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हमें परिश्रम खुद ही करना है, लेकिन परमात्मा का ध्यान भी करते रहें

 कहानी:रामायण में सुग्रीव बाली के महल के बाहर पहुंच गया और बाली को युद्ध करने के लिए ललकारने लगा। उस समय बाली की पत्नी तारा ने उसे समझाया कि तुम्हारा छोटा भाई तुमसे युद्ध करने के लिए तुम्हें पुकार रहा है, लेकिन मेरी सलाह ये है कि तुम अभी युद्ध करने के लिए न जाओ, क्योंकि सुग्रीव इस समय अकेला नहीं है। उसके पीछे राम और लक्ष्मण हैं। ये भगवान ही हैं।

बाली को अपनी शक्ति पर घमंड था, उसने तारा की बात मानने से मना कर दिया और बोला कि मैं तो युद्ध करने जाऊंगा। बाली महल से बाहर आया और सुग्रीव के साथ युद्ध करने लगा। बाली बहुत शक्तिशाली था, उसने सुग्रीव की बहुत पिटाई कर दी।

किसी तरह बाली से बचकर सुग्रीव श्रीराम के पास पहुंचे और बोले, 'आपने कहा था कि मैं बाली से युद्ध करने जाऊं और मैं आपकी बात मानकर चला भी गया। मैंने आपसे कहा था कि बाली बहुत बलशाली है। अगर मैं उससे बचकर भागता नहीं तो मैं मारा जाता। आपने उसे मारने के लिए बाण क्यों नहीं चलाया?'

श्रीराम ने कहा, 'मेरे सामने एक दुविधा थी। तुम दोनों भाई दूर से एक जैसे दिखाई देते हो। मैं सोच रहा था कि तीर किस पर चलाऊं। तुम दोनों में कोई भेद नहीं दिख रहा था।'

सुग्रीव ने कहा, 'अब इस समस्या का निदान तो आप ही बताइए।'

श्रीराम ने सुग्रीव के गले में एक माला डाल दी और कहा, 'अब तुम युद्ध के लिए जाओ। इस माला से दो बातें होंगी। पहली, जब बाली तुम्हारे गले में माला देखेगा तो वह समझ जाएगा कि ये माला राम ने तुम्हें पहनाई है। तुम्हारे पीछे मेरी शक्ति है। दूसरी बात ये है कि मैं तुम्हें पहचान लूंगा।'

श्रीराम की बात मानकर सुग्रीव फिर से बाली से युद्ध करने पहुंच गया। इस बार सुग्रीव पीछे मुड़-मुड़कर देख रहा था कि श्रीराम कहां हैं? ऐसे ही वह बाली से भीड़ गया। श्रीराम ने बाण छोड़ा और वह बाण बाली की छाती में लगा।

सीख
इस घटना का संदेश ये है कि परमात्मा हमसे कहता है कि तुम में कोई भेद यानी अंतर होना चाहिए। भेद देखकर मैं समझ जाऊंगा कि तुम मेरे भक्त हो और मैं तुम्हारी मदद करूंगा। तुम संसार में अन्य लोगों की तरह हो जाते हो। अच्छा आचरण बनाए रखें, ताकि हम अन्य लोगों से अलग दिख सके। तभी भगवान भक्त की मदद कर पाएंगे।

सुग्रीव से एक बात ये सीख सकते हैं कि सुग्रीव ने गले में माला डाल रखी थी और युद्ध करते समय बार-बार पीछे पलटकर भगवान को देख रहा था। हमें संसार की समस्याओं का सामना करते समय परिश्रम खुद ही करना है, लेकिन नजर ईश्वर पर रखनी है। ये बात हमारी शक्ति बढ़ा देती है।

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