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हुकमचंद मिल:32 साल से तारीख पर तारीख; पैसा मिला नहीं, इंतजार में 2200 मजदूर गुजर चुके

हुकमचंद मिल के 5895 मजदूरों और उनके परिजन का हक के पैसों के लिए 32 साल से चल रहा संघर्ष खत्म नहीं हो रहा है। - Dainik Bhaskarहुकमचंद मिल के 5895 मजदूरों और उनके परिजन का हक के पैसों के लिए 32 साल से चल रहा संघर्ष खत्म नहीं हो रहा है।

हुकमचंद मिल के 5895 मजदूरों और उनके परिजन का हक के पैसों के लिए 32 साल से चल रहा संघर्ष खत्म नहीं हो रहा है। 179 करोड़ के इंतजार में अब तक 2200 से अधिक मजदूरों की मौत हो गई है। 150 मजदूरों की तो तीसरी पीढ़ी भी पैसों के लिए चक्कर काट रही है। तंगहाली से 70 मजदूर आत्महत्या कर चुके हैं, जबकि 700 इंदौर छोड़कर अन्य शहर जा चुके हैं।

हाई कोर्ट ने अगस्त 2007 में मजदूरों को बकाया 229 करोड़ रुपए देने के आदेश दिए थे, लेकिन अब तक सिर्फ 50 करोड़ ही मिले हैं। पैसों के लिए मजदूर हर रविवार मिल पर एकजुट होते हैं। 16 जुलाई को उनकी 1627वीं बैठक थी। 7 अगस्त को हाई कोर्ट फिर इस मामले को सुनेगा।

संघर्ष, जो खत्म नहीं हो रहा

  • 12 दिसंबर 1991 को बंद हुई मिल
  • 1996 में मजदूरों ने लगाई जनहित याचिका, राहत नहीं मिली
  • 20 जुलाई 2001 को लिक्विडेशन के साथ मामला फिर हाई कोर्ट में पहुंचा
  • 06 अगस्त 2007, कोर्ट ने 228 करोड़ रु. देने के आदेश जारी किए
  • 03 मई 2017, कोर्ट ने 50 करोड़ रुपए तत्काल देने के आदेश दिए
  • 15 मार्च 2022, कोर्ट ने जमीन नीलाम कर पैसा देने के आदेश दिए
  • 07 अगस्त 2023, हाई कोर्ट में इस मामले में फिर अगली सुनवाई

मजदूर समिति के किशन लाल बोकरे, प्रतिभान सिंह बुंदेला, अशोक मजूमदार कहते हैं, मिल बंद होने के बाद से हर रविवार मजदूरों की बैठक होती है। अब तक 1626 बैठक हुई हैं। हर बैठक में दर्जनों मजदूर आते हैं।

180 करोड़ रुपए तो ब्याज ही

मजदूर नेता नरेंद्र श्रीवंश और हरनाम सिंह धालीवाल ने बताया, 12 दिसंबर 1991 को हुकमचंद मिल बंद हुई थी। 2001 में परिसमापक को केस दिए जाने तक करीब 88 करोड़ का ब्याज हो गया था, उसके बाद से अब तक का भी करीब 92 करोड़ का ब्याज है। यानी 180 करोड़ तो ब्याज ही हो गया है।

लैंड यूज बदला, लेकिन राहत नहीं
एडवोकेट धीरज पंवार ने बताया, लंबे समय तक मिल की जमीन के लैंड यूज को लेकर कानूनी पेंच रहा। 2019 में सरकार ने लैंड यूज औद्योगिक से बदलकर कमर्शियल और रहवासी कर दिया है, लेकिन अब तक मजदूरों के पैसे देने पर अंतिम फैसला नहीं हो सका है।

पिछली सुनवाई पर हाउसिंग बोर्ड ने एक हलफनामा दिया है कि वे जमीन लेकर मजदूरों को पैसा देंगे पर अभी स्थिति साफ नहीं है। इस मामले में महापौर पुष्यमित्र भार्गव का कहना है, कोर्ट में प्रकरण विचाराधीन है। लैंड यूज बदला जा चुका है, जल्द ही मजदूरों को पैसा दिया जाएगा।

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