Header Ads Widget

Responsive Advertisement

आपकी मेहनत देखकर लोग जुड़ते हैं और लक्ष्य पाना आसान हो जाता है - सचिन तेंदुलकर

  • सचिन हाल ही में 50 साल के हुए हैं। आधी उम्र क्रिकेट में बिताने वाले सचिन की कही बातें आपको भी सपना हासिल करने में मदद करेंगी...

यह आपको मजाक लग सकता है, लेकिन जब मैं 11 साल का था, तब दृढ़ता से महसूस करता था कि अपने देश के लिए क्रिकेट खेलूंगा। मैं जानता था मेरा लक्ष्य क्या है और इसे पाना चाहता था। देश के लिए केवल खेलना ही नहीं था, ऐसा कुछ करना था, जिससे लोग मुझे याद रखें। मेरी महत्वाकांक्षा बेहद मजबूत थी। मैं अक्सर अपने भाई अजीत से पूछता था कि मेरा सपना कब पूरा होगा। हर पड़ाव पर पूछता था कि अब क्या... फिर चाहे वो स्कूल टूर्नामेंट में सेंचुरी मारना हो या डिवीजन का मैच खेलना।
मैंने खुद को क्रिकेट में झोंक दिया था, परिवार ने भी। मैदान के पास ही मेरे अंकल-आंटी का घर था, तो मैं चार साल तक उनके साथ रहा। मेरे पैरेंट्स रोज शाम मुझसे मिलने आते थे। मैं थककर इतना चूर हो चुका होता था कि केवल उनके साथ थोड़ा वक्त बिताने में ही मेरी शाम बीत जाती थी। पूरा परिवार ही मेरे साथ मेरे सपने को पूरा करने में जुटा हुआ था।
घर के बाहर भी मेरे साथी जैसे मेरे सपने को पूरा करने में जुटे थे। कई लोगों के साथ मैं फर्स्ट क्लास लेवल पर खूब खेला। बॉम्बे के ऑफ स्पिनर किरण मोकाशी की मदद तो मैं भूल ही नहीं सकता। नेट सेशन खत्म होने के बाद वो कहते थे, सचिन तैयार हो जाओ... मैं तुम्हें फिर से बॉलिंग करूंगा। तो इन कारणों से क्रिकेट में मेरा उदय जल्दी हुआ। जितना जल्दी आप लक्ष्य तय करेंगे, उतनी जल्दी उसे पाएंगे। आपकी मेहनत देखकर लोग आपके साथ होते जाएंगे।
परफॉर्मेंस एक-सी कभी नहीं रहेगी। कोई भी काम हो, आप हमेशा एक जैसा नहीं परफॉर्म कर सकते। वक्त इसे सुधारता और बिगाड़ता है। जैसे हर सुबह एक-सी सेहत के साथ आप नहीं उठते हैं, हर दिन आपके पैर पिच पर अच्छे नहीं चल सकते, हर रोज बैट स्विंग परफेक्ट नहीं हो सकता, कई दफा पिच आपको बड़े शॉट खेलने नहीं देता। इन परिस्थितियों से कोई निष्कर्ष नहीं निकाला जाना चाहिए। खुद के बारे में तय करके नहीं बैठ जाना चाहिए। टीम बनाकर काम कीजिए। जब आप परफॉर्म नहीं करेंगे तो टीम करेगी। मैंने कभी दबाव खुद पर नहीं लिया। आप नेचरल रहिए, काम कैसा होगा इसकी चिंता आपकी नहीं है।
अपने शरीर से दोस्ती होनी चाहिए
ट्रेनिंग से ही आपका प्रदर्शन निखर सकता है। साथ ही फिटनेस भी बेहद जरूरी है। इस तरह आप अपने शरीर को ढंग से जान पाते हैं। अपनी ताकत और कमजोरियों को पहचान पाते हैं। मैं अपने शरीर को जान लूंगा तो मैदान में उसे अनपेक्षित परीक्षा में नहीं डालूंगा। इस तरह मेरा खेल खराब नहीं होगा। आपकी अपने शरीर से दोस्ती होना चाहिए, ऐसी दोस्ती कि डॉक्टर से पहले आप उन्हें बता दें कि हुआ क्या है।
खुद को 25 साल का महसूस करता हूं
मैं अभी खुद को 50 का महसूस नहीं करता। मुझे लगता है मैं 25 साल के अनुभव वाला 25 साल का नौजवान हूं। मेरा तो रिटायरमेंट भी धीरे-धीरे हुआ है। ऐसा नहीं हुआ कि मैं किसी सुबह उठा और देखा कि ओह, मैं रिटायर हो चुका हूं और अब क्या करूं!
(विभिन्न इंटरव्यूज में महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर)

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ