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दिव्यांग को रोजगार के लिए दोपहिया वाहन, तो शुगर पीड़ित बच्ची का विशेषज्ञों से इलाज कराने के निर्देश

  • 200 से अधिक शिकायतें कलेक्टोरेट पहुंचीं, कई का हाथोहाथ हुआ निराकरण

कलेक्टोरेट की जनसुनवाई में मंगलवार को 200 से अधिक आवेदक शिकायत लेकर पहुंचे। इनमें से ज्यादातर कर हाथोहाथ निराकरण किया गया। शेष का भी जल्द निराकरण करने के आदेश कलेक्टर इलैया राजा टी. ने संबंधित अधिकारियों को दिए गए। साहब, मैं माया सेन कुम्हारखाड़ी में रहती हूं।

मैं, पति नागूलाल सेन और बेटा दिव्यांग हैं। हमारी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। जीविका चलाने के लिए रोजगार चाहते हैं। इसके लिए स्कूटी दिलवा दें, ताकि हम काम कर सकें। इस पर कलेक्टर ने मोटोराइज्ड दो पहिया वाहन उपलब्ध कराने के निर्देश सामाजिक न्याय विभाग के अधिकारियों को दिए, जिस पर ट्रॉली लगाकर दिव्यांग परिवार कुछ भी व्यवसाय कर सके।

11 वर्षीय बालिका के इलाज के लिए 10 हजार की सहायता

साहब, मैं ज्योति पाल नंदबाग कॉलोनी से आई हूं। मेरी 11 साल की बेटी शुगर पीड़ित है। उस पर इंसुलिन का खर्च अधिक होता है। मेरी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। कलेक्टर ने रेडक्राॅस के माध्यम से इलाज के लिए 10 हजार की आर्थिक सहायता की। साथ ही स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए कि बालिका का इलाज विशेषज्ञ डॉक्टरों के माध्यम से कराया जाए।

दो महिलाओं को आर्थिक मदद

परदेशीपुरा की माया ने कलेक्टर को बताया, साहब मेरे पति का निधन हो गया। आजीविका के लिए काम करना चाहती हूं, लेकिन स्थिति ऐसी नहीं कि हाथ ठेला खरीद सकूं। इस पर कलेक्टर ने ठेला खरीदने 3 हजार की सहायता रेडक्रॉस के माध्यम से की। छत्रीबाग निवासी प्रीति पोरवाल को भी व्यवसाय शुरू करने के लिए 3 हजार की आर्थिक मदद की।

ऑटो रिक्शा के लिए दिलाया लोन

मारुति नगर निवासी सरदार बामनिया ने रोजगार के लिए बिरसा मुंडा योजना के तहत 3 लाख के लोन की मांग की थी। उन्हें 2.40 लाख रुपए का लोन दिलाया गया, जिससे उन्होंने ऑटो रिक्शा खरीदा। प्रभारी अधिकारी अनुसूचित जनजाति वित्त विकास निगम अफसर अजय सक्सेना ने बामनिया को ऑटो रिक्शा की चाबी सौंपी।

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