कांग्रेस सरकार ने बीते सालों में किसानों के हित में कुछ नहीं किया। प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व में 15 माह सरकार रही लेकिन उन्होंने कर्ज माफी के नाम किसानों के साथ धोखाधड़ी की। कमलनाथ नाग है और कुंडली मारकर बैठते हैं जबकि दिग्विजसिंह सपेरा है। कमलनाथ सपेरे के कहने में आ गए और निपट गए। दिग्विजयसिंह ने संघ को दीमक कहा था मैंने कहा दिग्विजयसिंह दीमक है जो कांग्रेस को खा गए और कांग्रेस दीमक है जो देश को खा गई।
यह बात प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल ने शनिवार को इंदौर में रेसीडेंसी में पत्रकारों से कही। अपनी सरकार के दो साल की उपलब्धियां बताते हुए उन्होंने कांग्रेस के खूब आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराजसिंह के नेतृत्व में किसानों के हितों में बड़े-बड़े काम किए हैं। मप्र में किसानों को 13451 करोड़ प्रधानमंत्री सम्मान निधि में तथा 3051 करोड़ रु. मुख्यमंत्री किसान कल्याण निधि में दे चुके हैं। इस प्रकार 16,502 करोड़ रु. किसानों के खातों में जा चुका है। ये छोटे किसान हैं जिन्हें जरूरत है। उन्होंने कहा कि कमलनाथ 15 महीने नाथ जैसे कुंडली मारकर बैठे थे। कांग्रेस ने 1 रु. प्रीमियम जमा नहीं किया और न 1 रु. किसानों को दिया। भाजपा सरकार आई तो अब 9388 करोड़ रु. की राशि किसानों के खाते में डाल चुके हैं। 2020 में फसल में बीमारी आई तो तो हमने तीन बार तारीख बढ़ाई। फसल खराब हो गई। उसके बाद बीमा कराया। यह देश का नहीं दुनिया का पहला उदाहरण है। वन ग्राम का बीमा नहीं होता लेकिन हमने कराया।
उन्होंने कहा कि मैंने हरदा व सीहोर में गया जहां बाढ़ आई थी। मैंने किसानों से बात की तो उन्होंने कहा कि वन ग्राम में है, हमारा बीमा नहीं होता लेकिन मैंने कराया। मप्र देश का पहला राज्य है जहां वन ग्राम का भी बीमा होता है। हमने घर-घर जाकर बीमा कराया उन्होंने कहा कि 15 फरवरी के पहले किसानों को बीमा राशि दे देंगे। 2020 में किसानों की जो सोयाबीन की फसलें खराब हुई थी उसकी करीब 7600 करोड रु. की राशि मुख्यमंत्री के एक क्लिक के दबाते ही किसानों के खातों में पहुंच जाएगी। यह किसानों की सरकार है। अभी बेमौसम बारिश से रबी की फसलें ओलों से खराब हो गई। इसमें अगर एक किसान की भी फसल खराब हुई है तो उसको भी बीमा दिलाएंगे। यह प्रक्रिया 72 घंटों में होगी। किसान या कलेक्टर बीमा कंपनी को सूचित करे तो तत्काल 25% उसे मिलेगा। बाद में फिर पूरा मिलेगा। अभी पांच जिले अधिसूचित कराए हैं बाकी का सर्वे कराया है। मप्र में किसानों ने कर्ज के कारण आत्महत्या नहीं की बल्कि इसके पीछे कई उनके पारिवारिक कारण रहे हैं। प्रदेश में कितने किसानों ने आत्महत्या की है, इसका जवाब वे नहीं दे पाए।
0 टिप्पणियाँ