चीफ जस्टिस बनने के बाद पहली बार जस्टिस रवि विजय मलिमथ इंदौर खंडपीठ में सुनवाई करने आए। सोमवार को हाई कोर्ट परिसर से ही उन्होंने वर्चुअली प्रकरणों की सुनवाई की। इस दौरान हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने भी उनसे मुलाकात कर सम्मानित किया। एसोसिएशन ने उनसे मांग रखी कि कोर्ट परिसर में ही वकीलों के लिए वर्चुअल सुनवाई की पुख्ता व्यवस्था की जाए।
तकनीकी कारणों से वकील वर्चुअल सुनवाई में नहीं जुड़ पाएं तो उनके प्रकरणों को खारिज नहीं किया जाए। प्रकरण दायर होने के बाद कई बार कमी-पेशी रह जाती है। इसे दूर करने के बाद भी केस लिस्ट नहीं हो पाते हैं। इसे ठीक किया जाए। एसोसिएशन के अध्यक्ष सूरज शर्मा, सचिव गौरव श्रीवास्तव, सह सचिव नीलेश मनोरे भी मिलने वालों में शामिल थे। सीजे का इंदौर खंडपीठ में सप्ताहभर के लिए रोस्टर रहेगा।
हाई कोर्ट ने कहा- कोर्ट के आदेश का तत्काल पालन नहीं, प्रशासन शपथ पत्र पर बताए
कम्प्यूटर बाबा के खिलाफ केस दर्ज करने के बाद हाई कोर्ट ने पांच लाख रुपए के बांड पर जमानत आदेश जारी किए थे, लेकिन आदेश के तीन दिन बाद भी वह बाहर नहीं आए थे। कोर्ट के आदेश का तत्काल पालन नहीं करने को लेकर बाबा की ओर से हाई कोर्ट में अर्जी दायर की गई।
हाई कोर्ट ने वर्चुअल सुनवाई करते हुए कहा कि प्रशासन द्वारा धारा 116 के तहत क्या कार्रवाई की गई। यह शपथ पत्र पर बताएं। चीफ जस्टिस रवि विजय मलिमथ, जस्टिस प्रणय वर्मा की खंडपीठ के समक्ष यह मामला सुनवाई के लिए लगा था। बाबा की ओर से अधिवक्ता रवींद्रसिंह छाबड़ा ने पैरवी की। जस्टिस मलिमथ ने रोस्टर के तहत डिविजन बेंच के रूप में सुनवाई की।
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