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गर्भ में पल रहे शिशु में विकृति, मां समझ रही थी दैवीय प्रकोप


जबलपुर। मेरे बच्चे को दैवीय प्रकोप है, इसे चिकित्सक कैसे ठीक कर सकते हैं। यह बात बार-बार एक मां मेडिकल राहत शिविर में किसी डॉक्टर से कह रही थी। लेकिन जब डॉक्टर ने उसे समझाया कि यह दैवीय प्रकोप नहीं, बल्कि उसके व उसके परिजन की गलती के कारण ही शिशु में विकृति आई है, तब उसे समझ आया। मंडला मेडिकल राहत कैंप में गर्भ में पल रहे शिशुओं में होने वाली विकृति के करीब 11 केस आए। भारत में अभी तक बहुत लोगों को यह मालूम ही नहीं कि गर्भ में पल रहे शिशु के लिए यदि प्लान नहीं किया है तो वह न्यूट्रल ट्यूब डिसऑर्डर का शिकार हो जाएगा।


 


मेडिकल राहत शिविर में पहुंचे शिशु


 


मंडला मेडिकल राहत शिविर में न्यूट्रल ट्यूब डिसआर्डर से पीड़ित बच्चे पहुंचे। इनकी उम्र करीब 8 से 9 वर्ष है। इन बच्चों के परिजन को इस बीमारी के बारे में पता ही नहीं था वे इसे दैवीय प्रकोप समझ रहे थे। इनको मेडिकल अस्पताल में भर्ती करके इलाज किया गया। हालांकि मेडिकल अस्पताल में इस बीमारी से पीड़ित करीब 35 से 40 बच्चे हर माह पहुंच रहे हैं।


क्यों होता है यह रोग


 


गर्भधारण यदि प्लान करके नहीं किया है तो मां को करीब 8 सप्ताह बाद पता चलता है कि उसके गर्भ में शिशु पल रहा है। स्पाइन बायोफिड के अंतर्गत होने वाले न्यूट्रल ट्यूब डिसआर्डर से 7 सप्ताह के पहले ही गर्भस्थ शिशु पीड़ित हो जाता है। इस रोग का मुख्य कारण गर्भधारण करने वाली मां में फोलिक एसिड की कमी होना है। गर्भस्थ शिशु के विकास के दौरान न्यूट्रल ट्यूब प्लेट के आकार की होती है, लेकिन उसका आकार बदलता है और वह ट्यूब के आकार की हो जाती है। इस बीमारी में ट्यूब कमर के निचले भाग में नहीं जुड़ पाती या बीच में कहीं - कहीं जुड़ नहीं पाती। स्वस्थ शिशु में यह ट्यूब पूरी तरह से जुड़ी होना चाहिए।


ये है विश्व में स्थिति


 


जन्म लेने वाले 1000 शिशुओं में विश्व में 1 या 2 शिशु इस रोग से पीड़ित होते हैं।


 


ये है भारत में स्थिति


 


जन्म लेने वाले 1000 शिशुओं में भारत में 4 से 8 शिशु इस रोग से पीड़ित हैं। भारत में आदिवासी इलाकों में इस रोग से पीड़ितों शिशुओं की संख्या अधिक है।


 


इस तरह बच सकते हैं


- गर्भधारण योजनाबद्ध हो यानि पति-पत्नी गर्भधारण के लिए योजना बना लें ताकि गर्भधारण करने के एक माह पहले मां फोलिक एसिड की टेबलेट व फोलिक एसिड युक्त भोजन जैसे गाजर, ब्रोकली, पत्ता गोभी खाना शुरू कर दें।


इनका कहना है


 


मंडला मेडिकल राहत कैंप में न्यूट्रल ट्यूब डिसआर्डर से पीड़ित बच्चे आए थे। हालांकि इस रोग पर हम राष्ट्रीय बाल्य स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत पिछले पांच साल से काम कर रहे हैं। घरों में जाकर इस रोग से पीड़ित बच्चों को खोजते हैं और उनका निशुल्क इलाज और आपरेशन किया जाता है। यदि पीड़ित शिशु का जन्म के एक साल के अंदर आपरेशन हो जाता है तो वह ठीक हो सकता है। पिछले कैंप में 112 बच्चे आए थे इस कैंप में 12 केस आए हैं। नियमित रूप से इस बीमारी पर काम करने से यह संभव हुआ है।


डॉ. विकेश अग्रवाल, नोडल अधिकारी, आरबीएस व विभागाध्यक्ष शिशु शल्य चिकित्सा मेडिकल कॉलेज


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