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कन्फेक्शनरी क्लस्टर:सालभर से पानी, बिजली, सीवर लाइन का काम नहीं, फिर भी वसूल रहे मेंटेनेंस, 200 मीटर पर टोल टैक्स

 

  • उद्योगपतियों ने एमपीआईडीसी के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर को बताई समस्याएं

रंगवासा में बन रहे कन्फेक्शनरी क्लस्टर में प्लॉट लेने वाले उद्योगपति सालभर से परेशान हैं। इस क्लस्टर में कुछ सड़कें बनने के अलावा अब तक कोई काम नहीं हुआ है। इसके बावजूद उद्योगपतियों को सालभर का मेंटेनेंस शुल्क चुकाने का नया बिल थमा दिया गया है जो प्लॉट साइज के हिसाब से 20 हजार से 45 हजार रुपए तक है। उद्योगपतियों को पहले मार्च, फिर जून, फिर दिवाली तक की नई-नई समय सीमा मिली।

अब अधिकारी समय सीमा भी बताने की स्थिति में नहीं हैं। बिजली, पानी, सीवरेज, ईटीपी इन सभी की समस्या के साथ नई समस्या टोलनाके की भी है। उद्योगपति यहां निर्माण शुरू कर रहे हैं, लेकिन उनके वाहनों के साथ ही माल लेकर आने वाले वाहनों से टोल शुल्क लग रहा है, इसका कारण यह है कि टोलनाका पार करने के बाद दायीं तरफ ही यह क्लस्टर बना है। मात्र 200 मीटर के दायरे में उद्योगपतियों को यह शुल्क लग रहा है, जबकि क्लस्टर लाते समय वादा किया गया था कि इसे एक किलोमीटर आगे खिसकाएंगे, जिससे किसी को परेशानी नहीं हो, पर अब तक इस काम नहीं हुआ है।

उद्योगपतियों ने एक बार फिर एमपीआईडीसी के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर रोहन सक्सेना से को परेशानी बताई। उन्होंने बताया कि अब बीच में फंस गए हैं, ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट करना है, लेकिन अभी करेंगे और नए ठेकेदार को करेंगे तो काम और धीमा हो जाएगा, इसलिए इसी से काम करा रहे हैं।

एक साल में रजिस्ट्री तो हो गई, पर विकास कार्य पूरे नहीं हुए
यह 50 एकड़ में विकसित हो रहा है, यहां पर 58 प्लॉट करीब 50 करोड़ की कीमत में उद्योगपतियों ने एक साल पहले ले लिए, रजिस्ट्री भी हो गई, लेकिन विकास काम नहीं हो रहा है। इसके बाद भी मेंटेनेंस शुल्क लिया जा रहा है।

ये सारे काम अटके

  • सीवरेज लाइन- नहीं डाली।
  • पानी लाइन- टंकी बनी है, लेकिन लाइन नहीं डाली, निर्माण कराने वाले खुद के टैंकर से पानी बुला रहे हैं।
  • बिजली लाइन- अस्थायी कनेक्शन ही है, व्यवस्थित कनेक्शन नहीं हुए।
  • ​​​​​​​ईटीपी- अभी तक टेंडर ही नहीं, अब त्योहार बाद टेंडर की बात कर रहे हैं, टेंडर से लेकर काम होने तक 8 माह कम से कम लगेंगे। इसके बाद ही उद्योगों को प्रदूषण विभाग से अनापत्ति मिलेगी। फिर उत्पादन शुरू हो सकेगा।
  • प्लॉट पर गड्ढे- कई प्लॉट में 10-15 मीटर तक गड्ढे हैं, कई गड्ढे नहीं भरे हैं, इससे भी उद्योगपति निर्माण शुरू नहीं कर पा रहे हैं।
  • टोल नाका- आगे नहीं बढ़ा।

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