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कोरोना की आपदा में भी नहीं रुका स्वस्थ मध्यप्रदेश का काम

मध्यप्रदेश में श्री शिवराज सिंह चौहान का मुख्यमंत्री के रूप में चौथे कार्यकाल का एक साल, स्वास्थ्य के क्षेत्र में विशेष उपलब्धियों वाला साल रहा है। इस एक साल में प्रदेश ने कोविड-19 के संक्रमण के दौर और उससे स्वास्थ्य और उपचार के क्षेत्र की चुनौतियों का जीवटता से मुकाबला किया। साथ ही अन्य बीमारियों के उपचार की व्यवस्थाओं और पूर्व में लक्षित कार्यों को भी आगे बढ़ाया। इस अरसे में सरकार की कोशिश रही कि कोविड-19 के चलते ''स्वस्थ मध्यप्रदेश'' के काम भी पीछे नहीं रहे।

मार्च 2020  के दूसरे सप्ताह में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा कोरोना बीमारी को महामारी घोषित करने के साथ पूरे विश्व, हमारे देश और प्रदेश के लिए यह जरूरी हो गया था कि  कोरोना संक्रमण की रोकथाम और संक्रमित व्यक्तियों के उपचार के प्रबंधन की रणनीति तैयार कर तेजी से काम किया जाये। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के संकल्पशील नेतृत्व में प्रदेश ने रणनीति तैयार कर उस पर काम करना भी शुरू किया। कोरोना काल में लॉक डाउन के दौरान और उसके बाद कोरोना प्रोटोकाल का पालन सुनिश्चित करते हुए  मरीजों के उपचार का प्रबंधन किया।  अप्रैल  2020 से अब तक कोराना पर नियंत्रण और कोरोना से लड़ने के लिए जरूरी व्यवस्थाएँ जुटाईं। साथ-साथ अन्य बीमारियों के उपचाररोकथाम  के लिए संचालित कार्यक्रमों का क्रियान्वयन भी जारी रखा। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के साथ स्वयं मैंने भी  कोरोना की स्थिति की नियमित और अन्य स्वास्थ्य कार्यक्रमों के क्रियान्वयन की समय-समय पर समीक्षा की। इससे कोरोना जैसे अदृश्य शत्रु का मुकाबला करने के लिये प्रदेश तो सक्षम हुआ ही और स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार और सुदृढ़ीकरण का काम भी जारी रहा।

स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार और सुदृढ़ीकरण

पिछले एक साल में सभी 51 जिला चिकित्सालय में विशेषज्ञ चिकित्सकों सहित इन्टेसिव केयर यूनिट और आइसोलेशन वार्डों का विस्तार किया गया। सभी 91 सिविल, 324 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और 6 बिस्तरीय  1207 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भी सुविधाओं का विस्तार किया गया। प्रदेश के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर मरीजों के लिए विशेषज्ञ चिकित्सकों के परामर्श से उपचार उपलब्ध करवाने के लिए कम्युनिटी हेल्थ आफिसर की पद-स्थापना की गई। टेलीमेडिसिन के माध्यम से गाँव के मरीज को उसके गाँव के उप स्वास्थ्य केंद्र में मल्टी स्पेशिलिटी अस्पताल के विशेषज्ञ चिकित्सक के परामर्श अनुसार उपचार की सुविधा देने  की व्यवस्था भी की गई है। पहले चरण में रीवा, सागर और जबलपुर संभाग की 550 प्राथमिक स्वास्थ्य संस्थाओं में टेलीमेडिसन सुविधा प्रारंभ हो गई है।

 मध्य प्रदेश में सर्वाधिक आयुष्मान कार्ड का रिकार्ड

''आयुष्मान भारत निरामयम'' योजना में फरवरी 2020 तक  2 करोड़ 5 लाख पात्र हितग्राहियों के कार्ड बनाए जा चुके हैं।  यह देश में किसी भी राज्य द्वारा बनाये गये आयुष्मान कार्ड में सर्वाधिक है। कार्ड बनाने का काम लगातार जारी है। इस माह सभी पात्र व्यक्तियों के आयुष्मान कार्ड बनाने के लिये 'आपके द्वार आयुष्मान' अभियान संचालित किया जा रहा है। योजना में अब तक 78 प्रतिशत पात्र हितग्राही परिवारों में से कम से कम एक सदस्य का आयुष्मान कार्ड बनाया जा चुका है। योजना का लाभ भी 6 लाख से अधिक पात्र हितग्राहियों को दिया जा चुका है। इस योजना में उपचार के लिए प्रदेश के 769 अस्पताल इम्पेनल्ड हैं। इनमें 449 शासकीय और 320 निजी चिकित्सालय है।

हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर से गुणवत्ता के साथ स्वास्थ्य सेवाएँ

प्रदेश के नागरिकों को उनके घर के नजदीक बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध कराने के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर के रूप में विकसित किया जा रहा है। तेजी से बढ़ रही हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, कैंसर जैसी बीमारियों की समय पूर्व पहचान कर नियंत्रण और उपचार की व्यवस्था के लिए प्राथमिक और उप स्वास्थ्य केन्द्रों में मानव संसाधन के साथ आवश्यक जाँचें और दवाइयाँ भी नि:शुल्क उपलब्ध कराई जा रही हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर 191 प्रकार की दवाइयाँ और 48 प्रकार की जाँचें और उप स्वास्थ्य केंद्र पर 98 प्रकार की दवाएँ और 14 प्रकार की जाँचें नि:शुल्क उपलब्ध है।

जिला चिकित्सालयों में सी.टी. स्केन सुविधा

स्वास्थ्य विभाग ने विशेष पहल पर 19 जिला चिकित्सालय में सी.टी. स्केन की सुविधा 50 हजार मरीजों को उपलब्ध कराई है। यह सुविधा बीपीएल रोगियों को नि:शुल्क है। एपीएल रोगियों को 933 रुपये की दर पर उपलब्ध है।

जिला चिकित्सालयों में डायलिसिस

सभी 51 जिला चिकित्सालयों में डायलिसिस की सुविधा भी अब उपलब्ध है।  अप्रैल से दिसंबर 2020  तक 3884 किडनी मरीजों को डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध करवाई गई। 

जननी एक्सप्रेस ने पौने छह लाख महिलाओं को पहुँचाया अस्पताल

जननी एक्सप्रेस द्वारा गर्भवती महिलाओं और एक वर्ष तक के बीमार बच्चों को घर से अस्पताल और अस्पताल से घर तक परिवहन की नि:शुल्क सुविधा दी जा रही है।  प्रदेश के 51 जिलों में 820 जननी एक्सप्रेस वाहन द्वारा अप्रैल 2020 से जनवरी 2021 तक 5 लाख 69 हजार  गर्भवती  महिलाओं  और करीब 64 हजार बीमार बच्चों को घर से अस्पताल पहुँचाने का कार्य किया गया। करीब सवा लाख मरीजों को एक  अस्पताल से दूसरे उच्च संस्थान तक  भी पहुँचाया गया। 

मुख्यमंत्री बाल श्रवण उपचार योजना से 78 बच्चों की सर्जरी

  मुख्यमंत्री बाल श्रवण उपचार योजना में इसी अवधि में 78 बच्चों की सर्जरी करवाई गई। मुख्यमंत्री बाल हृदय उपचार योजना में 228 बच्चों के हृदय की नि:शुल्क सर्जरी कराई जा चुकी है।

मातृ और शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के विशेष प्रयास

आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के रोडमैप में मातृ और शिशु मृत्यु दर को कम करना प्रमुख एजेंडे के रूप में शामिल है। प्रदेश में मातृ और शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के भी विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। मातृ मृत्यु दर कम करने के लिए प्रसव पूर्व जाँच कर हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं को चिन्हित कर उन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। प्रसव सामान्य तरीके से हो और प्रसव के बाद माता के स्वस्थ रहने की व्यवस्था में नया 'एमपीअनमोल'' ऐप बनाया गया है‍। ऐप की सहायता से उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं की ट्रैकिंग के लिए 2569 सेक्टर स्तर पर पदस्थ चिकित्सा अधिकारी करीब पौने 13 लाख गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की देखभाल की गई।

महिलाओं में खून की कमी की रोकथाम और उपचार के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर आयरन इंजेक्शन उपलब्ध कराए गए हैं। सभी जिला चिकित्सालय में सुमन हेल्प डेस्क का संचालन कर हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं और बच्चों के उचित समय पर प्रबंधन, फॉलोअप चेकअप के साथ शिकायतों के निराकरण की व्यवस्था की गई है। प्रदेश की 148 स्वास्थ्य संस्थाओं में 24X7 आपातकालीन प्रसूति सेवाएँ दी जा रही हैं। पाँच मेडिकल कॉलेज और 16 जिला चिकित्सालय में ऑब्सटेट्रिक आईसीयू बनाए गए हैं। आठ और नवीन आब्सटेट्रिक आईसीयू की स्थापना भी की जा रही है।

मुख्यमंत्री श्रमिक सेवा प्रसूति सहायता योजना में असंगठित श्रमिक के परिवारों की 7 लाख 20 हजार पात्र गर्भवती महिलाओं को 16 हजार रुपये प्रति महिला दिये जा रहे हैं। इस वित्त वर्ष में ढाई लाख से ज्यादा महिलाओं ने इसका लाभ लिया है। संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शासकीय अस्पताल में प्रसव कराने वाली ग्रामीण महिलाओं को 1400 रुपए और शहरी महिलाओं को एक हजार की आर्थिक सहायता की योजना में इस वित्त वर्ष में फरवरी तक 7 लाख 30 हजार महिला हितग्राहियों को लाभान्वित किया गया है।

कोविड 19 संक्रमित गर्भवती महिलाओं को विशेष उपचार

कोविड-19 के दौरान मातृ स्वास्थ्य सेवाएँ और संस्थागत प्रसव की सुविधा सभी जिला चिकित्सालय में पूरे प्रोटोकॉल का पालन करते हुए उपलब्ध कराई गईं। इस वित्त वर्ष में दिसबंर तक 8 लाख 82 हजार शासकीय संस्थागत प्रसव हुए। एएनएम और आशा कार्यकर्ताओं द्वारा गर्भवती महिलाओं के घर जाकर प्रसव पूर्व जाँच भी की गई।

शिशु स्वास्थ्य सेवाओं में विस्तार

शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए नवजात शिशुओं की बेहतर देखभाल की जा रही है। इस वर्ष 57 नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई में 75 हजार से अधिक और नवजात शिशु स्थिरीकरण इकाई में 17 हजार शिशुओं का सफल उपचार किया गया। गंभीर नवजात शिशुओं के उपचार के लिये न्यू बोर्न केयर कॉर्नर भी बनाये गये हैं। आशा कार्यकर्ता द्वारा जन्म से 28 दिन की संवेदनशील अवधि में नवजात शिशुओं की उनके घर जाकर देख-रेख भी की जा रही है। इसके अलावा 22 जिला अस्पताल और पाँच चिकित्सा महाविद्यालयों में संचालित बाल गहन चिकित्सा इकाइयों में 22 हजार से ज्यादा गंभीर रूप से बीमार बच्चों को उपचार दिलाया गया। सभी जिला चिकित्सालय में चिल्ड्रन वार्ड में 67 हजार से ज्यादा बच्चों का उपचार किया गया।

संजीवनी 108 ने 6 लाख को पहुँचाया अस्पताल

दीनदयाल 108 सेवा का सभी जिलों में विस्तार कर आपात स्थिति में पीड़ितों को तुरंत चिकित्सीय परिवहन सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। अप्रैल 2020 से जनवरी 2021 तक 6 लाख 20 हजार से ज्यादा मरीजों को एंबुलेंस द्वारा समय पर अस्पताल पहुँचाया गया है।

प्रदेश में टीकाकरण सहित विभिन्न बीमारियों की रोकथाम के लिये राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों को भी कोविड-19 प्रोटोकॉल को ध्यान में रखकर सफलता से संचालित किया गया है।




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