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काम से संतुष्ट हैं तो परिश्रम की थकान नहीं होती - महाकवि कालिदास

 

  • महाकवि कालिदास संस्कृत भाषा के उच्च कोटि के महाकवि थे। लोगों की सोच बदलने में प्रभावकारी रहे हैं। इन्हें ‘राष्ट्रकवि’ की उपाधि दी गई है।

1. प्रत्येक व्यक्ति की रुचि एक-दूसरे से भिन्न होती है। 2. काम की समाप्ति यदि संतोषजनक हो तो परिश्रम की थकान याद नहीं रहती। 3. विश्व महापुरुष को खोजता है न कि महापुरुष विश्व को। 4. नम्रता के संसर्ग से ऐश्वर्य की शोभा बढ़ती है। 5. गुण से ही व्यक्ति की पहचान होती है, उसका सम्मान हर कोई करता है। 6. सज्जन पुरुष बिना कहे ही दूसरों का भला करते हैं जिस प्रकार सूर्य घर-घर जाकर प्रकाश देता है। 7. इस पृथ्वी पर तीन रत्न हैं ; जल, अन्न और सुभाषित, लेकिन अज्ञानी तो पत्थर के टुकड़ों को ही रत्न कहते हैं। 8. आज अच्छी तरह जीने वाले बीते हुए कल को खुशियों की याद दिलाते हैं और आने वाले कल को उम्मीद की निशानी मानते हैं।

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