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मध्‍यप्रदेश के धार जिले में एक 'अक्षर' ने बदल दी आदिवासियों की पहचान, यह है पूरा मामला


 मध्य प्रदेश के धार जिले में करीब ढाई दर्जन गांवों में हजारों 'मोगिया" आदिवासियों की हिंदी वर्णमाला के एक अक्षर ने पहचान ही बदल दी। दरअसल, प्रशासन ने उन्हें अनुसूचित जनजाति 'मोगिया" के स्थान पर 'मोघिया" के प्रमाण पत्र जारी कर दिए जो कि अनुसूचित जाति में आते हैं। कुछ परिवार तो ऐसे हैं जहां पिता के पास 'अजजा" का प्रमाण पत्र है, लेकिन बच्चे को 'अजा" वर्ग में रख दिया गया।


धार जिले की बदनावर तहसील में ऐसे मामले सर्वाधिक हैं। करीब ढाई दर्जन गांवों के 11 हजार से अधिक आदिवासी एक अक्षर (ग और घ) के फेर में अपने मूल संवैधानिक अधिकारों के लिए भी परेशान हो रहे हैं। जिला प्रशासन के पास 'मोगिया (र्सयैच) एवं मोघिया (र्सयरैच)" के विवाद संबंधी कई शिकायतें पेंडिंग हैं, लेकिन निराकरण नहीं हो पा रहा। मामला मानव अधिकार आयोग और विधानसभा तक पहुंच चुका है।


जिले में एसडीएम को जाति प्रमाण पत्र जारी करने के लिए सक्षम अधिकारी बनाया गया है। फिलहाल मूल समस्या यही है कि मोगिया समाज के आदिवासियों के प्रमाण पत्र अनुसूचित जनजाति वर्ग के नहीं बन पा रहे हैं।


 


कई परिवारों में है विसंगति


 


बताया जाता है कि जिला प्रशासन ने वर्ष 2009 में करीब 85 मोगिया आदिवासियों के अजजा वर्ग के प्रमाण पत्र निरस्त कर दिए थे। उसके बाद से उन्हें अजजा वर्ग के बजाय 'अजा" वर्ग के प्रमाण पत्र ही जारी किए गए। इस कारण कई परिवारों में यह विसंगति खड़ी हो गई, जहां पिता के पास 'अजजा" का तो बेटे के पास 'अजा" वर्ग का प्रमाण पत्र बन गया। यहां तक कि दो भाइयों तक के प्रमाण पत्र अलग-अलग वर्ग के बना दिए गए। इस कारण उनके सामने कई तरह की मुश्किलें खड़ी हो रही हैं।


आयोग को मिली शिकायत


 


धार जिले में सुनवाई के दौरान मोगिया समाज के लोगों ने इस विसंगति की ओर आयोग का ध्यान आकृष्ट कराया था। मामले जिला प्रशासन और शासन को जांच प्रतिवेदन के लिए लिखा गया है।


 


- एनके जैन, अध्यक्ष, मानव अधिकार आयोग मप्र


 


मामला साधिकार समिति के विचाराधीन


 


हमने यह मामला साधिकार समिति भोपाल के पास भेजा है, वहीं इस संबंध में अंतिम निर्णय लिया जाना है। कुछ परिवारों ने प्रमाण पत्र की विसंगति को लेकर ध्यान आकर्षित कराया है। मोगिया समाज को जिले में अभी अनुसूचित जाति (एससी) के प्रमाण पत्र दिए जा रहे हैं। खाता-खसरा, जिल्द बंदोबस्त आदि का रिकार्ड भी देख रहे हैं। कुछ लोग कोर्ट में भी गए हैं।


श्रीकांत बनोठ, कलेक्टर, धार


 


बेटों के प्रमाण पत्र बने बेटी का निरस्त कर दिया


 


मैं पिछले दस साल से समाज के लिए संघर्ष कर रहा हूं, लेकिन अब तक मामले का निराकरण नहीं हो पा रहा। मेरा एवं तीन बेटों का अजजा वर्ग का प्रमाण पत्र है, लेकिन बेटी का निरस्त कर दिया गया। कई परिवार ऐसे हैं, जिनमें पिता-पुत्र और भाई-भाई के प्रमाण पत्र अलग-अलग हो गए हैं।


 


 

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