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वाटर प्लस सिटी:नदी साफ करने 195 एमएलडी के 3 STP बनेंगे, घर-घर नल के अगले पड़ाव में 24 घंटे नर्मदे हर

तस्वीर जानापाव के नजदीक की। किसान खेतों में 10 से 20 फीट गहरे तालाब बनाकर बारिश का जल सहेज रहे हैं। इस पानी से गेहूं, चना सहित रबी सीजन की फसलें तैयार हो रही हैं, साथ ही कुएं में सालभर पानी रहने लगा है। - Dainik Bhaskar

तस्वीर जानापाव के नजदीक की। किसान खेतों में 10 से 20 फीट गहरे तालाब बनाकर बारिश का जल सहेज रहे हैं। इस पानी से गेहूं, चना सहित रबी सीजन की फसलें तैयार हो रही हैं, साथ ही कुएं में सालभर पानी रहने लगा है।

इंदौर से 898 किमी दूर पवित्र गंगा और लगभग 80 किमी दूर नर्मदा नदी शहर की जल संरचनाओं को संवारने और पूरे शहर की प्यास बुझाने का बड़ा माध्यम बनने वाली हैं। अमृत प्रोजेक्ट के जरिए शहर की 100 फीसदी आबादी को नर्मदा का पानी देने की योजना है।

दूसरी तरफ नमामि गंगे प्रोजेक्ट के कारण शहर के बीच बहने वाली कान्ह और सरस्वती नदी का कायाकल्प भी होने जा रहा है। चूंकि ये मिशन पीएमओ की निगरानी में होगा, इसलिए उम्मीद है कि 30 साल से भी ज्यादा से जो कोशिशें इन नदियों को संवारने की हो रही, वह अब पूरी हो जाएंगी।

अभी शहर के 65 फीसदी हिस्से में नर्मदा सप्लाय होती है। अमृत प्रोजेक्ट के पहले चरण में 28 नई टंकियां, ड्रिस्ट्रीब्यूशन लाइन बिछाकर इस साल के अंत तक पूरे शहर को नर्मदा पानी सप्लाय की योजना है।

इस योजना के दूसरे चरण में 24 घंटे पानी सप्लाय शुरू होगा। इसके लिए स्मार्ट सिटी, राजेंद्र नगर जैसे इलाके पायलट प्रोजेक्ट में चिन्हित हैं। अमृत के दोनों चरण पूरे होने के बाद इंदौर में 100 फीसदी आबादी नर्मदा जल पाने वाली हो जाएगी।

नमामि गंगे प्रोजेक्ट : पहली बार मेंटेनेंस के लिए भी फंड दिया गया

511 करोड़ से कबीटखेड़ी में 120 एमएलडी, लक्ष्मीबाई प्रतिमा स्थल के पास 35 एमएलडी और कनाड़िया में 40 एमएलडी के एसटीपी (सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट) बनेंगे। वहां इन दोनों नदियों में जाने वाले पानी का उपचार करेंगे और फिर उसे स्वच्छ स्वरूप में नदियों में प्रवाहित किया जाएगा। केंद्र सरकार ने प्रोजेक्ट के लिए 244 करोड़ और 190 करोड़ मेंटेनेंस के दिए हैं, ताकि सतत काम चलता रहे।

अब समझिए, यूं कान्ह से गंगा नदी तक बहेगा साफ पानी

कान्ह नदी सांवेर के आगे शिप्रा नदी से मिलती है। शिप्रा आलोट के पास चंबल में और चंबल इटावा (यूपी) में यमुना में मिलती है। यमुना का प्रयागराज में गंगाजी में संगम हो जाता है। इस तरह कान्ह गंगा बेसिन की नदी है। {कान्ह का काला पानी शिप्रा को साफ नहीं होने दे रहा। इसी सिलसिले को तोड़ने के लिए गंगा बेसिन की सभी नदियों की सफाई शुरू हुई है। कान्ह-सरस्वती साफ होंगी तो शिप्रा, शिप्रा में साफ जल बहा तो चंबल और आगे गंगा तक साफ रहेगी।

एक्सपर्ट

मुकेश चौहान, नर्मदा कंट्रोल अथॉरिटी

दो तरह से पानी को बचाना होगा। पहला नदियों को बचाना होगा, दूसरा रीयूज बढ़ाना होगा। रेन वाटर हार्वेस्टिंग पानी सहेजने का अच्छा विकल्प है, लेकिन जल प्रदूषण के खतरों को नकारा नहीं जा सकता है। अभी प्रति व्यक्ति 1500 लीटर प्रतिदिन पानी की आपूर्ति हो रही है, जबकि खपत 3 हजार होना चाहिए। पानी को इंदौर तक लाने, उसे घर तक पहुंचाने में करीब 20 से 30 फीसदी लीकेज है।

शिवाजी मोहिते, अभ्यास मंडल

नदी पर एसटीपी बनने से फायदा होगा, केंद्र सरकार का कंट्रोल हो जाएगा। लेकिन ये बात ध्यान रहे कि सिर्फ सफाई करने से कुछ नहीं होगा। नदी में पानी का फ्लो बनना चाहिए। इसके लिए 30 मीटर दोनों तरफ सड़क को छोड़कर काम करना चाहिए।

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