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शरीर और मन की भाषा समझाए बायो हैकिंग:इसके जरिए शरीर को हैक करके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सकता है

परिवर्तन ही प्रकृति का नियम है। बात सच है और यही परिवर्तन एक लयबद्ध तरीक़े से किए जाएं तो इसे और भी बेहतर ढंग से प्रदर्शित किया जा सकता है। इसी कार्य को करने की लयबद्धता प्रदान करता है बायो हैकिंग जो आत्म-सुधार करने में मददगार है। इसके अलावा अपने तन-मन की कार्यप्रणाली को काफ़ी हद तक समझ लेना भी बायो हैक कहलाता है। इस प्रक्रिया को अपनाकर न सिर्फ़ शारीरिक और मानसिक कार्यप्रणाली में बदलाव कर सकते हैं बल्कि जीवनशैली को बदलकर स्वास्थ्य में भी मनचाहा परिवर्तन ला सकते हैं। इन परिवर्तनों को साकार रूप प्रदान करने के लिए कुछ प्रक्रियाएं आवश्यक हैं। जानिए कैसे...

इंटरमिटेंट फास्टिंग

इस क्रियाविधि के ज़रिए यह तय किया जाता है कि कब और कितना भोजन खाना है। इस प्रक्रिया में इस बात पर विचार नहीं किया जाता कि भोजन में किन वस्तुओं को शामिल करना है। पर इंटरमिटेंट फास्टिंग कोई डाइट प्लान नहीं, बल्कि एक फूड प्लानिंग है जो नियमित समय पर भोजन करने और व्रत रखने का निर्धारण करती है। इसमें खाने का एक पैटर्न बनाया जाता है, जिसमें सबसे प्रचलित 16:8 पैटर्न है। इस पैटर्न के तहत व्यक्ति दिन में केवल 8 घंटों के दौरान खाना और अन्य पोषक पदार्थ ले सकता है, जबकि बाक़ी 16 घंटों में सिर्फ़ पानी पीकर व्रत रखना होता है। इसे वजन घटाने का एक तरीक़ा माना जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार इंटरमिटेंट फास्टिंग से शरीर का मेटाबॉलिज़्म बढ़ता है।

जानकारी ले लें पहले

आपको अपने मन के लिए या शरीर के लिए कैसे परिवर्तन चाहिए, इससे पहले यह जानना ज़रूरी है कि वर्तमान में ये किस स्थिति में हैं। वज़न कम करना है, बढ़ाना है, कहीं फैट घटाना है या ध्यान की स्थिति को ठीक करना है, कमज़ोरी या जोड़ों का दर्द दूर करना है, लक्ष्य जानकर कुछ व्यायाम भी करें। आहार विशेषज्ञ से मिलें और उनके मार्गदर्शन में सभी जांचें करवाएं। तब परिवर्तन का लक्ष्य पूरी तरह तय हो पाएगा।

कुछ हटाना भी होगा

अपनी डाइट को बायो हैक करने के लिए आपको यह देखना होगा कि कौन-से भोज्य समूह आपके शरीर में सूजन, संवेदनशीलता या एलर्जी पैदा कर रही हैं। ऐसे में एलिमिनेशन डाइट के ज़रिए उन खाद्य पदार्थों को हटाया जाता है, जिन पर संदेह हो कि इन्हें खाकर आपके शरीर में किसी प्रकार के नकारात्मक बदलाव आ रहे हैं। कुछ समय के लिए ऐसी खाद्य वस्तुओं को आहार से हटाकर देखा जाता है। यह प्रक्रिया गाहे-बगाहे होने वाले दस्त, कब्ज़, सूजन, उल्टी और शरीर के फूलने जैसे लक्षणों से राहत देती है। इसके साथ ही इससे आपका दिमाग़ बेहतर ढंग से कार्य करने में सक्षम बनाता है।

हैकिंग का आधार

पोषण संबंधी जांचें तय करती हैं कि शरीर को किस तरह के पोषक तत्वों के मिश्रण की ज़रूरत है। इसके ज़रिए ही ये तय किया जाता है कि किस तरह के डाइट पैटर्न को चुनना है। साथ ही साथ, व्यायाम भी शामिल हों, तो बेहतर होता है। अमूमन, योग या व्यायाम में व्यक्ति की ज़रूरत के हिसाब से वर्जिश चुनी जाती है। इसमें व्यक्ति को बताया जाता है कि किस अंग के लिए व्यायाम कर रहे हैं, सो उस पर ध्यान केंद्रित करें।

रखें ध्यान

  • जीवनशैली या स्वास्थ्य आदि से जुड़ी समस्याएं होने पर डॉक्टर की सलाह लेकर ही आहार में परिवर्तन करें।
  • शारीरिक क्षमता को ध्यान में रखकर ही पोषण संबंधी तरीक़ों का निर्धारण करें।
  • 6-7घंटे की पर्याप्त नींद अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। ऐसे में नींद के साथ ज़्यादा प्रयोग न करें।
  • स्मार्टवॉच, फिटनेस-ट्रैकिंग बैंड और स्मार्टफोन के बढ़ते-घटते आंकड़ों के स्तर को देखकर तनाव न बढ़ाएं।
  • अच्छे परिणाम की आशा में जल्दबाज़ी करने से बचें। धीरे-धीरे परिवर्तनों को अपनाएं।

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