैं। कोरोना संकट के चलते यूजीसी और उससे जुड़ी फंडिंग एजेंसी फिलहाल नए प्रस्ताव मंजूर नहीं कर रही है। ईएमआरसी के हेड डॉ. एके सिंह का कहना है कि जिन भी प्रोजेक्ट की आवेदन प्रक्रिया हो रही है। उन्हें पूरा कर रहे हैं।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ