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इंदौर-दाहोद रेल लाइन प्रोजेक्ट के भविष्य पर संकट गहराया

 



इंदौर मालवा क्षेत्र की महत्वाकांक्षी इंदौर-दाहोद रेल लाइन परियोजना के भविष्य पर संकट गहराने लगा है। रेलवे ठप पड़ी परियोजना का काम तो शुरू कर नहीं रहा, उलटे उसने विभिन्ना कार्यों के टेंडर निरस्त करने शुरू कर दिए हैं। ये काम गुणावद से धार के बीच होने थे। इनमें रेल लाइन बिछाने से पहले अर्थवर्क और नई पुल-पुलियाओं के निर्माण के काम प्रस्तावित थे।


अब ये सभी काम अटक गए हैं। रेलवे ने पहले कहा था कि दाहोद परियोजना का काम केवल होल्ड किया जा रहा है, लेकिन कार्यों के टेंडर निरस्त करने से सवाल खड़े हो रहे हैं कि रेलवे इस प्रोजेक्ट पर आगे काम करना चाहता है भी या नहीं। परियोजना के तहत इंदौर से टीही के बीच रेल लाइन बिछ चुकी है और अब टीही से गुणावद होते हुए धार तक लाइन बिछनी है।


टीही से गुणावद के बीच 3 किलोमीटर लंबी सुरंग का काम पहले ही बंद किया जा चुका है। सूत्रों ने बताया कि पश्चिम रेलवे के अधिकारी बगैर रेलवे के नफा-नुकसान का आकलन किए मनमाने निर्णय ले रहे हैं और रेल लाइन से जुड़े सांसद भी इस गंभीर विषय को उतनी शिद्दत और दमदारी से दिल्ली स्तर पर नहीं उठा रहे हैं।


200 करोड़ से ज्यादा के टेंडर निरस्त करने की तैयारी


रेलवे गुणावद-धार के बीच 200 करोड़ रुपये से ज्यादा के टेंडर निरस्त करने की तैयारी में है। इनमें से कुछ टेंडर निरस्त होने शुरू भी हो गए हैं। स्वाभाविक रूप से रेलवे भविष्य में जब इन कार्यों के लिए नए सिरे से ठेकेदार तलाशेगा, तो उसे महंगी दरों पर काम कराना होगा। रेलवे मामलों के वरिष्ठ जानकार नागेश नामजोशी का कहना है कि टेंडर निरस्त करने की प्रक्रिया ही गलत है। होल्ड भी करना है तो ठेकेदार कंपनी की सहमति से काम रोका जा सकता है। नए सिरे से टेंडर बुलाने और मंजूर करने में काफी समय लग जाएगा। रेलवे को टीही से सागौर तक का काम हर हाल में जल्द पूरा करना चाहिए।


महाप्रबंधक के समक्ष उठाएंगे विषय


रेलवे ने पहले इंदौर-दाहोद प्रोजेक्ट को होल्ड पर रखने की बात कही थी, लेकिन यदि परियोजना के टेंडर निरस्त किए जा रहे हैं, तो इसकी शिकायत पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक से करेंगे। उनसे आग्रह करेंगे कि टेंडर निरस्त करने के बजाय कोई बीच का रास्ता निकालकर काम किया जाए।


- शंकर लालवानी, सांसद


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