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पर्यावरण संरक्षण के लिए पहल:गुजरात से पेपर सीड मंगाकर प्रिंट कराए शादी के कार्ड, मिट्टी में कार्ड दबाने से तीन दिन में उगेंगे तुलसी और फूलों के पौधे

गुजरात से मंगाए पेपर सीड पर प्रिंट श्रेयांश की शादी का कार्ड जिसे गमले में दबाने से पौधा उगेगा। - Dainik Bhaskar

गुजरात से मंगाए पेपर सीड पर प्रिंट श्रेयांश की शादी का कार्ड जिसे गमले में दबाने से पौधा उगेगा।
  • विश्व पर्यावरण दिवस पर शादी होने से शहर के युवा श्रेयांश ने पर्यावरण संरक्षण के लिए की यह पहल
  • श्रेयांश ने कहा कि हमें जो सामान्य शादी का कार्ड 20 से 25 रुपए में पड़ता है

विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून) के दिन शादी होने पर पर्यावरण संरक्षण के लिए शहर के युवा श्रेयांश जैन ने अपनी शादी के कार्ड गुजरात से पेपर सीड मंगाकर उस पर प्रिंट कराए। इस शादी कार्ड की खासियत यह है कि इसे मिट्टी में दबाने से तुलसी और फूल का पौधा उगेगा क्योंकि कार्ड का पेपर तुलसी और फूल के बीज से बना है।

चकराघाट वार्ड में रहने वाले आईटी इंजीनियर श्रेयांश जैन ने बताया कि 5 जून के दिन शादी पड़ने पर वे पर्यावरण संरक्षण के लिए कुछ करना चाह रहे थे। सागर में पेपर सीड की तलाश की लेकिन मिला नहीं तो उन्होंने गुजरात से तुलसी और फूल के पौधे का पेपर सीड मंगाकर उस पर शादी के कार्ड प्रिंट कराए।

एक शादी कार्ड से 10 से 15 पौधे उगाए जा सकेंगे

श्रेयांश जैन ने बताया कि उनकी शादी का कार्ड मिट्टी में दबाने से तीन दिन में तुलसी और फूल के पौधे उगेंगे। उन्होंने बताया कि कार्ड के एक पेपर से 10 से 15 पौधे उगते हैं। मिट्टी में आधा इंच कार्ड दबाते ही बीज के अंकुरण की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। जो एक हफ्ते के अंदर पौधे का रूप ले लेगा। उन्होंने बताया कि शादी में भी प्लास्टिक युक्त डिस्पोजल सामग्री का उपयोग नहीं किया। पीने के पानी के लिए भी स्टील के गिलास का ही उपयोग किया गया।

पहले कर चुके प्रयोग, 20 दिन में 6 इंच हुई थी पौधे की ग्रोथ

श्रेयांश ने बताया कि पेपर सीड का उपयोग वे पहले कर चुके हैं। उन्होंने अपने घर पर गमले में इसे ट्राई किया। मिट्टी में पेपर सीड दबाने के बाद 20 दिन में 6 इंच का पौधा हो गया था। पौधे की ग्रोथ अच्छी रही। बस इसे दिन में दो बार पानी देना पड़ता है। श्रेयांश ने कहा कि हमें जो सामान्य शादी का कार्ड 20 से 25 रुपए में पड़ता है। उसी दाम पर उन्होंने यह पेपर सीड वाला कार्ड पड़ा है। इसके लिए अलग से कोई रुपए खर्च नहीं करने पड़े। श्रेयांश पुणे में आईटी कंपनी में जॉब करते हैं। पिछले दो साल से वे सागर में अपने घर पर ही रहकर वर्क ऑफ होम कर रहे हैं। इसके पहले वे मंगलगिरी पहाड़ी पर भी पौधरोपण कर चुके हैं।

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