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जीएसटी का विस्तार:जीएसटी काउंसिल की बैठक में कई वस्तुएं आ सकती हैं कर के दायरे में, आम आदमी की जेब पर पड़ेगा असर

जीएसटी का विस्तार - Dainik Bhaskar

जीएसटी का विस्तार
  • यदि पैकिंग वाली वस्तुओं पर जीएसटी लगता है तो छाछ, दही, लस्सी, परमल, पोहा, सूजी, रवा, बेसन के बढ़ सकते दाम
  • जीएसटी पोर्टल पर तकनीकी सुधार करने को लेकर होगी बात, ताकि ई-इनवॉइस का लोड कम हो सके

जीएसटी काउंसिल की महत्वपूर्ण बैठक चंडीगढ़ में मंगलवार और बुधवार को होने वाली है। इस पर इंदौर का व्यापारी वर्ग भी नजर रखे हुए है। इसमें किराने की ऐसी कई वस्तुओं को जीएसटी के दायरे में लाने को लेकर चर्चा की जाएगी जो अभी इस सूची से बाहर हैं। इसमें पैकेट में बिकने वाली रोजमर्रा की कई साधारण वस्तुएं जैसे- पनीर, शहद, छाछ, लस्सी, दही, दालें, बेसन, आटा, सूजी, परमल, पोहा आदि शामिल हैं।

व्यापारियों का कहना है कि यदि जीएसटी काउंसिल द्वारा इन वस्तुओं पर टैक्स लगाने का निर्णय लिया जाता है तो इसका सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ेगा। अहिल्या चैंबर ऑफ कॉमर्स के सुशील सुरेका ने बताया कि आज के समय में खुले गेहूं, चावल, आटा, बेसन, परमल, पोहा बहुत कम लोग खरीदते हैं। हर व्यक्ति पैकिंग वाली दालें और चावल खरीदता है, जिस पर अब तक कोई जीएसटी लागू नहीं था। जीएसटी काउंसिल यदि इस पर 5% की दर से जीएसटी लागू करने का निर्णय लेती है तो इससे व्यापारियों का इन्वेस्टमेंट बढ़ेगा और आम आदमी की जेब पर भी असर होगा।

वस्तुओं का पैकिंग का मतलब ब्रांडेड होना नहीं

सियागंज व्यापारी एसोसिएशन के अध्यक्ष रमेश खंडेलवाल ने बताया यदि हर प्रकार की पैक वस्तुओं पर जीएसटी लगता है तो इसका सबसे बड़ा असर छाछ, दही, लस्सी आदि पर पड़ेगा। वहीं, परमल, पोहा, सूजी, रवा, बेसन आदि भी पैकिंग में मिलता है। इस प्रकार के उत्पादों में कीड़ा लगने का डर रहता है, इसलिए इन्हें खुले में नहीं बेचा जा सकता। इन वस्तुओं का पैकिंग में मिलने का मतलब यह नहीं है कि यह सारे उत्पाद ब्रांडेड हैं, इन्हें टैक्स के दायरे से बाहर रखा जाना चाहिए।

जीएसटी पोर्टल पर तकनीकी सुधार करने को लेकर होगी बात, ताकि ई-इनवॉइस का लोड कम हो सके

जीएसटी पोर्टल पर तकनीकी सुधार करने को लेकर भी बात होगी। व्यवसायियों की सुविधा के लिए 6 नए इनवॉइस रजिस्ट्रेशन पोर्टल को लांच किए जाने पर भी निर्णय लिया जाएगा, ताकि ई-इनवॉइस पर अचानक बढ़ने वाले लोड को कम किया जा सके। इसके साथ ही हर महीने भरे जाने वाले जीएसटी के रिटर्न 3-बी के संबंध में भी निर्णय लिया जा सकता है।

जीएसटीआर 3-बी संशोधन जरूरी, अमेंडमेंट के लिए कॉलम बॉक्स हो

वरिष्ठ कर सलाहकार आरएस गोयल के अनुसार जीएसटीआर 3-बी में यदि कोई संशोधन करना हो तो व्यवसायी उसे अगले माह के 3-बी में दुरुस्त कर सकते हैं। किंतु इसके लिए पोर्टल पर अलग से कोई कॉलम नहीं होने के कारण व्यवसायी द्वारा किए जाने वाले संशोधन 3-बी में अलग से रिफ्लेक्ट नहीं होते हैं। इस असुविधा को समाप्त करने हेतु जीएसटीआर 3-बी में इस प्रकार के अमेंडमेंट के आंकड़ों को अलग से दर्शाने हेतु एक कॉलम उपलब्ध कराने पर बात होगी। इससे यह पता लग सके कि व्यवसायी जिस महीने का रिटर्न भर रहा है, उस महीने का टर्नओवर व टैक्स कितना है ।

ये भी आ सकते हैं कर के दायरे में
1. वर्तमान में 1000 रु. से कम किराए वाले रूम करमुक्त हैं। अब इन पर 12% की दर से कर लगाया जाना संभावित है।
2. हॉस्पिटल के रूम, जिनका 1 दिन का किराया 5000 से ऊपर है, उन पर 5% की दर से जीएसटी लगाया जाना प्रस्तावित है, किंतु ऐसे अस्पतालों को कोई इनपुट टैक्स क्रेडिट प्राप्त नहीं होगा।
3. वर्तमान में ई वेस्ट पर 5% की दर से कर है, इसे 18% किया जा सकता है।
4. न्यूज पेपर, मैगजीन एवं रेलवे रिक्रूटमेंट का परिवहन कर मुक्त है, इसे कर के दायरे में लाना प्रस्तावित है।
5. चेक बुक पर 18% की दर से करारोपण संभावित।

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