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वैक्सीनेशन महाभियान 4.0:90 हजार वैक्सीन का टारगेट 50 फीसदी भी नहीं हुआ, 5.50 लाख लोगों का दूसरा डोज ड्यू

पहले डोज का 100 फीसदी तथा दूसरे डोज का 50 फीसदी टारगेट पूरा करने की कड़ी में 27 सितंबर को फिर ‘वैक्सीनेशन महाभियान 4.0’ आयोजित किया। जिले में इसके लिए प्रभावी तैयारियां की गई थी। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में कुल 314 सेंटर बनाए गए तथा 90 हजार से ज्यादा वैक्सीन लगाने का टारगेट रखा गया था। वैसे पहले डोज का 100 फीसदी टारगेट होने के बाद इनमें से 6 लाख लोग वे हैं जिनके दूसरे डोज के लिए अवधि पूरी हो गई है। सोमवार को स्थिति यह रही कि बारिश और अन्य कारणों के चलते लोग बहुत कम आए और शाम तक केवल 47.38 फीसदी लोगों ने ही वैक्सीन लगाई। इस तरह अब करीब 5.50 लाख ऐसे हैं जिनके पहले डोज की अवधि खत्म हो चुकी है लेकिन वे रुचि नहीं ले रहे हैं।

जिला प्रशासन ने लोगों से अपील की है वे दूसरा डोज लगवाकर राष्ट्रव्यापी अभियान के तहत खुद को व दूसरों को सुरक्षित करें। सोमवार को दोपहर बाद शुरू हुई बारिश से कई सेंटरों पर वैक्सीनेशन की गति धीमी हो गई क्योंकि इस दौरान लोग कम पहुंचे। दिनभर में केवल 42647 लोगों ने ही वैक्सीन लगवाई।

16 जनवरी 2021 से शुरू हुए वैक्सीनेशन के बाद जिले में पात्र 28,91,607 लोगों को पहला डोज लग चुका है जबकि 14,84,948 लोगों को दोनों डोज लग चुके हैं। यानी दूसरा डोज 51.35 फीसदी हो चुका है व 49 फीसदी लोग बाकी हैं। इनमें से भी 5.50 लाख लोग तो वे हैं जिनके पहले डोज के बाद की 84 दिनों की अवधि पूरी हो चुकी है। शहर में वैक्सीनेशन लगातार जारी है, इसके बावजूद ये 5.50 लाख लोग किसी ने किसी कारण से दूसरा डोज नहीं लगवा पाए हैं। सीएमएचओ डॉ. बीएस सैत्या ने बताया कि लोग ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कर स्लॉट बुक कराएं। इसके साथ ही सीधे सेंटर पर आने वाले लोगों का मौके पर ही रजिस्ट्रेशन कर वैक्सीन लगाई जाएगी। इसके लिए आधार कार्ड, पेन कार्ड, लाइसेंस आदि में से एक ओरिजनल दस्तावेज साथ लाना होगा। एक अनुमान के अनुसार बचे 14 लाख लोगों को दिसंबर तक दूसरा डोज भी लग जाएगा लेकिन कोशिश की जा रही है कि इसे और जल्दी पूरा किया जाए ताकि सभी को दोहरा सुरक्षा कवच मिल सके।

जानिए दोनों डोज लगवाने के फायदे

- पहला डोज यानी आधी सुरक्षा, दोनों यानी पूरी सुरक्षा।

- अब अगर कोरोना संक्रमित होते भी हैं तो लक्षण ए सिम्टोमैटिक रहेंगे।

- पहले के जैसी क्रिटिकल स्टेज नहीं बनेगी यानी अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ सकती है।

- फिर भी लंबे समय तक मास्क, सोशल डिस्टेसिंग, सेनिटाइजर सहित कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करना होगा।

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