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17 अप्रैल से 16 मई तक रहेगा वैशाख मास:इस महीने में जलदान और भगवान विष्णु की पूजा से मिलता है कई यज्ञों का पुण्य

नए संवत्सर का दूसरा महीना वैशाख 17 अप्रैल से शुरू हो गया है। जो 16 मई तक रहेगा। शास्त्रों के अनुसार वैशाख मास का विशेष महत्व है। इसे पुण्य का महीना भी माना जाता है। इस महीने मे अन्न और जलदान करने का खास महत्व होता है। ग्रंथों में कहा गया है कि वैशाख महीने में जरुरतमंद लोगों को दान देने से कई गुना शुभ फल मिलता है। ऐसा करने से हर तरह के दुख और तकलीफ खत्म हो जाते हैं।

क्यों खास है वैशाख मास
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि इस महीने के आखिरी दिन यानी पूर्णिमा पर चंद्रमा विशाखा नक्षत्र में रहता है। इसलिए इसे वैशाख मास कहा जाता है। विशाखा नक्षत्र के स्वामी देवगुरु बृहस्पति और देवता इंद्र है। इस कारण इस पूरे महीने में स्नान-दान, व्रत और पूजा की जाती है। जिससे मिलने वाला पुण्य कभी खत्म नहीं होता है। इसलिए वैशाख महीने को इतना खास माना गया है।

पुराणों में वैशाख महीना
स्कंद, पद्म और विष्णु धर्मोत्तर पुराण, में वैशाख को भगवान विष्णु का प्रिय महीना कहा गया है। ग्रंथों में बताया है कि इस महीने भगवान विष्णु, सूर्य और शिवजी को जल चढ़ाने से कई यज्ञ करने जितना शुभ फल मिलता है। वैशाख महीने में भगवान विष्णु और सूर्य देवता की पूजा करने से जाने-अनजाने में हुए हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। वैशाख महीने में तुलसी और पीपल पूजा करने का भी महत्व बताया गया है।

इस महीने में क्या करें...

सूर्योदय से पहले स्नान: वैशाख मास में हर दिन सूर्योदय से पहले स्नान करने की परंपरा है। इस महीने में तीर्थस्थान पर स्नान करने का भी महत्व है। जो तीर्थ में जाकर स्नान नहीं कर सकते, वे घर पर ही पानी में गंगाजल की कुछ बूंदें डालकर नहा सकते हैं। ऐसा करने से तीर्थ स्नान का पुण्य मिलता है।

भगवान विष्णु को चढ़ाएं तुलसी: वैशाख भगवान विष्णु का प्रिय महीना होने के कारण इस मास में भगवान विष्णु की पूजा का भी विशेष महत्व है। भगवान विष्णु को तुलसी चढ़ानी चाहिए। शिवलिंग व पीपल के पेड़ पर पानी चढ़ाएं।

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