कोरोना में बढ़ा विवाद और पूरा मेट्रो प्रोजेक्ट खटाई में
कोरोना काल में इंदौर को सबसे बड़ा नुकसान मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट का रहा। 7500.8 करोड़ के मेट्रो प्रोजेक्ट में कोरोना काल में कॉन्ट्रैक्टर दिलीप बिल्डकॉन और जनरल कंसल्टेंट के बीच मतभेद बढ़ते गए। पहले लॉकडाउन के बाद दोनों के विवाद खुलकर सामने आए और फिर दूसरे लॉकडाउन तक काम शुरू नहीं हो सका।
स्मार्ट सिटी के 5432 करोड़ के 221 प्रोजेक्ट भी अटके
इंदौर स्मार्ट सिटी द्वारा 5432 करोड़ के 221 प्रोजेक्ट लिए गए हैं। इसमें छोटे-छोटे 180 से ज्यादा प्रोजेक्ट तो पूरे हुए हैं लेकिन बड़ी राशि और बड़े काम वाले प्रोजेक्ट कोरोना लॉक डाउन के कारण अधर में हैं। सबसे अहम राजबाड़ा का जीर्णोद्धार तीन महीने में पूरा करने का टारगेट है। कई प्रोजेक्ट ऐसे हैं, जिनमें आधे से भी ज्यादा काम बाकी है।
34 साल से अधूरा कुलकर्णी भट्टा पुल
पिछले 34 साल से अधूरे कुलकर्णी भट्टा के पुल के सारे विवाद खत्म कर उसे बनाने का काम फिर से तीन साल पहले शुरू हुआ था। 15 करोड़ की लागत में 100 फीट लंबे और इतने ही चौड़े पुल को बनाने के लिए पिछले साल प्रशासक रहे आकाश त्रिपाठी ने प्राथमिकता दी थी। दो लॉकडाउन के कारण यह पुल तैयार ही नहीं हो सका। इसकी एप्रोच रोड बनाने में 80 मकानों को हटाकर रहवासियों को विस्थापित करना है। कोरोना के चलते यह काम शुरू ही नहीं हो सका। अब इसके चार महीने का समय और लगना तय है।
प्रोजेक्ट और मौजूदा स्थिति
70 करोड़ में इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम। फिलहाल इसका टेंडर ही नहीं दिया। 17 करोड़ में होलकरों की विरासत सात मंजिला राजबाड़ा का जीर्णोद्धार। 65 प्रतिशत ही पूरा। 83 करोड़ की लागत से ओल्ड मराठी स्कूल का कायाकल्प। 40 प्रतिशत काम ही पूरा। 4.23 करोड़ में मल्हारराव होलकर छत्री का जीर्णोद्धार। 80 प्रतिशत काम पूरा। 14.03 करोड़ में गोपाल मंदिर कॉम्प्लेक्स का निर्माण। 90 प्रतिशत काम पूरा। 10.08 करोड़ में गोपाल मंदिर में एम्फीथिएटर। 50 प्रतिशत काम पूरा। 6.73 करोड़ में गोपाल मंदिर शॉपिंग कॉम्प्लेक्स। 90 प्रतिशत काम पूरा। 6.62 करोड़ में गांधी हॉल का जीर्णोद्धार। 95 प्रतिशत काम पूरा। 2.34 करोड़ में खजराना मंदिर का ब्यूटिफिकेशन। 60 प्रतिशत काम पूरा। 7.96 करोड़ में नेहरू पार्क का रीडेवलपमेंट। 25 प्रतिशत काम पूरा।
राजबाड़ा-गांधी हॉल की कब पूरी होंगी ये तस्वीरें
बायो सीएनजी प्लांट की शुरुआत ही नहीं ट्रेंचिंग ग्राउंड में 150 करोड़ की लागत से 500 टन प्रतिदिन गीले कचरे को प्रोसेस करने वाला एशिया का सबसे बड़ा प्लांट लगाया जा रहा है। पहला चरण 200 टन की क्षमता वाला प्लांट मई 2021 में पूरा होना था, लेकिन अभी शुरुआत नहीं हो सकी। इसे पूरा करने में एक साल और लगेगा।
वेस्ट टू एनर्जी प्लांट का काम ही शुरू नहीं
एनटीपीसी इंदौर के ट्रेंचिंग ग्राउंड में वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगाने वाला था। इसका काम ही शुरू नहीं हो सका। इससे नगर निगम इंदौर जीरो वेस्ट सिटी बन जाता, जिसका सारा कचरा प्रोसेस हो जाता। यहां कोयला (टोरीफाइड कोल) बनाया जाता, जो खंडवा और आसपास के बिजली उत्पादन केंद्रों में इस्तेमाल होता।
हाईजिनाइजेशन प्लांट का सेटअप ही डला इंदौर में भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर की मदद से 20 करोड़ की लागत से स्लज हाईजिनाइजेशन प्लांट स्थापित किया जा रहा है। इसे अप्रैल 2021 तक पूरा होना था। अभी तक सिर्फ सेटअप ही तैयार हो सका है। बार्क की टीम आकर इसका मुआयना करेगी।
1200 करोड़ की आय का सपना भी अधूरा
एमओजी लाइन्स रीडेवलपमेंट सहित अन्य से स्मार्ट सिटी 1200 करोड़ कमाने का अनूठा मॉडल लाई थी। पहले शासन स्तर पर मंजूरी के लिए प्रोजेक्ट अटका रहा फिर कोरोना लॉकडाउन से प्रोजेक्ट की रफ्तार थम गई। प्रोजेक्ट से पहले चरण के टेंडर ही हुए हैं। इससे 5-6 साल में स्मार्ट सिटी को 418 करोड़ आय होगी।
आईएसबीटी इस साल शायद ही बने
कुमेड़ी में 25 एकड़ में 60 करोड़ से इंटर स्टेट बस टर्मिनल बन रहा है और दूसरा आईएसबीटी नायता मुंडला में 8 एकड़ में 10 करोड़ से बन रहा है। दोनों बस स्टैंड 2021 में तैयार होना थे। कुमेड़ी आईएसबीटी 2022 के पहले बन नहीं पाएगा। नायता मुंडला के आईएसबीटी को सितंबर तक पूरा करने का टारगेट है।
सरवटे बस स्टैंड सालभर से ज्यादा पीछे
9.77 करोड़ में सरवटे बस स्टैंड को नए सिरे से बनाने का टारगेट अगस्त 2020 तक था। दो-दो लॉकडाउन के कारण यह बस स्टैंड अभी तक पूरा नहीं बन सका है। इसे बनने में अभी भी कम से
कम तीन महीने का समय लगना तय है।
सात फेज में एबीडी एरिया की प्रमुख सड़कों का चौड़ीकरण और विकास। 3 प्रमुख सड़कें अधूरी।
एबीडी एरिया में 6 मल्टी लेवल पार्किंग तैयार करना। दो ही बन सकी।
287 करोड़ में डिस्ट्रीब्यूशन लाइन
इंदौर में 27 नई टंकियों के साथ ही पुरानी 83 टंकियों से 1154 किमी में डिस्ट्रीब्यूशन लाइन डालने का काम नवंबर 2019 में पूरा होना था। हालत यह है कि अभी तक 800 किमी की ही लाइन डल सकी है।
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