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इंदौर में सब्जी बेचने वाली बनी सिविल जज

इंदौर में सब्जी बेचने वाली सिविल जज बन गई है। बुधवार को जैसे ही रिजल्ट आया, वह प्रिंटआउट लेकर सीधे सब्जी बेच रही मां के पास पहुंची। बोली- मम्मी मैं जज बन गई। छात्रा और उसका परिवार इंदौर में मूसाखेड़ी में सब्जी का ठेला लगाते हैं।

इंदौर की 25 साल की अंकिता नागर ने सिविल जज एग्जाम में अपने एससी कोटे में 5वां स्थान हासिल किया है। बेटी की इस उपलब्धि से परिवार में खुशियां हैं। माता-पिता ने बचपन से ही सब्जी का ठेला लगाकर अंकिता को पढ़ाया। आज उसका सपना पूरा हो गया है। अंकिता ने बताया कि रिजल्ट एक हफ्ते पहले ही जारी हो गया था, लेकिन परिवार में मौत हो जाने के कारण सभी इंदौर से बाहर थे। बुधवार को जैसे ही ऑनलाइन रिजल्ट हाथ लगा, सभी खुशी से झूम उठे।

सिविल जज के लिए सिलेक्शन होते ही अंकिता सबसे सब्जी बेच रही मां के पास पहुंचीं और उन्हें खुशखबरी दी।
सिविल जज के लिए सिलेक्शन होते ही अंकिता सबसे सब्जी बेच रही मां के पास पहुंचीं और उन्हें खुशखबरी दी।

माता-पिता के साथ खुद भी बेचती है सब्जी
अंकिता ने बताया कि परिवार में सभी सदस्य सब्जी बेचने का काम करते हैं। पापा सुबह 5 बजे उठकर मंडी चले जाते हैं। मम्मी सुबह 8 बजे सभी के लिए खाना बनाकर पापा के सब्जी के ठेले पर चली जाती है। फिर दोनों सब्जी बेचते हैं। बड़ा भाई आकाश रेत मंडी में मजदूरी करता है। छोटी बहन की शादी हो चुकी है।

अंकिता ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए बहुत संघर्ष किया। एक छोटे से कमरे में कम लाइट में घंटों पढ़ाई की।
अंकिता ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए बहुत संघर्ष किया। एक छोटे से कमरे में कम लाइट में घंटों पढ़ाई की।

छोटे कमरे में रोज 8 घंटे की पढ़ाई
अंकिता ने बताया कि वो रोजाना 8 घंटे पढ़ाई को देती थीं। शाम को जब ठेले पर अधिक भीड़ हो जाती तो सब्जी बेचने चली जाती थीं। रात 10 बजे दुकान बंद कर घर आ जाते थे। फिर रात 11 बजे से पढ़ाई करने बैठ जाती।

अंकिता तीन साल से सिविल जज के लिए तैयारी कर रही थीं। दो बार की असफलता के बाद उनका सिलेक्शन हुआ है।
अंकिता तीन साल से सिविल जज के लिए तैयारी कर रही थीं। दो बार की असफलता के बाद उनका सिलेक्शन हुआ है।

मोबाइल की टॉर्च में की पढ़ाई
अंकिता ने बताया कि वह तीन साल से सिविल जज की तैयारी कर रही हैं। 2017 में उन्होंने इंदौर के वैष्णव कॉलेज से LLB किया। इसके बाद 2021 में LLM की परीक्षा पास की। लगातार सिविल जज की तैयारी में जुटी रही। दो बार सिलेक्शन नहीं होने के बाद भी माता-पिता हौसला दिलाते रहे। यही कारण है कि आज जैसे ही मेरे हाथ में रिजल्ट आया तो सबसे पहले मैंने यह खुशखबरी ठेले पर जाकर मम्मी को दी।

अपने रिजल्ट से निराश न हों अपने अनुभव साझा करते हुए अंकिता ने कहा कि रिजल्ट में नंबर कम-ज्यादा आते रहते हैं, लेकिन छात्र-छात्राओं को हौसला रखना चाहिए। असफलता मिलने पर नए सिरे से कोशिशें करना चाहिए। भविष्य में जरूर अच्छा रिजल्ट आएगा।

मुश्किलों से की पढ़ाई
अंकिता ने बताया कि उसके घर में कमरे बहुत छोटे हैं। गर्मी में छत पर लगे पतरे इतने गर्म हो जाते हैं कि पसीने से किताबें गीली हो जाती थीं। बारिश में पानी टपकता है। गर्मी देख भाई ने अपनी मजदूरी से रुपए बचाकर कुछ दिन पहले ही एक कूलर दिलवाया है। मेरे परिवार ने मेरी पढ़ाई के लिए इतना कुछ किया है, जिसे बताने के लिए मेरे पास शब्द नहीं है।

बेटी बनी मिसाल
अंकिता के पिता अशोक नागर ने बताया अंकिता ने लंबे समय तक संघर्ष किया। हमारी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, ऐसे में अंकिता की पढ़ाई के लिए हमें कई बार रुपए उधार लेना पड़े पर उसकी पढ़ाई नहीं रुकने दी। अंकिता की मां लक्ष्मी ने बताया कि बेटी के जज बनने की खबर सुनते ही मेरी आंखों से आंसू छलक पड़े। काफी देर तक आंसू रुके ही नहीं।

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