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बंगाल की खाड़ी में चक्रवाती तूफान की स्थिति बन रही



2020: अक्टूबर में भी बंगाल की खाड़ी में चक्रवाती तूफान आता है। 2013 और 2014 के अक्टूबर महीने में भयंकर चक्रवाती तूफान फेलिन और हुदहुद आया था।








 देश में मानसून की विदाई का वक्त चल रहा है। हालांकि जाते जाते भी मानसून की प्रदेश में बारिश कर रहा है। इस बीच, खबर है कि बंगाल की खाड़ी में चक्रवाती तूफान की स्थिति बन रही है। मौसम विभाग के अनुसार, उत्तरी अंडमान सागर में 9 अक्टूबर को कम दबाव का क्षेत्र बन सकता है। इसके चक्रवाती तूफान बनकर आंध्र प्रदेश और ओडिशा के तटीय इलाके की ओर बढ़ने की आशंका है। कम दबाव वाले क्षेत्र से ओडिशा और तटीय आंध्र प्रदेश में 11-13 अक्टूबर के बीच बारिश हो सकती है। बंगाल की खाड़ी में बने इसी कम दबाव के क्षेत्र के कारण अभी मुंबई में बारिश जारी रहेगी।


वहीं स्कायमेट के अनुसार, यह सिस्टम अगले 48 घंटों तक बंगाल की खाड़ी में ओडिशा और इससे सटे भागों के करीब बना रहेगा। उसके बाद यह ओडिशा के रास्ते जमीनी भागों की ओर बढ़ेगा। 10 अक्टूबर तक यह छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश होते हुए महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र पर पहुंच सकता है। इसका असर पूर्वी उत्तर प्रदेश से लेकर मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और गुजरात तक दिखेगा।







पूर्वानुमान


मौसम का हाल आम जन ही नहीं, मौसम विज्ञानियों के लिए भी अबूझ पहेली बना हुआ है। आलम यह है कि राजधानी दिल्ली में 18 फीसदी तक मौसम पूर्वानुमान गलत साबित हो रहे हैं। राष्ट्रीय स्तर पर 25 से 30 फीसदी तक पूर्वानुमान गलत ही निकलते हैं। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय महापात्रा ?मानते हैं कि वायुुमंडलीय विज्ञान में सौ फीसद सटीकता संभव नहीं है। मौसम बदलता रहता है। जलवायु परिवर्तन से एक्स्ट्रीम इवेंट्स भी बढ़ रहे हैं। फिर भी अधिकतर पूर्वानुमान सटीकता के करीब होते हैं। स्काईमेट वेदर के मुख्य मौसम विज्ञानी महेश पलावत भी कुछ इसी तरह की बात करते हैं। उन्होंने कहा कि वायुमंडलीय विज्ञान विशुद्ध विज्ञान नहीं है। यहां कोई सेट फॉर्मूला लागू नहीं होता। इसीलिए मॉडलिग के आधार पर जारी पूर्वानुमान औसतन 70 फीसद ही सटीकता रखते हैं। बहुत बार ये कम या ज्यादा भी हो जाती है।



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