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आलोचना सभी के सामने की जाती है तो वह अपमान में बदल जाती है और अकेले में की जाए तो सलाह बन जाती है

कबीरदास जी ने कहा है कि निंदक नियरे राखिए यानी आलोचकों को हमेशा अपने आसपास रखना चाहिए। आलोचना को सकारात्मकता के साथ लिया जाए तो ये सलाह बन जाती है, लेकिन कभी-कभी आलोचना की वजह से रिश्ते भी बिगड़ जाते हैं। अगर सार्वजनिक रूप से किसी की आलोचना की जाती है तो वह अपमान बन जाती है। इसलिए किसी की आलोचना करते समय बहुत सतर्क रहना चाहिए।

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