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सोमवार को 2022 का अंतिम गणेश चतुर्थी व्रत:26 दिसंबर को गणेश पूजा के बाद करें शिव जी का अभिषेक, बिल्व पत्र और मिठाई के साथ चढ़ाएं दूर्वा भी

सोमवार, 26 दिसंबर को पौष मास के शुक्ल पक्ष का चतुर्थी व्रत है। ये व्रत घर की सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है, इसमें गणेश जी की विशेष पूजा की जाती है। चतुर्थी तिथि के स्वामी गणेश जी हैं और इनकी पूजा से भक्ति की बुद्धि बढ़ती है, कार्यों में आ रहे विघ्न दूर होते हैं और सफलता के साथ ही सुख-समृद्धि मिलती है।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक सोमवार और गणेश चतुर्थी व्रत होने से इसका महत्व और अधिक बढ़ गया है। गणेश पूजा के बाद शिव जी का अभिषेक भी करेंगे तो पूजा जल्दी सफल और भक्त की मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं। जानिए चतुर्थी पर कौन-कौन से शुभ काम किए जा सकते हैं...

ऐसे करें गणेश जी की सरल पूजा

चतुर्थी पर सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद घर के मंदिर में गणेश पूजा करें। गणेश प्रतिमा पर जल चढ़ाएं। वस्त्र अर्पित करें। कुमकुम, चंदन, अबीर, गुलाल चढ़ाएं और फूलों से श्रृंगार करें।

गणेश जी को दूर्वा खासतौर पर अर्पित करें। धूप-दीप जलाएं। मिठाई और लड्डू का भोग लगाएं। आरती करें। गणेश जी के मंत्र श्री गणेशाय नम:, ऊँ गं गणपतयै नम: मंत्र का जप करें। मंत्र कम से कम 108 बार करें। इसके लिए रुद्राक्ष की माला का उपयोग करें।

पूजा और मंत्र जप के बाद भगवान से पूजा में हुई जानी-अनजानी गलतियों की क्षमा मांगें। भगवान का प्रसाद बांटें और खुद भी ग्रहण करें।

जो लोग चतुर्थी पर व्रत कर रहे हैं, उन्हें दिनभर निराहार रहना चाहिए। अगर भूखे रहना संभव न हो तो फलाहार कर सकते हैं, दूध, फलों के रस का सेवन कर सकते हैं। शाम को चंद्र उदय के बाद चंद्रदेव और गणेश जी की पूजा करें। इसके बाद भोजन ग्रहण करें।

ऐसे कर सकते हैं शिव जी का अभिषेक

किसी मंदिर में गणेश पूजा के बाद शिवलिंग पर तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं। जल चढ़ाते समय ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें। बिल्व पत्र, धतूरा, दूर्वा, आंकड़े के फूल चढ़ाएं। चंदन का तिलक करें। धूप-दीप जलाएं। बिल्व पत्र पर रखकर मिठाई का भोग लगाएं। आरती करें। पूजा के बाद भगवान से क्षमा याचना करें। इसके बाद प्रसाद बांटें और खुद भी लें।


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