Header Ads Widget

Responsive Advertisement

20 माह से फरार सरगना पकड़ाया:डेढ़ हजार अमेरिकियों से फ्रॉड करने वाला, चंडीगढ़ में चला रहा था ठगी का कॉल सेंटर

करण भट्ट - Dainik Bhaskarकरण भट्ट

ढाई लाख अमेरिकियों का डेटा जुटाकर करीब डेढ़ हजार अमेरिकी नागरिकों से धोखाधड़ी करने वाले इंटरनेशनल कॉल सेंटर के सरगना को आखिरकार 20 माह बाद क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया। वह नवंबर 2020 से बेखौफ घूम रहा था। इसने हाल ही में चंडीगढ़ में एक नया कॉल सेंटर भी खोल लिया था और फिर से अमेरिकी नागरिकों से धोखाधड़ी शुरू कर दी थी।

इंदौर में केस दर्ज होने के बाद भी पुलिस इस तक नहीं पहुंच पा रही थी। इसका कारण आरोपी से लसूड़िया थाने के कुछ पुलिसकर्मियों और क्राइम ब्रांच के कुछ अधिकारियों सांठगांठ थी। कुछ समय पहले डीसीपी के निरीक्षण हुआ तो इसकी फाइल सामने आई और उन्होंने इस पर 5 हजार रुपए का इनाम घोषित कराया। इसके बाद क्राइम ब्रांच सक्रिय हुई और आरोपी करण भट्ट को उत्तराखंड से गिरफ्तार करके लाई। इसने गुजरात के वत्सल मेहता के साथ पार्टनरशिप कर लसूड़िया क्षेत्र की एक कमर्शियल बिल्डिंग में इंटरनेशनल कॉल सेंटर खोला था। यहां इसकी टीम अमेरिकी एक्सेंट में अमेरिकन नागरिकों से बात कर उनके सोशल सिक्युरिटी नंबर को किसी भी क्रिमिनल केस में उपयोग में आने का डर बताकर धोखाधड़ी करती थी।

सरगना सहित 22 आरोपी हुए थे गिरफ्तार, लेकिन करण हो गया था फरार

कॉल सेंटर लसूड़िया थाने के कुछ जवानों के संरक्षण में ही संचालित किया जा रहा था। क्राइम ब्रांच और तत्कालीन एएसपी रहे शैलेंद्र सिंह की टीम ने एक शिकायत के बाद यहां दबिश देकर इसे दबोचा था। तब डीआईजी रहे हरिनारायणचारी मिश्र ने इसका खुलासा करते हुए इस कॉल सेंटर के सरगना वत्सल मेहता सहित कुल 22 आरोपियों को गिरफ्तार करने की बात कही थी। सूत्रों के मुताबिक कॉल सेंटर का संचालक आरोपी करण ही था, लेकिन थाने के कुछ जवानों की मदद से वह फरार होने में सफल हो गया था। इसमें बड़े लेनदेन की बात भी सामने आई थी। बताते हैं करण ने क्राइम ब्रांच और एएसपी रैंक के कुछ अफसरों से भी सांठगांठ कर रखी थी, इसलिए फरारी में उस पर इनाम घोषित नहीं किया जा रहा था।

जांच के लिए एफबीआई की टीम आ चुकी है इंदौर
ढाई लाख अमेरिकी नागरिकों के डेटा मिलने और करीब डेढ़ हजार अमेरिकी नागरिकों से धोखाधड़ी करने वाले इस इंटरनेशनल कॉल सेंटर के सरगना आरोपियों के फर्जीवाड़े पकड़ाने के बाद इंदौर में क्राइम ब्रांच और साइबर सेल की टीमों ने भी कई और काॅल सेंटरों पर दबिश दी थी। पुलिस कमिश्नर ने हरिनारायणचारी मिश्र ने अमेरिकी नागरिकों से हुई धोखाधड़ी को लेकर अमेरिकी एंबेसी को प्रकरण की डिटेल भेजी थी। इसके बाद एफबीआई की एक टीम इसी साल मार्च में इंदौर आई थी। यहां पूरी जानकारी लेकर कुछ अमेरिकी नागरिकों के बयान भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से करवाए थे।

फरारी का जिक्र सिर्फ डायरी में दिखाया था
आरोपी की फरारी का जिक्र लिखा-पढ़ी में केवल डायरी में दिखाया था, लेकिन इसकी गिरफ्तारी पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा था। डीसीपी निमिष अग्रवाल ने सभी पुराने पेंडिंग मामलों की फाइलें खोली तो कई मामलों में दर्जनों आरोपी फरार मिले। इस पर डायरी देखने के बाद उन्होंने आरोपी करण पर भी इनाम घोषित कर उसे गिरफ्तार करने का टॉस्क दिया था। इसी के बाद क्राइम ब्रांच की टीम उसे उत्तराखंड से गिरफ्तार करके लाई है।

इसके इंदौर के साथी को भी केस से बाहर किया

आरोपी करण के पकड़ाए जाने के बाद अफसरों को जानकारी मिली है कि इसके इंदौर स्थित कॉल सेंटर के एक और कर्मचारी को सांठ-गांठ कर केस से ही बाहर कर दिया था, जिसका नाम विश्वजीत भदौरिया है। बताते हैं क्राइम ब्रांच में एक अधिकारी के ड्राइवर रहे पुलिसकर्मी ने इसका नाम केस से बाहर करवा दिया था। अब इस प्रकरण की नए सिरे से जांच की जा रही है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ