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श्रीकृष्ण जन्माष्टी पर शहर में धर्ममय माहौल:‘आलकी की पालकी… जय कन्हैयालाल की’ के उदघोष, घंटे-घडियाल व शंखनाद के साथ मनाया श्रीकृष्ण जन्मोत्सव

 

जय कन्हैयालाल की के उद्घोष, घंटे-घडियाल व शंखनाद के साथ बाल गोपाल का जन्मोत्सव मनाया गया। - Dainik Bhaskar
जय कन्हैयालाल की के उद्घोष, घंटे-घडियाल व शंखनाद के साथ बाल गोपाल का जन्मोत्सव मनाया गया।

सात साल बाद शैव व वैष्णव मतावलंबी के संयोग के साथ सोमवार रात जैसे ही घड़ी की दोनों सुइयां 12 बजे पर आई तो शहर के सभी बड़े श्रीकृष्ण मंदिरों में ‘आलकी की पालकी… जय कन्हैयालाल की…’ ‘नंद के घर आनंद भयो’… के उदघोष, घंटे-घडियाल व शंखनाद के साथ बाल गोपाल का जन्मोत्सव मनाया गया। निपानिया के इस्कॉन मंदिर, गोपाल मंदिर, यशोदा मंदिरों में भगवान कृष्ण के बाल रूप को झूले में झूलाकर श्रद्धालु भक्ति में लीन हो गए। श्रद्धालुओं ने आरती कुंज बिहारी की सहित कृष्ण भक्ति के गीत-संगीत, भजन गाए और माहौल भक्तिमय हो गया।

गोपाल मंदिर में भक्ति में लीन श्रद्धालु।
गोपाल मंदिर में भक्ति में लीन श्रद्धालु।

पिछले साल कोरोना काल के कारण लोग श्रीकृष्ण जन्माष्टमी जोर-शोर से नहीं मना पाए थे लेकिन इस बार उत्साह सुबह से ही था। दिनभर लोगों का मंदिरों पर तांता रहा। हालांकि इस दौरान अधिकांश मंदिरों में अभिषेक, हवन, पूजन सहित अन्य तैयारियां चलती रही लेकिन शाम होने तक तो सभी कृष्ण मंदिरों का स्वरूप ही बदल गया। हर मंदिर पर आकर्षक विद्युत सज्जा की गई थी। इसके साथ ही भगवान कृष्ण सहित पूरा मंदिर फूलों से सजाया गया था। माखन-मिश्री के नए-नए प्रकार के भोग लगाए गए। ऐसे ही मंदिरों में बांसुरी, मोरपंख, कृष्ण भगवान की आकर्षक पोशाखें आदि भी सजाई गई।

रात को 9 बजे फिर भीड़ काफी बढ़ी खासकर राजबाडा क्षेत्र स्थित गोपाल मंदिर, यशोदा मंदिर, राधा कृष्ण मंदिर में। दूसरी ओर निपानिया स्थित इस्कॉन मंदिर में भी रात को काफी संख्या में दर्शनार्थी पहुंचे। सभी मंदिरों में पर्याप्त पुलिस व्यवस्था के साथ मंदिर प्रबंधन ने भी अपनी व्यवस्था की थी। इस दौरान सोशल डिस्टेसिंग का सख्ती से पालन कराया जाता रहा।

रात को शहर के पश्चिम क्षेत्र में काफी रौनक रही। दरअसल, यहां छह-सात कृष्ण मंदिर आसपास ही हैं इसके चलते श्रद्धालुओं एक मंदिर से दूसरे मंदिर जाकर दर्शन करते रहे तो कई लोग बाहर से ही भगवान कृष्ण व साज-सज्जा को निहारते रहे। लोगों ने देर रात तक भगवान कृष्ण के दर्शन किए। खास बात यह कि इस बार दर्शन के दौरान बच्चों की संख्या ज्यादा रही। कई परिवार अपने छोटों बच्चों को कृष्ण रूप में तैयार कर मंदिर लाए थे। इस दौरान बाजारों में माखन, मिश्री, बांसुरी, मोरपंख की भी खूब खरीदी हुई।

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