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धनतेरस आज:इस पर्व पर शाम को यम देवता के लिए दीपदान करने से खत्म होती हैं बीमारियां और दूर होता है अकाल मृत्यु का डर

 

  • स्कंद और पद्म पुराण के मुताबिक धनतेरस पर यमराज के लिए दीपदान करने से दूर होती हैं परेशानियां

आज धनतेरस पर्व हे । ये पर्व खरीदारी का अबूझ मुहूर्त माना जाता है। इसलिए इस दिन हर तरह की खरीदारी करने की परंपरा है। खरीदी के अलावा इस पर्व पर यम-दीपदान जरूर करना चाहिए। पुराणों के मुताबिक इस दिन ऐसा करने से अकाल मृत्यु का डर खत्म होता है। पूरे साल में धनतेरस और रूप चतुर्दशी को मृत्यु के देवता यमराज की पूजा दीपदान करके की जाती है। इस दिन शाम को यमराज के लिए घर की दक्षिण दिशा में दीपक लगाया जाता है। माना जाता है ऐसा करने से उस घर में रहने वालों पर यमराज प्रसन्न होते हैं और परिवार के लोगों में अकाल मृत्यु का डर नहीं रहता।

1. स्कंद पुराण का कहना है -
कार्तिकस्यासिते पक्षे त्रयोदश्यां निशामुखे।
यमदीपं बहिर्दद्यादपमृत्युर्विनिश्यति ।।
अर्थ - कार्तिक महीने के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी पर सायंकाल घर के बाहर यमदेव के लिए दीप रखने से अपमृत्यु का निवारण होता है। यानी ऐसा करने से असमय मृत्यु से बचा जा सकता है।

2. पद्म पुराण में लिखा है -
कार्तिकस्यासिते पक्षे त्रयोदश्यां तु पावके।
यमदीपं बहिर्दद्यादपमृत्युर्विनश्यति।।
अर्थ - कार्तिक के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी को घर से बाहर यमराज के लिए दीप देना चाहिए, इससे दुर-मृत्यु का नाश होता है।

कैसे करें यम देवता के लिए दीपदान

  1. यम के निमित्त दीपदान प्रदोष काल में करना चाहिए। इसके लिए गेहूं के आटे का बड़ा दीपक लें।
  2. रुई लेकर दो लम्बी बत्तियां बनाएं। उन्हें दीपक में एक दूसरे पर क्रॉस में रखें। जिससे दीपक के बाहर बत्तियों के चार मुंह दिखाई दें।
  3. दीपक को तिल के तेल से भर दें और उसमें कुछ काले तिल भी डाल दें। प्रदोष काल में दीपक का रोली, अक्षत और पुष्प से पूजन करें।
  4. घर के मेन गेट के बाहर थोड़ी-सी खील या फिर गेहूं से ढेरी बनाकर उस पर दीपक रखकर जलाएं। उसे दक्षिण दिशा की ओर रख दें। क्योंकि ये यम की दिशा मानी गई है।

दीपक रखते हुए यमराज को प्रणाम करें और मंत्र बोलें -

मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन श्यामया सह।
त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतां मम।।
अर्थ: मैं धन त्रयोदशी पर ये दीप सूर्यपुत्र यम देवता को अर्पित करता हूं। वे मुझे मृत्यु के पाश से मुक्त करें और मेरा कल्याण करें।

हाथ में फूल लेकर बोलें ॐ यमदेवाय नमः। नमस्कारं करोमि। इसके बाद दक्षिण दिशा में फूल छोड़ते हुए यमदेव को नमस्कार करें

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