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जिस घर में वासना, गुस्सा और लालच जैसी बुराइयां हैं, वहां सुख-शांति नहीं रहती

कहानी:रामायण में राजा दशरथ की तीन रानियां थीं, कौशल्या, कैकयी और सुमित्रा। दशरथ ने निर्णय कर लिया था कि राम को अयोध्या का राजा बनाना है और राम के राज तिलक की ये सूचना सबसे पहले वे कैकयी को देना चाहते थे। कैकयी राम से बहुत प्रेम करती थीं और राम को राजा बनाने के लिए दशरथ से कई बार कह चुकी थीं।

दशरथ कैकयी के महल में पहुंचने वाले थे, उससे पहले दासी मंथरा ने कैकयी को कुछ इस ढंग से समझाया कि जो कैकयी राम को सबसे अधिक प्रेम करती थीं, वही राम की विरोधी हो गईं। कैकयी ने तैयारी कर ली थी कि राम को वनवास भेजना है और मेरे बेटे भरत को राजा बनाना है।

यहां दासी मंथरा एक ऐसी प्रवृत्ति है जो घर के लोगों के बीच कलह करवाती है। मंथरा जैसी वृत्ति जिस व्यक्ति के अंदर आ जाती है, वह अपने घर में ऐसा ही करता है।

जब दशरथ कैकयी के सामने पहुंचे तो कैकयी क्रोध में थी। मंथरा ने कैकयी के मन में लोभ का बीज बो दिया था। कैकयी को गुस्से में देखकर दशरथ ने अपनी रानी की प्रशंसा करनी शुरू कर दी।

दशरथ श्रृंगार रस से भरे शब्द बोल रहे थे। उनकी उम्र ऐसी नहीं थी कि वे पत्नी से इस तरह बात करें। उनके घर में अगले दिन राम का तिलक होने वाला था। जब घर में शुभ काम होने वाला हो तो हमारा आचरण संयमित होना चाहिए और वाणी मर्यादित होनी चाहिए।

दशरथ की प्रशंसा का कोई असर रानी कैकयी पर नहीं हुआ। कैकयी जिद पर अड़ गईं और राजा से अपनी बातें मनवा लीं। इस कारण अयोध्या में राम राज्य चौदह वर्षों के लिए आगे बढ़ गया। परिवार का प्रेम आगे चला गया। सब कुछ अनचाहा हो गया।

सीख
इस कथा हमें संदेश दे रही है कि पति-पत्नी के बीच वासना, गुस्सा और लालच आ जाए तो परिवार की सुख-शांति खत्म हो जाती है।

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