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दफ्तर पर जांच:ग्रेट गैलन ग्रुप पर छापे के दौरान मिले कैश में 3.08 करोड़ अघोषित

 

  • शराब उत्पादक के साथ ठेके उठाने वाले सिंडिकेट भी जांच के दायरे में
  • शराब उत्पादकों पर सीसीआई और आयकर के छापे

शराब उत्पादकों (डिस्टलरी मैन्यूफैक्चरर्स) पर भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) नई दिल्ली और फिर आयकर विभाग इन्वेस्टिगेशन विंग इंदौर की जांच में भारी टैक्स चोरी सामने आई है। सूत्रों के अनुसार, आयकर विभाग ने ग्रेट गैलन वेंचर्स ग्रुप के दफ्तर पर जांच में मिली करीब चार करोड़ की राशि में से तीन करोड़ आठ लाख रुपए को अघोषित आय माना है। ग्रुप ने इस राशि को लेकर किसी तरह के दस्तावेज पेश नहीं किए।

अब इस पर 77% से लेकर अलग-अलग प्रावधान के तहत सवा सौ फीसदी तक टैक्स, पेनल्टी लगाई जाएगी। वहीं आयकर विभाग ने यहां से जब्त किए दस्तावेज, कम्प्यूटर रिकॉर्ड से बाकी लेन-देन की भी जांच शुरू कर दी है। इसमें ग्रुप के शराब ठेकेदारों से लेन-देन, आबकारी विभाग से लिए गए टेंडर के मुताबिक की गई सप्लाय आदि की जांच की जा रही है। साथ ही ग्रुप के पुराने छह साल से रिटर्न के रिकॉर्ड भी जांचे जा रहे हैं।

इससे ग्रुप की आय पर दिए गए टैक्स को देखा जा रहा है। इसमें वह सभी जांच में आएंगे, जिन ठेकेदारों से इनका किसी भी तरह का लेन-देन रहा है। इस ग्रुप ने इंदौर में ठेके उठाने वाले शराब सिंडिकेट के कुछ सदस्यों को भी बैंक गारंटी दिलाई थी।

पहले भी शराब ठेकेदारों के यहां हो चुकी है कार्रवाई
इसके पहले साल 2017 में भी आयकर विभाग ने इंदौर से जुड़े कुछ बड़े शराब ठेकेदारों के यहां छापे मारे थे, जिसमें बड़ी टैक्स चोरी सामने आई थी। वहीं हाल ही में शराब सिंडिकेट और इंदौर के पंजाब एंड सिंध बैंक राजबाड़ा शाखा के बीच शराब ठेके उठाने के लिए गलत तरीके से बैंक गारंटी जारी करने का भी मामला सामने आ चुका है, जिसकी ईओडब्ल्यू इंदौर जांच कर रहा है।

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