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गंगा, सिंधु और ब्रह्मपुत्र समेत दक्षिण एशिया की प्रमुख नदियों पर जलवायु परिवर्तन का गंभीर खतरा मंडरा रहा है

सिडनी से आई एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि गंगा और ब्रह्मपुत्र समेत दक्षिण एशिया की प्रमुख नदियों पर जलवायु परिवर्तन का गंभीर खतरा मंडरा रहा है। इससे में जलवायु परिवर्तन से कभी बाढ़ तो कभी सूखे के हालात पैदा हो सकते हैं।

danger_looms_on_10_rivers_including_ganga_indus_and_brahmaputra_drought_can_occur_in_brahmaputra_valley_any_time.pngसिडनी से आई एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि गंगा, सिंधु और ब्रह्मपुत्र समेत दक्षिण एशिया की प्रमुख नदियों पर जलवायु परिवर्तन का गंभीर खतरा मंडरा रहा है। इससे करीब एक अरब लोगों को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। ऑस्ट्रेलिया के इंस्टीट्यूट फॉर स्टडी एंड डेवलपमेंट वल्र्डवाइड की गंगा, सिंधु और ब्रह्मपुत्र पर 'एलिवेटिंग रिवर बेसिन गवर्नेंस एंड कोऑपरेशन इन द एचकेएच रीजन' शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया कि नदी घाटी प्रबंधन के लिए फौरन लचीला दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है।हिंदू कुश हिमालय (एचकेएच) दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया के कई हिस्सों के मीठे पानी का स्रोत है। उसकी बर्फ, ग्लेशियरों और बारिश से उत्पन्न पानी एशिया की 10 सबसे बड़ी नदी प्रणालियों को भरता है। रिपोर्ट के मुताबिक गंगा भारतीय उपमहाद्वीप में 60 करोड़ से ज्यादा लोगों के लिए महत्त्वपूर्ण नदी है। यह भी बढ़ते पर्यावरणीय खतरों का सामना कर रही है। तीव्र औद्योगिकीकरण, शहरीकरण और कृषि के लिए दोहन ने नदी के पारिस्थितिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। सीवेज और औद्योगिक कचरे ने नदी को गंभीर रूप से प्रदूषित कर दिया है। इससे मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण, दोनों के लिए जोखिम पैदा हो गया है।

सिंधु घाटी में प्रतिकूल प्रभाव सबसे ज्यादा

बढ़ता तापमान, अनियमित मानसून और पर्यावरणीय गिरावट सिंधु घाटी को संकट की ओर धकेल रहे हैं। रिपोर्ट में बताया गया कि सिंधु घाटी में जलवायु परिवर्तन का प्रभाव सबसे ज्यादा है। इससे खाद्य सुरक्षा, आजीविका और जल सुरक्षा पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। ब्रह्मपुत्र घाटी में जलवायु परिवर्तन से कभी बाढ़ तो कभी सूखे के हालात पैदा हो सकते हैं।

पानी की उपलब्धता पर पड़ेगा असर

रिपोर्ट में आशंका जताई गई कि ग्लेशियर पिघलने की दर बढऩे से पूरे क्षेत्र में पानी की उपलब्धता प्रभावित होगी। जल संसाधनों को फिर से भरने के लिए महत्त्वपूर्ण मानसून अब जलवायु परिवर्तन के कारण कहीं विनाशकारी बाढ़ ला रहा है तो कहीं शुष्क मौसम पानी का संकट खड़ा कर देता है। ये खतरे समाज के कमजोर समूहों को सबसे ज्यादा प्रभावित करेंगे।

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