हिंदू पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक खरमास काल में नियमों का बहुत महत्व है। 14 मार्च की रात 2.39 पर सूर्य कुंभ से निकलकर गुरु की राशि मीन में प्रवेश करेगा। इसके बाद 14 अप्रैल को सुबह 10.53 पर मेष राशि में सूर्य के आते ही खरमास खत्म हो जाएगा। ऐसे में इस एक महीने के दौरान शुभ काम नहीं किए जा सकेंगे।
ज्योतिष ग्रंथ में है खरमास का जिक्र
धनु और मीन राशि का स्वामी बृहस्पति होता है। इनमें राशियों में जब सूर्य आता है तो खरमास दोष लगता है। ज्योतिष तत्व विवेक नाम के ग्रंथ में कहा गया है कि सूर्य की राशि में गुरु हो और गुरु की राशि में सूर्य रहता हो तो उस काल को गुर्वादित्य कहा जाता है। जो कि सभी शुभ कामों के लिए वर्जित माना गया है।
खरमास में दान का महत्व
खरमास में दान करने से तीर्थ स्नान जितना पुण्य फल मिलता है। इस महीने में निष्काम भाव से ईश्वर के नजदीक आने के लिए जो व्रत किए जाते हैं, उनका अक्षय फल मिलता है और व्रत करने वाले के सभी दोष खत्म हो जाते हैं। इस दौरान जरूरतमंद लोगों, साधुजनों और दुखियों की सेवा करने का महत्व है। खरमास में दान के साथ ही श्राद्ध और मंत्र जाप का भी विधान है।
खरमास में कर सकते हैं खरीदारी
खरमास में नए कपड़े, ज्वेलरी, मकान, वाहन और रोजमर्रा की जरूरी चीजों की खरीदारी के साथ ही उनका इस्तेमाल कर सकते हैं। इस महीने में नए रत्न-आभूषणों की खरीदारी तो कर सकते हैं लेकिन खरमास में इन्हें धारण नहीं करना चाहिए।
न करें ये शुभ काम
खरमास में फल प्राप्ति की कामना से होने वाले सभी कार्य जैसे- किसी भी प्रयोजन के व्रत-उपवास की शुरुआत, उद्यापन, कर्णवेध, मुंडन, यज्ञोपवीत, समावर्तन (गुरुकुल से विदाई), विवाह और प्रथम तीर्थ यात्रा वर्जित है।
0 टिप्पणियाँ