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बद से बदतर हालात:नई बिल्डिंग में भी 1 बेड पर 2 प्रसूता, नाकामी छिपाने के लिए एक का नाम दर्ज नहीं करते

हमीदिया में शिफ्टिंग के बाद सुल्तानिया अस्पताल का सिर्फ नाम बदला, हालात नहीं - Dainik Bhaskar

हमीदिया में शिफ्टिंग के बाद सुल्तानिया अस्पताल का सिर्फ नाम बदला, हालात नहीं

एक पलंग पर दो-दो मरीज। पलंग कम पड़े तो जमीन पर जहां-तहां लेटी प्रसूताएं। ये नजारा पुराने सुल्तानिया जनाना अस्पताल में ज्यादातर लोगों ने देखा है। लेकिन, यही हालात हमीदिया अस्पताल की नई बिल्डिंग में शिफ्टिंग के बाद भी देखने को मिल रहे हैं। यानी कि सुल्तानिया अस्पताल का सिर्फ नाम ही बदला है, हालात नहीं। करीब दो महीने पहले हमीदिया अस्पताल की नई बिल्डिंग के डी ब्लॉक में सुल्तानिया अस्पताल को शिफ्ट किया गया है, लेकिन यहां भी प्रसूताओं काे बेड की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है।

बेड नहीं मिलने पर प्रसूता और उनके नवजात जमीन पर चटाई बिछाकर लेटने को मजबूर हैं। वार्ड में एंट्री करें तो ठीक सामने 10 से ज्यादा पलंग खाली पड़े नजर आए। नर्सिंग स्टेशन की ओर की दोनों लाइन में 10-10 पलंग बिछे हैं। यहां 6 पलंग पर 2-2 प्रसूताएं अपने नवजात बच्चों के साथ जैसे-तैसे गुजर कर रही हैं। यही नहीं दो प्रसूताएं नवजात को लेकर फर्श पर बिछाई गई चटाई पर लेटी दिखीं।

शिफ्टिंग के बाद रोजाना 60 मरीज होते हैं भर्ती, जबकि ओपीडी में ही 450 मरीज

अस्पताल सूत्रों की मानें तो हमीदिया की नई बिल्डिंग में शिफ्ट होने के बाद ओपीडी में करीब 40% और आईपीडी में करीब 30% का इजाफा हुआ है। पहले करीब 250 मरीज हररोज ओपीडी में पहुंचते थे और 45 मरीज भर्ती होते थे। अब ओडीपी में रोजाना करीब 450 मरीज और करीब 60 मरीज रोजाना भर्ती होते हैं, लेकिन यहां 240 बेड ही दिए गए हैं। जबकि, अभी 280 मरीज यहां भर्ती हैं।

जब कोई परिजन से मिलने आता है तो वार्ड में उसके नाम का नहीं मिलता रिकॉर्ड

अस्पताल प्रबंधन ने अपनी नाकामी छिपाने का तरीका यह निकाला है कि एक पलंग पर लिटाई गई दो में से एक प्रसूता का नाम वार्ड में भर्ती की जाने वाली प्रसूताओं की सूची में दर्ज ही नहीं किया जाता है। ऐसे में कोई व्यक्ति अपनी किसी परिचित को देखने अस्पताल जाकर वार्ड में उनके नाम से पूछताछ करता है तो रिकॉर्ड में उनका नाम ही नहीं मिलता है। उसे एक-एक पलंग पर जाकर तलाश करनी पड़ती है।

कागजों में 300 बेड

240 बेड के अलावा इसी बिल्डिंग के 3 विभागों के 20-20 बेड रिजर्व हैं। इन बेड पर प्रसूताओं को भर्ती करें तो अतिरिक्त स्टाफ की जरूरत होगी, जो उपलब्ध नहीं है। ऐसे में ईएनटी के 20 बेड के वार्ड में 30 से ज्यादा प्रसूताएं भर्ती हैं।

ये है स्थिति

  • 240 बेड गायनी डिपार्टमेंट के लिए उपलब्ध हैं
  • 60 बेड तीन अलग-अलग वार्डों में रिजर्व किए
  • 500 करोड़ खर्चा आया था नई बिल्डिंग के निर्माण में

हालात तब और अब

ओपीडी के साथ आईपीडी में भी बढ़ गई मरीजों की संख्या

मरीज पहले अब
ओपीडी 250-260 440-450
आईपीडी 45-50 55-60
भर्ती मरीज 290-300 270-280

बेड तो पर्याप्त संख्या में दिए गए हैं। मरीजों की संख्या बहुत बढ़ गई है। बेड तो खाली थे, लेकिन किसी यूनिट में एक बेड पर दो मरीजों को रखा होगा, ऐसी स्थिति क्यों बन रही है इस बारे में बात कर व्यवस्था सुधारेंगे। -डॉ. अरविंद राय, डीन, जीएमसी

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