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हिंदी में एमबीबीएस की पढ़ाई:एमबीबीएस फर्स्ट ईयर के कोर्स में हिंदी में मिलेंगे अंग्रेजी के शब्द टेम्प्रेचर को तापमान तो लिख सकते हैं, पर स्पाइन काे मेरुदंड नहीं

गांधी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस प्रथम वर्ष की पढ़ाई हिंदी में शुरु हो जाएगी - Dainik Bhaskar

गांधी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस प्रथम वर्ष की पढ़ाई हिंदी में शुरु हो जाएगी

अगले सत्र से भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस प्रथम वर्ष की पढ़ाई हिंदी में शुरु हो जाएगी। देश में अपनी तरह का यह पहला प्रयोग भोपाल से शुरु हो रहा है। इसके लिए तीन विषयों एनोटॉमी, फिजियोलॉजी और बायो कैमिस्ट्री की किताबें इसी माह छपकर आ जाएंगी। इन किताबों को तैयार करने में 58 विषय विशेषज्ञों की टीम को मात्र 98 दिन लगे। ये किताबें डिजिटल फार्म में भी उपलब्ध रहेंगी। हालांकि हिंदी में पढ़ाई अनिवार्य नहीं है, छात्र अंग्रेजी की किताबें भी पढ़ सकते हैं।

अनुवाद नहीं, रुपांतरण किया

विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मेडिकल की पढ़ाई में कई शब्द अंग्रेजी के ही उपयोग में आते हैं, इसलिए ऐसे शब्दों का हिंदी अनुवाद करने की बजाय उन्हें देवनागरी में लिखा गया है। जैसे, ब्लडप्रेशर प्रचलित शब्द है, उच्च रक्तचाप समझना मुश्किल है। फोरहैंड को अग्रभुजा लिखेंगे तो समझ नहीं आएगा। ऑपरेशन को शल्य क्रिया लिखना अप्रासंगिक होगा। टेम्प्रेचर का हिंदी में तापमान समझ में आ जाएगा, पर स्पाइन को मेरुदंड लिखेंगे तो पढ़ने वाले का दिमाग ही चकरा जाएगा।

58 विशेषज्ञों की 98 दिन की मेहनत

एमबीबीएस की हिंदी में पढ़ाई की घोषणा सीएम शिवराज सिंह चौहान ने 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौके पर की थी। चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने इस मामले में रुचि लेकर हर सप्ताह संबंधित अफसरों की बैठक ली और प्रगति की समीक्षा करते रहे। सरकार ने 8 फरवरी को संचालक चिकित्सा शिक्षा, भोपाल की अध्यक्षता में हिंदी प्रकोष्ठ बनाया। हिंदी में कोर्स तैयार करने के लिए 14 सदस्यीय एक कमेटी बनाई। विषयवार तीन और कमेटियां बनाई गईं। जीएमसी से तीनों विषयों के एक-एक विशेषज्ञ इनमें शामिल थे। हिंदी विवि के साथ ही दिल्ली और यूपी के मेडिकल, हिंदी और तकनीकी विषयों के जानकार मिलाकर इन कमेटियों में 58 सदस्य थे। भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, रीवा और सागर मेडिकल कॉलेजों के तीनों विषयों के विभागाध्यक्ष और प्राध्यापकों की मदद से पाठ्यक्रम को हिंदी में तैयार करवाया गया। मार्च में विषय निर्धारण समिति एवं सत्यापन समिति के समस्त सदस्यों को प्रशिक्षण दिया गया। ट्रांसलेशन का काम एक एजेंसी को दिया गया। मई में प्रकाशक ने फाइनल ड्राफ्ट तैयार करके अंतिम सत्यापन के लिए फर्स्ट कट एवं सेकंड कट तीनों विषयों के विशेषज्ञों को भेजे गए। तीनों विषयों का पहला वाल्यूम 23 जून तक विभाग को मिल जाएगा।

ये शब्द ऐसे ही हिंदी में रहेंगे

स्पाइन, प्लाज्मा, हार्मोन्स, एंजाइम, जेनेटिक्स, एलर्जी, पैथोलॉजी, कीमोथैरेपी, टॉक्सिकोलॉजी, रेस्पिरेटरी सिस्टम, कार्डियो वास्कुलर सिस्टम, अपर लिंब, एब्डोमेन, पेल्विस, ब्रेन, आई बॉल, एक्सिला, पेक्टोरल रीजन, बोन, केविटी, लंग्स, थोरेक्स, क्लीनिकल, फोरेंसिक, मसल्स, टेस्ट, मेडिकल। इसी तरह अधिकांश बीमारियों के अंग्रेजी नाम भी देवनागरी में लिखे गए हैं।

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