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दूसरों पर अपने विचार कभी न थोपें

  • किताबों से जानिए, क्यों विचारों को सुनकर बहस खत्म करना जरूरी होता है? कैसे लगातार अभ्यास से व्यवहार बदला जा सकता है?

भले सहमत न हों, लोगों के विचार सुनें जरूर
ऐसे लोग जो मानते हैं कि वो कभी गलत नहीं होते, उनसे बहस न करें। आपके बहस करने से उनके व्यवहार में कोई बदलाव नहीं आएगा। इसकी बजाय बहस को खत्म करने की कोशिश करें। उन्हें बताएं कि वो पूरा जोर लगाकर अपने विचारों को थोपने की कोशिश करते हैं इसलिए आपको चुप होना पड़ता है। सहमत न हों, तो भी दूसरों के विचार सुनने चाहिए।

व्यवहार बदलने का भी अभ्यास करना चाहिए
अपने व्यवहार से वाकिफ होना आधी लड़ाई जीतना है। उसमें सुधार के लिए प्रयत्न करना चाहिए। जैसे, आप मीटिंग में ज्यादा बोलते हैं, तो यह जानने की कोशिश करें कि ऐसा क्यों है? एक योजना बनाएं जिसमें यह तय करें कि मीटिंग में आप केवल दो बार ही बोलेंगे। हो सकता है आपको यह शुरू में अजीब लगे, लेकिन इसके लिए लगातार अभ्यास किया जा सकता है।

सफलता के बारे में सोचेंगे तो सफल होंगे
नौकरी में, घर में असफलता की बजाय सफलता के बारे में सोचें। जब कठिन परिस्थिति आए तो सोचो- जीत जाऊंगा। यह न सोचो कि शायद हार जाऊं। जब किसी से प्रतियोगिता हो, तो सोचो- मैं सर्वश्रेष्ठ हूं। यह न सोचो कि मैं योग्य नहीं। जब अवसर नजर आए तो सोचो मैं कर सकता हूं। यह न सोचो कि नहीं कर सकता। सफलता के बारे में सोचने से ही सफलता मिलती है।

क्यों जरूरी है उत्साह, विनम्रता और जिज्ञासा
उत्साह चुंबकीय होता है। आप इसे खरीद नहीं सकते, केवल उजागर कर सकते हैं। यह दूसरों को रोमांच, ऊर्जा और स्फूर्ति से भर देता है। उत्साह यानी ‘एंथुसियाज़्म’ एक ग्रीक शब्द है जिसका अर्थ है ‘ईश्वर का प्रवाहित होना’। इसलिए जिज्ञासु बने रहें और विनम्र रहें। उत्साह, जिज्ञासा और विनम्रता आपको जोश से सराबोर करते हैं। 

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