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लोग आपके रचनात्मक काम से जुड़ते हैं तो सफलता तय हो जाती है - अल्लु अर्जुन

  • अल्लु अर्जुन को हाल ही में फिल्म ‘पुष्पा’ के लिए नेशनल अवॉर्ड मिला है। इस फिल्म की सफलता के राज उन्हीं की जुबानी...

ईमानदारी से कहूं तो मुझे और मेरी टीम को इस अपार सफलता की उम्मीद नहीं थी। जब हम ‘पुष्पा’ को हिन्दी में रिलीज कर रहे थे तो मन में केवल यह था कि हिन्दी प्रदेशों को टटोलकर देखते हैं। कहीं अंदर मुझ में अपने काम को लेकर यकीन था कि फिल्म काम कर जाएगी। मुझे यकीन था कि उत्तर भारत में यह फिल्म लोगों की नब्ज पर हाथ रखेगी, मैं कृतज्ञ हूं कि ऐसा हुआ। ‘पुष्पा’ बनाते वक्त ही यह अहसास था कि यह मल्टी जॉनर फिल्म है जिसमें एक्शन, कॉमेडी, ड्रामा... सब है। ऐसी ही फिल्में हिन्दी इलाकों में काम करती हैं। इस सोच के साथ हम आगे आए तो कमाल हो गया। मैं और मेरी टीम ने केवल एक ग्रेट प्रोडक्ट बनाने पर जोर दिया। सफलता और असफलता तो जे़हन में थी ही नहीं। अपने प्रोडक्ट के लिए हमने अपनी सीमाओं को लांघा, जैसे मैंने इसे हिन्दी में डब नहीं करवाया। हमने हिन्दी में भी इसे बनाया ताकि लोग इससे करीब से जुड़ सकें। लोग अगर आपके प्रोडक्ट से जुड़ जाते हैं तो सफलता की चिंता आपको नहीं करना होती। एक सच्चाई यह भी है कि कई दफा आपको लगता है कि ये काम करेगा, लेकिन नहीं करता है। कई बार लगता है कि इससे बात नहीं बनेगी और बन जाती है। तो यह जादू है। और जादू होते रहते हैं। तो जो भी हो उसे खुले दिमाग से स्वीकारें। कभी भी संभावनाओं को कम न आंकें।

हमारी जिम्मेदारी केवल फैन्स तक ही सीमित नहीं है...
लोग कहते हैं कि साउथ के हीरो अपने फैन्स के काफी करीब होते हैं। मैं इस बात से अलग मत नहीं रखता। साउथ में परंपरा है अपने फैन्स से करीब से जुड़ने की। हम उनके प्रति जिम्मेदारी महसूस करते हैं। हम उनके साथ खड़े रहते हैं और उनके प्रति शुक्रगुजार रहते हैं कि उन्होंने ही हमें बनाया है। हमारी जिम्मेदारी हम केवल अपने फैन्स तक ही नहीं, उनके आगे भी... पूरे समाज तक समझते हैं।

सफलता नई ऊर्जा लाती है
सफलता कमाल का अनुभव है। सफलता आपको चार्ज करती है, जिम्मेदार बनाती है। काम करने के लिए उत्साह से भर देती है। आपको ज्यादा करने के लिए उकसाती है। सफलता से मिले फीडबैक, आपको सुधार के लिए भी तैयार करते हैं। आप आसानी से सुधार करते हैं। नई बातों को एक्सप्लोर करते हैं।

सच्चाई में कमाल होता है
अगर आप अपनी भाषा में प्रामाणिकता बरत रहे हैं, तो वह दूसरी भाषा के लोगों को भी महसूस होगी। सच्चाई में यही कमाल होता है। अपने काम को प्रदूषित न करें। जितनी जरूरत हो, उतना बदलाव ही ठीक है नहीं तो प्रोडक्ट प्रदूषित हो जाएगा। सच्चा प्रोडक्ट ही बाजार में लंबा चल सकता है।
(विभिन्न इंटरव्यूज में अल्लु अर्जुन)

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